35 लाख परिवारों को पांच लाख का हेल्थ इंश्योरेंस देने में हाथ-पांव फूले

-प्रति परिवार एक हजार रुपये का प्रीमियम देने से खजाने पर पड़ेगा बोझ - वित्त और स्वास्थ्य विभाग

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Sep 2018 08:37 PM (IST) Updated:Fri, 14 Sep 2018 08:37 PM (IST)
35 लाख परिवारों को पांच लाख का हेल्थ इंश्योरेंस देने में हाथ-पांव फूले
35 लाख परिवारों को पांच लाख का हेल्थ इंश्योरेंस देने में हाथ-पांव फूले

-प्रति परिवार एक हजार रुपये का प्रीमियम देने से खजाने पर पड़ेगा बोझ

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वित्त और स्वास्थ्य विभाग की अपनी दलील, सीएम के पास जाएगा मसला

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इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़: प्रदेश के 35 लाख परिवारों को पांच लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस देने में वित्त विभाग के हाथ-पांव फूल गए हैं। प्रति परिवार एक हजार रुपये का प्रीमियम देने के चलते खजाने पर 350 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है, जिसमें से मात्र 90 करोड़ रुपये ही केंद्र सरकार देगी। ऐसे में शेष राशि कहां से जुटाई जाएगी, इसको लेकर वित्त और स्वास्थ्य विभाग में ठन गई है।

पता चला है कि सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में एक मीटिंग हो चुकी है और अब फाइनल मीटिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग ने फिर से सीएम का दरवाजा खटखटाया है। क्योंकि वित्त विभाग ने जो फाइल भेजी है, उसमें उन्होंने इतनी बड़ी राशि को प्रबंध करने में मुश्किल जताई है।

गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष का बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने का एलान किया था। यह योजना केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर चलानी थी। केंद्र सरकार ने इसमें 60 फीसद हिस्सा देना है। पंजाब में ऐसे परिवारों की गिनती 15 लाख है, लेकिन राज्य सरकार ने साठ हजार रुपये प्रति महीना कमाने वालों के लिए नीले कार्ड बनाए हैं। ऐसे परिवारों की गिनती 35 लाख है। यानी बीपीएल से 20 लाख ज्यादा।

पिछले दिनों जब स्वास्थ्य बीमा देने की मीटिंग हुई तो स्वास्थ्य मंत्री ब्रहम मोहिंदरा ने कहा कि सरकार को सभी नीले कार्ड धारकों को इस योजना के अधीन लेना चाहिए। सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इस पर सहमति जता दी और वित्त विभाग से इसके लिए राशि का प्रबंध करने को कहा। 260 करोड़ रुपये की जरूरत

वित्त विभाग ने 35 लाख लोगों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने के लिए 260 करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाने पर हाथ खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि पहले से ही 4800 करोड़ रुपये के बिल खजाने में लंबित हैं। यही नहीं, बिजली की सब्सिडी समेत कई और तरह की अदायगी भी देने योग्य है। ऐसे में यदि पहले ही साल बीमा राशि अदा न की गई तो कंपनियों का भरोसा उठ जाएगा। हिस्सेदारी लेने पर भी विचार

स्वास्थ्य विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा है कि विभाग ने दो और विकल्प भी तैयार किए हैं, जिसमें स्वास्थ्य बीमा लेने वालों से हिस्सेदारी लेने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके अलावा इस पर भी विचार किया जा रहा है कि भयानक बीमारियों जिनमें कैंसर, दिल का दौरा, हेपेटाइटिस सी आदि शामिल हैं, उनको स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत कवर किया जाए और शेष बीमारियों का इलाज सरकारी अस्पतालों में निशुल्क कर दिया जाए। दो योजनाओं को किया जा सकता है मर्ज

दिलचस्प बात यह है कि सरकार दो योजनाएं पहले से ही चला रही है। इनमें सहकारी विभाग की भाई कन्हैया स्वास्थ्य बीमा योजना और भगत पूरण सिंह स्वास्थ्य बीमा योजना। इन दोनों योजनाओं को मर्ज करके पूरी स्टेट के लिए एक स्वास्थ्य बीमा योजना बनाने के विकल्प के बारे में भी सोचा जा रहा है।

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