राष्ट्रीय दलों को टक्कर दे रही आवाज पार्टी, बडे़ दलों के कटेंगे वोट

अविनाश सिंह शर्मा आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Apr 2019 10:42 PM (IST) Updated:Mon, 15 Apr 2019 10:42 PM (IST)
राष्ट्रीय दलों को टक्कर दे रही आवाज पार्टी, बडे़ दलों के कटेंगे वोट
राष्ट्रीय दलों को टक्कर दे रही आवाज पार्टी, बडे़ दलों के कटेंगे वोट

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : चंडीगढ़ की आवाज पार्टी के प्रत्याशी अविनाश सिंह शर्मा आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। यह ऐसी पार्टी, जोकि चुनाव से ठीक पहले सक्रिय हुई है। इन सबके बावजूद यह लोकल पार्टी शहर में इस समय पूरी तरह अपनी मौजूदगी साबित कर रही है। शहर के गांवों, कॉलोनियों, झुग्गी-झोपड़ियों और ईडब्ल्यूएस के मकानों में रहने वाले लोगों से पार्टी के प्रत्याशी व कार्यकर्ता लगातार संपर्क साध रहे हैं। ताकि चुनाव में राष्ट्रीय दलों को सीधा टक्कर दे सकें। शहर में इस समय आगामी चुनाव को लेकर भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है। लेकिन हाल ही में बनाई गई चंडीगढ़ की आवाज पार्टी के कार्यकर्ता दिन रात एक कर लोकसभा चुनाव में अपनी एक पहचान बनाने के लिए जोरशोर से लगे हुए हैं। शहर के मुद्दों से वाकिफ हैं शर्मा

लोकल पार्टी होने के चलते चंडीगढ़ की आवाज पार्टी के प्रत्याशी अविनाश सिंह शर्मा शहर से जुड़े मुद्दों को भलीभांति जानते हैं। पार्टी के कार्यकर्ता स्थानीय लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं। यही कारण है कि यह पार्टी आगामी चुनाव में किसी भी राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दल का वोट बैंक बिगाड़कर सीधा नुकसान कर सकती है। शर्मा कई बार शहर के लोगों व मजदूर वर्ग की मांगों के चलते आंदोलन करते हुए जेल जा चुके हैं। यही कारण है कि शहर के कॉलोनियों, गांवों और मजदूर वर्ग के लोगों की एक बड़ी संख्या चंडीगढ़ की आवाज पार्टी के साथ है। अगर यह पार्टी चाहे तो किसी भी राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दल का वोट बैंक खराब कर उसकी जीत में रोड़ा बन सकती है। गांवों में करीब एक लाख वोटर, पार्टी का यहां है खास फोकस

शहर के गांवों में इस समय करीब एक लाख वोटर हैं। जहां चंडीगढ़ की आवाज पार्टी सेंध लगाकर बैठी है। आगामी चुनाव में इस पार्टी को शहर के गांवों, कॉलोनियों और मजदूर वर्ग के लोगों का वोट मिलने की उम्मीद है। पिछले लोकसभा चुनाव की अगर बात करें तो कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट्स के बीच गांवों के बूथ लेवल पर पड़े वोट को लेकर कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। इस बार भी गांवों के वोट बैंक की राजनीति लोकसभा चुनाव पर असर डालेगी।

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