केंद्र सरकार का बड़ा कदम, राज्‍यों के लिए लगाई यह सीमा, बढ़ सकती हैं बिजली की दरें

केंद्र सरकार ने राज्‍यों के लिए कर्ज लेने की सीमा तय कर दी है। राज्‍य मनमाना कर्ज नहीं ले सकेंगे। इससे सबसे बड़ा असर पॉवरकॉम पर पड़ा है। ऐसे में पंजाब में बिजली की दरें बढ़ सकती है

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 19 Jun 2019 09:34 AM (IST) Updated:Wed, 19 Jun 2019 09:34 AM (IST)
केंद्र सरकार का बड़ा कदम, राज्‍यों के लिए लगाई यह सीमा, बढ़ सकती हैं बिजली की दरें
केंद्र सरकार का बड़ा कदम, राज्‍यों के लिए लगाई यह सीमा, बढ़ सकती हैं बिजली की दरें

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्यों की कर्ज लेने के लिए समय की सीमा निश्चित कर दी है। इससे सभी राज्यों का वित्तीय कामकाज हिल गया है। केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि कुल घरेलू सकल उत्पाद के हिसाब से बनने वाले तीन फीसद कर्ज को वह 12 हिस्सों में बांटें और हर महीने उसी हिसाब से कर्ज लें। इससे पहले तिमाही कर्ज लेने की मंजूरी दी जाती थी। इसी हिसाब से राज्य सरकारें अपने अपने खर्चे तय कर लेती थीं। अब नए नियम लागू किए जाने से राज्य सरकार की ओर से किए जाने वाले खर्चों में सबसे बड़ी कटौती पावरकॉम को दी जाने वाली सब्सिडी में की गई है। पावरकॉम का 5200 करोड़ रुपये बकाया खड़ा हो गया है। इसका नुकसान भी उपभोक्ताओं को सहन करना पड़ेगा और राज्‍य में बिजली महंगी हो सकती है।

कर्ज रुकने के कारण पावरकॉम को सब्सिडी नहीं दे पा रही सरकार

पंजाब सरकार हर साल अपने कुल घरेलू सकल उत्पाद का तीन फीसद कर्ज लेती है, जो लगभग 17 हजार करोड़ रुपये होता है। यानी अब राज्य सरकार माहवार 1420 करोड़ रुपये ही कर्ज ले सकती है, जबकि पहले के नियम में तिमाही की मंजूरी मिलती थी और यह 4260 रुपये होता था। इस कर्ज को तीन माह के खर्चों के हिसाब से सरकार तीन हिस्सों में बांटकर उन्हें कब कितना कर्ज चाहिए, इसकी जानकारी वित्त मंत्रालय और आरबीआई को भेजी जाती थी।

21 को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से मिलेंगे मनप्रीत बादल

वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने जागरण को बताया कि नए नियमों के कारण कामकाज काफी प्रभावित हो रहा है। यह केवल पंजाब के साथ नहीं हो रहा, बल्कि देश के अन्य राज्यों के साथ भी हो रहा है। सभी इस नए नियम से परेशान हैं। उन्होंने बताया कि 21 जून को उनकी केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मीटिंग है, जिसमें वह यह मुद्दा उठाएंगे। उन्होंने कहा कि हर राज्य की हर माह की अपनी जरूरतें होती हैं। उन्हें पता होता है कि किस माह में उसे रेवेन्यू ज्यादा आना है और किस महीने कम। मसलन हमें रबी और खरीफ की बिक्री वाले महीनों में ज्यादा रेवेन्यू आ जाता है। इन महीनों में हम कर्ज कम लेते हैं, लेकिन कई महीने ऐसे हैं, जहां रेवेन्यू कम हो जाता है तो हमें कर्ज लेकर काम चलाना पड़ता है।

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सब्सिडी देने में आ रही दिक्कत

मनप्रीत बादल ने माना कि नियमों में किए गए बदलाव के कारण पावर सब्सिडी अदा नहीं की जा पा रही है। अभी तक मात्र 300 करोड़ ही रिलीज किया गया है। उन्होंने कहा कि 21 की मीटिंग के बाद अगर हमारी बात मान ली जाती है, तो एक जुलाई को सब्सिडी का काफी बड़ा हिस्सा अदा कर दिया जाएगा।

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लोगों को यही होगा नुकसान

अगर सरकार सब्सिडी समय पर अदा नहीं करती तो इसका बोझ उपभोक्ताओं पर महंगी दर के जरिए पड़ता है, क्योंकि बिजली रेगुलेटरी कमीशन अदा न कई सब्सिडी पर ब्याज लगाता है। इसे पावरकॉम के खर्च में दिखाया जाता है। पिछले साल भी राज्य सरकार ने 4400 करोड़ रुपये की बिजली सब्सिडी अदा नहीं की। इससे उपभाक्ताओं पर 752 करोड़ रुपये ब्याज का अतिरिक्त बोझ पड़ा।

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