चंडीगढ़ में आप व कांग्रेस को घेरने में मनोनीत पार्षद भाजपा की करेंगे मदद, सदन की बैठक में दिखेगा प्रभाव

चंडीगढ़ में भाजपा अपने अनुभवी नेताओं को मनोनीत पार्षद बनाकर नगर निगम भेजना चाहती है ताकि सदन में भाजपा के निर्वाचित पार्षदों को स्पोर्ट मिल सके क्योंकि भाजपा को पता है कि इस बार विपक्षी दल के पार्षद ज्यादा है।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Thu, 20 Jan 2022 09:58 AM (IST) Updated:Thu, 20 Jan 2022 09:58 AM (IST)
चंडीगढ़ में आप व कांग्रेस को घेरने में मनोनीत पार्षद भाजपा की करेंगे मदद, सदन की बैठक में दिखेगा प्रभाव
चंडीगढ़ में आप व कांग्रेस को घेरने में मनोनीत पार्षद भाजपा की मदद करेंगे।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। भाजपा अपने अनुभवी नेताओं को मनोनीत पार्षद बनाकर नगर निगम भेजना चाहती है ताकि सदन में भाजपा के निर्वाचित पार्षदों को स्पोर्ट मिल सके क्योंकि भाजपा को पता है कि इस बार विपक्षी दल के पार्षद ज्यादा है। अब भाजपा को कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के पार्षदों का भी सामना करना होगा। इस समय भाजपा के पार्षदों की 13 है जबकि कुल पार्षद 35 है ऐसे में विपक्ष भाजपा पर हावी है।अब सदन में कोई भी प्रस्ताव भाजपा पार्षद अपनी मर्जी से पास नहीं करवा सकते हैं। ऐसे में अब भाजपा को कांग्रेस और आप को भी गंभरीता से लेना होगा और विपक्षी दल भाजपा को हर सदन की बैठक में घेरेगा। 24 जनवरी को होने वाली सदन की बैठक में इसका प्रभाव दिखेगा।

मेयर सरबजीत कौर की बुधवर को बुलाई गई पहली बैठक में भी कांग्रेस और आप ने अपना विरोध जाहिर कर दिया। ऐसे में यह भी मैसेज देने का प्रयास किया गया है कि अब भाजपा अपनी मनमर्जी के प्रस्ताव और नीतियां पास नहीं करवा पाएगी। यह बात भाजपा के आला नेताओं को भी पता है कि आने वाली सदन की बैठक में जमकर हंगामा होगा और सरबजीत कौर के पास राजनीतिक अनुभव की भी कमी है क्योंकि वह पहली बार ही पार्षद चुनकर नगर निगम आई है। ऐसे में भाजपा चाहती है कि जल्द से जल्द प्रशासन की ओर से 9 मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति कर दी जाए ताकि उनमें 5 से ज्यादा नेता उनके ही मनोनीत पार्षद बन जाए जिससे सदन के अंदर भाजपा के पार्षदों को स्पोर्ट मिल जाए।जबकि मनोनीत पार्षदों के पास वोटिंग का अधिकार नहीं है।

कांग्रेस और आप का एक ही लक्ष्य है भाजपा को घेरना।चाहे एजेंडा कोई भी हो।इसलिए आने वाली सदन की बैठक में यह भी देखा जा सकता है कि किसी किसी प्रस्ताव का विरोध आप और कांग्रेस के पार्षद एक साथ करे और यह भी हो सकता है कि यह दोनो विपक्षी दल अपनी मर्जी के प्रस्ताव इकट्ठे होकर पास करवा लें। भाजपा के इस समय जो 13 पार्षद है उनमे भी 8 ऐसे है जो कि पहली बार पार्षद का चुनाव जीतकर आए हैं। मेयर चुनाव के दिन ही आप के पार्षदों ने हंगामा करके भाजपा को पहला ट्रेलर दिखा दिया था।भाजपा को घेरने के लिए कांग्रेस,आप का अकाली दल भी साथ दे सकता है। आम आदमी पार्टी के 14 पार्षदों और कांग्रेस के 7 पार्षदों को भाजपा की मेयर को हर मामले में संतुष्ट करना होगा। भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद भी मनोनीत पार्षद की दौड़ में शामिल है।ऐसा पहली बार हुआ है जब मेयर चुनाव के बाद अब तक मनोनीत पार्षद नियुक्त नहीं हुए हैं। जबकि पहले हर बार मेयर चुनाव से पहले मनोनीत पार्षद नियुक्त होते आ रहे हैं।

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