उर्दू को फॉरेन लैंग्वेज घोषित करने पर उखड़े कैप्टन

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने रोष जाहिर किया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 29 Sep 2019 09:08 PM (IST) Updated:Sun, 29 Sep 2019 09:08 PM (IST)
उर्दू को फॉरेन लैंग्वेज घोषित करने पर उखड़े कैप्टन
उर्दू को फॉरेन लैंग्वेज घोषित करने पर उखड़े कैप्टन

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी द्वारा उर्दू को विदेशी भाषा का दर्जा देने के विरोध में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने रोष जाहिर किया है। कैप्टन ने रविवार को ट्वीट किया कि शर्म की बात है कि पंजाब यूनिवर्सिटी द्वारा इस प्रकार की सोच को अपनाया गया है। उन्होंने पीयू वीसी और सीनेटरों से कहा कि इस मामले पर कोई भी फैसला लेने से पहले रिव्यू कर लें। उर्दू भारत की भाषा है न कि विदेशी। उल्लेखनीय है कि पंजाब यूनिवर्सिटी ने कुछ छोटे विभागों को जोड़कर स्कूल ऑफ फॉरेन लैंग्वेज बनाने का निर्णय लिया था। जिसके लिए 30 सितंबर को बैठक होनी है। बैठक में सभी छोटे डिपार्टमेंटों को एक ही जगह पर मर्ज करने पर जोर दिया जाना था लेकिन उससे पहले ही कैप्टन ने मामले में हस्तक्षेप किया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वीसी के इस फैसले से पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन भी नाराज चल रही है। पुटा प्रेसिडेंट प्रो. राजेश गिल ने आपत्ति दर्ज कराते हुए बताया कि जिन डिपार्टमेंटों को मर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की है, उनसे पूछा तक नहीं गया है। वीसी द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया है जिसमें डीयूआइ प्रो. शंकरजी झां, डीन रिसर्च प्रो. आरके सिगला, फिजिक्स डिपार्टमेंट के चेयरमैन प्रो. नवदीप गोयल को शामिल किया गया है। कमेटी में किसी विभाग की टीचिग फैकल्टी शामिल नहीं किया। मुझसे तो पूछा तक नहीं

गिल ने कहा कि सोशोलॉजी डिपार्टमेंट को लेकर भी काफी बातें चल रही हैं लेकिन हैरत की बात है कि मैं इसमें 32 साल से कार्यरत हूं लेकिन मुझे बताया तक नहीं गया है। हम फैसले के पूरी तरह विरोध में है।

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