मोहाली में आस्ट्रेलिया से लौटे मंजीत ने बदली सरसिणी गांव की सूरत; दो झीलों व स्पोटर्स कांप्लेक्स का दिया तोहफा

ढाई हजार की आबादी वाले मोहाली जिले के सरसिणी गांव में आज दो लेक स्पोटर्स कांप्लेक्स के साथ-साथ कई प्रजाति के फूलों से सजे गार्डन सिटिंग हब आदि सुविधाएं मौजूद हैं। मंजीत सिंह ने गांव वालों के साथ मिलकर दो साल में बड़ा बदलाव हासिल किया है।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 06:30 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 06:30 AM (IST)
मोहाली में आस्ट्रेलिया से लौटे मंजीत ने बदली सरसिणी गांव की सूरत; दो झीलों व स्पोटर्स कांप्लेक्स का दिया तोहफा
मोहाली के सरसिणी गांव में हर तरफ सामाजिक संदेश देती हुई पेंटिंग दिखती हैं। (जागरण)

चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। सिटी ब्यूटीफल की बनावट और इसकी सुंदरता देश-विदेश में जानी जाती है। मोहाली जिले का सरसिणी गांव भी इब इसे टक्कर देने लगा है। ढाई हजार की आबादी के इस गांव में आज दो लेक, स्पोटर्स कांप्लेक्स के साथ-साथ कई प्रजाति के फूलों से सजे गार्डन, सिटिंग हब आदि कई प्रकार की सुविधाएं मौजूद हैं। गांव की सूरत बदली है एनआरआई मंजीत सिंह ने। वह आस्ट्रेलिया में 24 साल काम करने के बाद लौटे हैं। उनकी पत्नी राजवंत कौर गांव की सरपंच थी। मंजीत ने पंचायत से मिलकर गांव की शक्ल बदलने की मुहिम शुरू की और उसमें कामयाब रहे।

गांव में सिख इतिहास से जोड़ने के लिए पेंटिंग बनाई जा रही हैं। गांव की हर गली एक ही रंग का पेंट मिलेगा। बिजली के खंभों पर तिरंगा उकेरा मिलेगा। चौराहों पर नजर डालों तो सामाजिक संदेश देते हुई पेंटिंग दिखेंगी। बच्चे बचपन को खेल के लिए भूल न जाएं इसलिए ओपन जिम का निर्माण किया जा रहा है। घर में जगह कम है तो शादी या फिर अन्य कार्यक्रम करने के लिए गांव से बाहर जाकर आपको किराए पर होटल लेने की जरूरत नहीं है। उसके लिए भी स्पेशल प्लेस की तैयारी की जा रही है। यहां पर पांच सौ व्यक्ति इकट्ठे हो सकेंगे।

मोहाली के सरसिणी गांव में सिख इतिहास से जोड़ने के लिए पेंटिंग बनाई जा रही हैं।

सरकारी स्कूलों काे बनाया स्मार्ट

स्मार्ट स्कूल की सुविधाएं पंजाब के सरकारी स्कूलों में देखने को भी नहीं मिलती लेकिन सरसिणी में एक प्राइमरी और एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल है जहां पर एलईडी और प्रोजेक्टर की व्यवस्था की गई है। मकसद है स्टूडेंट्स को आधुनिक तरीके से पढ़ाई करने का मौका देना। प्राइमरी स्कूल में पहले एक ही कमरा था लेकिन अभी तीन कमरों और खेल मैदान निर्माण चल रहा है। 

लेक का किया खुद निर्माण

मंजीत बताते हैं कि जब गांव में काम करने की शुरुआत करने की सोची तो लेबर की जरूरत थी। सबसे पहला प्रोजेक्ट था गांव के छप्पड़ का। उसमें पानी जमा था। उसकी सफाई पर डेढ़ लाख रुपये का खर्च आना था। उनके कहने पर गांव वाले खुद आगे आए। 15 सौ लोगों ने मिलकर चार घंटे में छप्पड़ को खूबसूरत झील में बदल दिया। इसके अलावा गांव में पौधरोपण किया जा चुका है। डेढ़ साल में तीस हजार से ज्यादा पौधे लगाए जा चुके है जिनका रखरखाव गांव वाले खुद कर रहे हैं।

मोहाली के सरसिणी गांव की झील। इसे गांव वालों ने ही मिलकर बनाया है।

पंजाब का बेस्ट गांव बनाना मकसद

गांव के अवतार ने बताया कि दीपावली पर मंजीत सिंह ने पूरे गांव को पेंट कराने का बीड़ा उठाया। जिसमें उन्होंने गांव से पेंट का काम करने वाले लोगों को साथ लिया और सिख इतिहास और नैतिक शिक्षाओं को दीवारों पर उतरवा दिया। मंजीत सिंह ने कहा कि उनका मकसद सरसिणी गांव को पंजाब का बेस्ट गांव होने का अवार्ड दिलाना है। जिसके लिए जी-जान से काम किया जा रहा है।

जानें, कौन हैं मंजीत सिंह

गांव सरसिणी के मंजीत सिंह गांव में दो करोड़ रुपये का विकास करवा चुके हैं।

मंजीत सिंह वर्ष 1995 में आस्ट्रेलिया में नौकरी करने गए थे। वहां जाकर उन्होंने कंस्ट्रक्शन की कंपनी खड़ी की और 24 साल बाद उस कंपनी को छाेड़कर वर्ष 2018 में वापस गांव आ गए। पौने दो साल में मंजीत दो करोड़ रुपये से ज्यादा गांव के विकास के लिए लगा चुके हैं। मंजीत जब खुद गांव के विकास के लिए उतरे तो गांववासियों ने उनका सहयोग दिया और आज पूरा गांव उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा है।

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