ट्रासजेंडर कैदियों को नहीं मिल पाएगा रिहाई का लाभ

-प्रदेश की विभिन्न जेलों में केवल तीन ट्रासजेंडर कैदी -एक ट्रासजेंडर कैदी को सुनाई जा चु

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Sep 2018 01:10 AM (IST) Updated:Wed, 19 Sep 2018 01:10 AM (IST)
ट्रासजेंडर कैदियों को नहीं मिल पाएगा रिहाई का लाभ
ट्रासजेंडर कैदियों को नहीं मिल पाएगा रिहाई का लाभ

-प्रदेश की विभिन्न जेलों में केवल तीन ट्रासजेंडर कैदी

-एक ट्रासजेंडर कैदी को सुनाई जा चुकी है सजा, दो अंडर ट्रायल

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राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: पंजाब की 24 जेलों में बंद ट्रासजेंडर कैदियों को केंद्र सरकार के फैसले का लाभ नहीं मिल पाएगा। सूबे की विभिन्न जेलों में केवल 3 ट्रासजेंडर कैदी ही बंद हैं। इनमें से दो कैदी अंडर ट्रायल हैं, तो एक सजायाफ्ता। जेल प्रशासन की तरफ से हाल ही में सभी जेलों में बंद कैदियों का अलग-अलग तैयार करवाए गए डाटा में इसका खुलासा हुआ है।

केंद्र सरकार ने जुलाई में मामूली अपराधों को लेकर जेलों में बंद कैदियों को छोड़ने का फैसला किया है। सभी राज्यों कों आदेश जारी किए गए हैं कि 2 अक्टूबर को मामूली अपराधों में सजा काट रहे कैदियों की रिहाई की जाए। इसे लेकर छह कैटेगरी बनाई गई हैं। आधी सजा काट चुके ऐसे महिला व पुरुष कैदियों को इन कैटेगरी में शामिल किया गया है, जिनकी उम्र 55 साल से ज्यादा हो। 55 साल की आयु पूरी कर चुकी महिला कैदियों व 60 की आयु पूरी कर चुके पुरुष कैदियों की इस फैसले के बाद रिहाई होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या है। एक अन्य कैटेगरी में ट्रासजेंडरों को भी शामिल किया गया है। इनके लिए भी वही शर्त है कि मामूली अपराध में सजा काट रहे हों और उम्र भी 55 साल से ज्यादा हो।

जेल प्रशासन की ओर से इस संबंध में तैयार करवाए गए डाटा के अनुसार सूबे की जेलों में केवल 3 ट्रासजेंडर कैदी ही बंद हैं। इनमें भी पटियाला जेल में बंद दो ट्रासजेंडर कैदी अंडर ट्रायल हैं। लुधियाना सेंट्रल जेल में केवल एक सजायाफ्ता ट्रासजेंडर कैदी है। उसकी उम्र रिहाई में आडे़ आ गई है। जेल प्रशासन इस आकड़े को तैयार करने के बाद अब इसे बाकी कैदियों के सामने एक नसीहत के रूप में भी पेश करने की तैयारी कर रहा है, क्योंकि 23645 कैदियों में ट्रासजेंडरों की संख्या केवल तीन है। जो अपराध की तरफ जाता है, उसे सोसायटी से निकाल देते हैं: ओशीन

पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे ट्रासजेंडर ओशीन ने कहा कि ट्रासजेंडर अपराध से काफी दूरी बनाकर रहते हैं। उनके पास छत नहीं है, रोटी नहीं है। समाज से निकाले गए हैं। इसलिए छत की आस में कई ट्रासजेंडर डेरों की शरण ले लेते हैं, तो स्वतंत्र विचारों के साथ जीने की चाह रखने वाले खुद संघर्ष करके आगे बढ़ते हैं। ट्रासजेंडरों ने अपनी सोसायटी के नियम बना रखे हैं। उन्हें जो भी तोड़ता है, उन्हें सोसायटी से बाहर कर दिया जाता है। इन नियमों में अपराध से दूर रहने का नियम प्रमुख है। अपराध या देह व्यापार में जो भी ट्रासजेंडर शामिल हैं, उन्हें पुलिस ही अपराध के रास्ते पर धकेल रही है।

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