कचरा प्रबंधन में कलाकारी, महक रही फुलवारी
विख्यात युवा चित्रकार गुरप्रीत रंगों के साथ तो चित्रकारी के अलावा कचरा प्रबंधन में भी कलाकारी दिखा रहे हैं।
सुभाष चंद्र, बठिडा : विख्यात युवा चित्रकार गुरप्रीत रंगों के साथ तो चित्रकारी के अलावा कचरा प्रबंधन में भी कलाकारी दिखा रहे हैं। पिछले दो सालों से उनके घर का कचरा खाद बनकर उनके मकान की छत पर बनाई हुई किचन गार्डन कम फुलवारी को महका रहा है। घर की छत पर ही आर्गेनिक खाद से तैयार हो रही विभिन्न प्रकार की हरी सब्जियां कभी भी सब्जी मंडी का रुख नहीं करने दे रहीं। बैगन, भिडी, शिमला मिर्च, टमाटर, धनिया, फूल गोभी, पत्ता गोभी, पालक, सलाद पत्ता, हरी मिर्च, करेला, तोरी, कद्दू, टिडे आदि हर मौसम की सब्जियों से उनके घर की छत्त भरी रहती है। चित्रकार गुरप्रीत की इस कलाकारी को देखकर शहर के कई अन्य लोग भी अपने घर के कचरे का सदुपयोग करने लगे हैं।
गुरप्रीत ने बताया कि करीब दो साल पहले ही वह घर के कचरे से खाद तैयार करने लगे हैं। इसमें खास तौर पर सब्जियों व फलों के छिलकों के अलावा चाय पत्ती, पौधों के पत्ते और अंडों के छिलके शामिल हैं। इसके लिए उसने दो प्लास्टिक के ड्रम लगाए हुए हैं। ड्रम के निचले हिस्से में छेद करके उसमें जालीदार कपड़ा बिछा दिया जाता है। उस ड्रम के नीचे एक बाल्टी रखी हुई है। ड्रम में तमाम छिलके, पत्ते, चाय पत्ती एवं अंडों के छिलके डालते रहे हैं। इसमें एक डी-कंपोजर की शीशी डाल दी जाती है। करीब 15 दिनों में ड्रम कचरे से भर जाता है। इसे बीच-बीच में हिलाते रहते हैं। डी कंपोजर के साथ ड्रम में कीड़े पैदा होते हैं जोकि कचरे को खा-खाकर उसकी खाद बना देते हैं। इस खाद से नीचे की बाल्टी में लीक्वड इकट्ठा होता है। यह लीक्वड भी आर्गेनिक खाद ही होता है। 15 दिनों में लीक्वड के रूप में खाद तैयार हो जाती है। इसके एक लीटर को एक पूरी बाल्टी में डालकर उसे पौधों में डाल दिया जाता है। करीब एक महीने में ऊपर के ड्रम में भी खाद तैयार हो जाती है। दोनों ही प्रकार की खाद से उनकी घर की किचन गार्डन महकती रहती है। इतना फल लगता है कि तमाम पौधे भरे रहते हैं। घर की छत पर उसने करीब 20 ड्रम काटकर रखे हुए। इसमें वह लगभग तमाम किस्म की सब्जियां ही उगा रहे हैं। गुरप्रीत कहते हैं कि घर की रसोई के कचरे और पौधों के पत्तों को व्यर्थ में नहीं गंवाना चाहिए, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कचरे से खाद तैयार करें और उस खाद से आर्गेनिक सब्जियां उगाएं। इससे जहां सब्जियों पर होने वाला खर्च बचता है, वहीं कीटनाशक दवाओं से मुक्त सब्जियां भी खाने को मिल जाती हैं।
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