तिरछी नजरः शराब कंपनी की ब्रांडिंग के चक्कर में पुलिस भूली कायदे-कानून

अफसर न केवल बीयर कंपनी से अवॉर्ड लेने को तैयार हो गए बल्कि फ्री में कंपनी की ब्रांडिंग भी करने लगे। इसके लिए नगर निगम को भी पुलिस अफसर धोखा देने से चूके नहीं।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Sat, 07 Mar 2020 03:13 PM (IST) Updated:Sat, 07 Mar 2020 06:42 PM (IST)
तिरछी नजरः शराब कंपनी की ब्रांडिंग के चक्कर में पुलिस भूली कायदे-कानून
तिरछी नजरः शराब कंपनी की ब्रांडिंग के चक्कर में पुलिस भूली कायदे-कानून

चंडीगढ़ [बरींद्र सिंह रावत]। चंडीगढ़ पुलिस के अफसरों को अवॉर्ड चाहिए। चाहे कोई शराब कंपनी ही दे दे। देर रात शहर की सड़कों पर ड्रंकन ड्राइविंग के नाके लगाने वाली चंडीगढ़ पुलिस शराब कंपनी पर इस कदर मेहरबान हुई कि सभी कायदे कानून भूल गई। अफसर न केवल बीयर कंपनी से अवॉर्ड लेने को तैयार हो गए बल्कि फ्री में कंपनी की ब्रांडिंग भी करने लगे। इसके लिए नगर निगम को भी पुलिस अफसर धोखा देने से चूके नहीं। शराब कंपनी के लिए शहर में ब्रांडिंग भी फ्री में करवा ली। अब फजीहत हुई तो अफसर इसका ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ रहे हैं। न केवल पब्लिक में बल्कि लाट साहब के आगे भी अफसरों की फजीहत हुई। फटकार पड़ी तो प्रोग्राम रद करना पड़ा। प्रशासन 15 अगस्त और 26 जनवरी को पुलिस अफसरों को सम्मानित करता है तो फिर शराब कंपनी से अवॉर्ड क्यों। अवॉर्ड तो बहाना है काम तो कंपनी की ब्रांडिंग का था।

अब लगेंगे खूब निशाने

लाट साहब की मेहनत रंग लाई। चंडीगढ़ को कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी का मौका मिल गया। प्रशासक वीपी सिंह बदनौर को शूटिंग का शौक है। अपने शौक को उन्होंने शहर के लिए कैश कर दिया। साहब ने लंदन तक अपनी जुगत भिड़ाई। शहर के लिए एक ऐसे इवेंट की मेजबानी का मौका ले आए जो शहर को नहीं पहचान देगा। मेजबानी का मौका तो मिल गया। अब जनाब इस आयोजन को सफल बनाने के लिए कमर कस कर बैठ गए हैं। राजभवन में कोई भी मिलने के लिए आए तो उससे इस आयोजन को सफल बनाने के लिए अपना सहयोग देने को कह रहे हैं। अफसर भी लाट साहब को दिन-रात नए-नए सुझाव दे रहे हैं। एक अफसर ने तो जनाब को शहर में नए होटल खोलने का सुझाव तक दे डाला। अब इन्हें समझाए कौन की इंटरनेशनल शूटिंग इवेंट के लिए होटल नहीं बल्कि इंटरनेशनल लेवल की शूटिंग रेंज चाहिए।

नहीं होगा पीजी का धंधा

धंधा कोई भी हो ईमानदारी से किया जाए तो कोई डर नहीं। यदि धंधा नियम कानून को दरकिनार कर सिर्फ कमाई के लिए किया जाए तो लगाम कसना वाजिब है। शहर में पीजी का धंधा करने वाले अब भागे फिर रहे हैं। छोटे-छोटे कमरों में बच्चों को भेड़-बकरियों की तरह रखने वाले अपना धंधा बचाने के लिए अफसरों के आगे-पीछे घूम रहे हैं। कमाई बंद होने का डर जो है। लेकिन अब गैरकानूनी धंधे तो बंद हो गए उन सरकारी बाबुओं की कमाई भी बंद हो जाएगी जो इस धंधे को चलाने वालों से वसूली करने में लगे हुए थे। शहर में तीन लड़कियों की जान इस पीजी के अवैध धंधे ने ले ली। अब पीजी चलाने वाले छात्रों को ही अपना मोहरा बना रहे हैं। दूध का जला छाछ फूंक मारकर पीता है। अब डीसी साहब ने फरमान जारी कर दिया नियम नहीं मानोगे तो धंधा बंद करना पड़ेगा।

पानी पिलाएगी जनता

नगर निगम ने पहले पानी के रेट दो से तीन गुना बढ़ा दिए। अब पार्षद इन्हें कम करने की राजनीति कर रहे हैं। लेकिन जनता सब जानती है। अब हालत यह है कि पानी के रेट कम करवाने के लिए भाजपा के पार्षद अफसरों से भी लड़ गए। बवाल की गूंज गवर्नर हाउस तक पहुंच गई। जनता का कहना था कि जब पानी के रेट 10 साल तक नहीं बढ़े तो अब क्यों बढ़ाए जा रहे हैं। अगर पानी के रेट कम ही करने थे तो दिसंबर में ही कम कर देते। असल बात तो यह है कि दिसंबर के एजेंडे को भाजपा के अपने पार्षदों ने ही नहीं पढ़ा। दिल्ली चुनाव में भाजपा बुरी तरह हार गई तो उन्हें लगा कि कहीं चंडीगढ़ की जनता भी होने पानी न पिला दे। इसलिए पानी के दामों के मुद्दे पर अब जनता की याद आ गई। जनता भी सब जानती है।

chat bot
आपका साथी