पूर्व मंत्री हरमंदर जस्सी व उसके भाई से पूछताछ करने की मांग
जासं बठिडा विधानसभा चुनाव से चार दिन पहले 31 जनवरी 2017 को मौड़ मंडी में हुए बम धमाके म
जासं, बठिडा : विधानसभा चुनाव से चार दिन पहले 31 जनवरी 2017 को मौड़ मंडी में हुए बम धमाके में अपने मासूम बच्चों को गंवाने वाले तीन पीड़ित परिवारों ने कहा कि अगर एसआइटी पूर्व मंत्री हरमंदर सिंह जस्सी व उसके भाई गोपाल सिंह जस्सी के अलावा डेरा सिरसा प्रमुख गुरमीत राम रहीम से पूछताछ करे तो बम धमाके संबंधी कई अहम सुराग मिल सकते हैं। पीड़ित परिवार ने वीरवार को एसएसपी डॉ. नानक सिंह के समक्ष दर्ज करवाए अपने बयान में मांग की है कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को हरियाणा जेल से प्रोडेक्शन वारंट पर लाकर पूछताछ की जाए।
मौड़ बम धमाके में अपनी जान गवाने वाले मासूम बच्चे जपसिमरन सिंह के पिता खुशदीप सिंह, सौरभ के पिता राकेश कुमार व रिपनदीप सिंह, फूफा नच्छतर सिंह ने नई एसआइटी के पास अपने बयान दर्ज करवाए। पीड़ित परिवार के तीन सदस्यों ने डेरा सच्चा सौदा से जुड़ी प्रमुख कड़ियों को जोड़ने व डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के बेटे को भी जांच में शामिल करने की मांग उठाई। पीड़ित परिवार के खुशदीप सिंह ने कहा कि एसआइटी अपनी रिपोर्ट में कई हम पहलुओं को नजरअंदाज कर रही है। बम ब्लास्ट में मारे गए निर्दोश रिपनदीप के फूफा मास्टर नछत्तर सिंह ने जस्सी व उनके भाई को जांच में शामिल करने के पीछे तर्क दिया कि 31 जनवरी 2017 को हुई जनसभा के दौरान कांग्रेस नेता हरमंदर जस्सी के भाई गोपाल जस्सी को उन्होंने खुद कार सवारों के साथ हाथ मिलाते व बातचीत करते हुए देखा था। वह उनको बोल रहा था कि उनकी गाड़ी तो आगे खड़ी हुई है। इस दौरान उन्होंने मांग की है कि बिना किसी सियासी दबाव के मामले की गहनता से जांच की जाए।
राकेश कुमार ने कहा कि जांच में इस बात को भी केंद्रीत किया जाना चाहिए कि रैली किसके कहने पर रजनीश कुमार की तरफ से आयोजित की गई थी। इस दौरान आयोजकों के पास किस-किस के फोन आए व इस दौरान उनके बीच में क्या बात हुई, इन सभी तथ्यों को जांच में शामिल करे। खुशदीप ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि बम ब्लास्ट को तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन इसमें आज तक एक भी आरोपित की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। उन्होंने डेरा सच्चा सौदा से जुड़े तीन लोगों को आरोपित बनाने के बावजूद गिरफ्तारी नहीं होने पर भी सवाल खड़े किए है। उधर, मौड़ बम ब्लास्ट संघर्ष कमेटी के सदस्य एडवोकेट रविदर सिंह ने आरोप लगाए कि एसआइटी मात्र औपचारिकता पूरी कर रही है। इसका पता इससे चलता है कि हाई कोर्ट की तरफ से नई एसआइटी गठित कर जांच तीन माह में देने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन पुलिस व एसआइटी ने ढाई महीने का समय बिना जांच के गुजार दिया। जिला पुलिस व एसआइटी पिछले दिनों घटनास्थल का दौरा कर चुकी है। आइजी अरूण कुमार मित्तल व एसएसपी बठिडा डॉ. नानक सिंह ने मौड़ मंडी में जनसभा कराने वाले रजनीश कुमार से भी पूछताछ की थी। पीड़ितों की याचिका पर हाई कोर्ट के निर्देश पर बनी नई एसआइटी ने डेरा चेयरपर्सन विपासना सिंह को परवाना भेज 15 व 23 जनवरी को एसआइटी के समक्ष बठिडा में पेश होने को कहा था। विपासना की बजाय उनके प्रतिनिधि पेश हुए। इसके बाद पुलिस ने कहा था कि डेरा प्रबंधन जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। एसआइटी ने सिरसा के साथ बठिडा में डेरा प्रतिनिधि से मौड़ बम ब्लास्ट में इस्तेमाल कार के डेरे की वर्कशॉप में तैयार होने संबंधी भी पूछताछ भी की थी। ब्लास्ट में तीनों भगोड़े आरोपियों गुरतेज काला, अमरीक सिंह व अवतार सिंह तारी के डेरे से जुड़े होने पर एसआईटी ने गिरफ्तारी के लिए कई स्थानों पर छापामारी भी की लेकिन वह हाथ नहीं लग सके हैं। मारे गए लोगों के परिवारों को परवाना भेजकर एसआइटी के समक्ष बठिडा में पेश होने के लिए बीती तीन फरवरी को धारा 160 सीआरपीसी के तहत आदेश दिए थे। 31 जनवरी 2017 को हुए बम धमाके में सात लोगों की मौत हुई थी। इसमें हरपाल सिंह उर्फ पाली वासी जस्सी बागवाली हाल निवासी आवा बस्ती बठिडा, अशोक कुमार निवासी मौड़, वरखा पुत्री अशोक कुमार वासी मौड़, जपसिमरन पुत्र खुशदीप सिंह वासी मौड़ मंडी, सौरव पुत्र राकेश निवासी मौड़ मंडी, रिपनदीप सिंह पुत्र काला सिंह वासी संदोहा तथा अंकुश पुत्र ज्ञान चंद निवासी मौड़ की मौत हो गई थी। इसके बाद थाना मौड़ में धारा 302,307,427,436 आईपीसी तथा एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत 31 जनवरी 2017 को मामला दर्ज किया गया था। इसके तहत ब्लास्ट में मारे गए लोगों के पारिवारिक वारिसों को जांच में शामिल करने के लिए बठिडा में एसआईटी के समक्ष पेश होकर अपने बयान दर्ज करवाने के आदेश दिए थे।