सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस वेलफेयर एक्ट के नियमों में होगा बदलाव, कमेटी तैयार करेगी नई गाइडलाइन

सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस वेलफेयर एक्ट 2007 का बुजुर्गों को कोई ज्यादा फायदा नहीं मिल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 31 Jul 2020 10:54 PM (IST) Updated:Sat, 01 Aug 2020 06:07 AM (IST)
सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस वेलफेयर एक्ट के नियमों में होगा बदलाव, कमेटी तैयार करेगी नई गाइडलाइन
सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस वेलफेयर एक्ट के नियमों में होगा बदलाव, कमेटी तैयार करेगी नई गाइडलाइन

साहिल गर्ग, बठिडा : अपने बेटों व पुत्रवधुओं से प्रताड़ित बुजुर्गों की देखभाल के लिए बनाए गए सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस वेलफेयर एक्ट 2007 का बुजुर्गों को कोई ज्यादा फायदा नहीं मिल रहा है। यह केस एक्ट के नियमों के अनुसार तीन महीनों में क्लियर करने होते हैं। मगर यह सालों तक लटके रहते हैं। इसको देखते हुए अब सीनियर सिटीजन की सुविधा के लिए बनाए गए सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस वेलफेयर एक्ट के नियमों में बदलाव करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी द्वारा पुराने नियमों की पड़ताल कर नए नियम तैयार किए जाएंगे।

सोशल सिक्योरिटी एंड वूमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट के डायरेक्टर की अगुआई में सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस वेलफेयर एक्ट के नियमों में बदलाव करने के लिए कमेटी तैयार की गई है। इसके लिए नई गाइडलाइन को तैयार करने संबंधी 5 सदस्यीय कमेटी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जज के आदेशों पर बनाई गई है। इसके चेयरमैन विभाग के डायरेक्टर होंगे तो मेंबर सचिव ज्वाइंट डायरेक्टर होंगे। इसके अलावा विभाग के ओएसडी लीगल के साथ जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी राज किरत कौर व नवीन गढ़वाल को मेंबर लगाया गया है। इस कमेटी को तैयार करने के पीछे विभाग का मानना है कि सीनियर सिटीजन को अपने केस अप्लाई करने के बाद उसके समाधान के लिए काफी परेशानी होती है। इस कारण पुराने नियमों के चलते केस लंबा चलता है। इसको देखते हुए अब यह कमेटी तैयार की जाएगी। जिसके द्वारा पड़ताल कर नए रूल्स का विस्तार किया जाएगा।

दूसरी तरफ सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस वेलफेयर एक्ट 2007 के तहत अगर कोई आवेदनकर्ता अप्लाई करता है तो उसकी जांच पड़ताल होती है। इसके बाद सीनियर सिटीजन के बच्चों को बुलाया जाता है। मगर बच्चे कई कई तारीखों तक नहीं पहुंचते। इसके लिए उनको कई बार समन भी जारी किए जाते हैं। जब वह पेश होते हैं तब तक तीन महीनों का समय निकल जाता है। इसको लेकर ज्वाइंट डायरेक्टर चरनजीत मान का कहना है कि विभाग की तरफ से कमेटी तो बनाई गई है, जिसके द्वारा आदेश मिलने के बाद काम किया जाएगा। यह कमेटी रूल्स में अमेंडमेंट करेगी।

इन लोगों को मिल सकती है सहायता - कोई भी वरिष्ठ नागरिक, जिसकी आयु 60 वर्ष व उससे ज्यादा है इसके अंतर्गत माता-पिता भी आते हैं, जो कि अपनी आय या अपनी संपत्ति के द्वारा होने वाली आय से अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हैं, वो अपने व्यस्क बच्चों या रिश्तेदारों से भरण पोषण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

- इस अधिनियम में ये भी प्रावधान है कि अगर रखरखाव का दावा करने वाले दादा- दादी या माता-पिता हैं और उनके बच्चे या पोता-पोती अभी नाबालिग हैं तो वो अपने रिश्तेदार जो उनकी मृत्यु के बाद उनका उत्तराधिकारी होगा पर भी दावा कर सकते हैं।

- ऐसी परिस्थिति में जब वरिष्ठ नागरिक इस शर्त पर अपनी संपत्ति अपने उत्तराधिकारी के नाम कर चूका है कि वो उसकी आर्थिक और शारीरिक जरूरतों का भरण पोषण करेगा और ऐसे में अगर संपत्ति का अधिकारी ऐसा नहीं करता है तो माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति वापस ले सकता है।

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