चाइना डोर सहित पकड़े जाने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम तहत हो कार्रवाई

संवाद सहयोगी, ब¨ठडा समाजसेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष सोनू माहेश्वरी ने नेशनल ग्री

By JagranEdited By: Publish:Wed, 17 Jan 2018 03:57 PM (IST) Updated:Wed, 17 Jan 2018 03:57 PM (IST)
चाइना डोर सहित पकड़े जाने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम तहत हो कार्रवाई
चाइना डोर सहित पकड़े जाने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम तहत हो कार्रवाई

संवाद सहयोगी, ब¨ठडा

समाजसेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष सोनू माहेश्वरी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), पीपल फॉर एनिमल्स, एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया, पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्ज को शिकायत कर चाइना डोर (प्लास्टिक से बनी डोर) बेचने, खरीदने, स्टोर करने, इस्तेमाल करने, सप्लाई करने तथा बनाने वालों के खिलाफ बने कड़े कानून के तहत सख्त सजा दिलवाने की मांग की है। उक्त विभागों को भेजी शिकायत में संस्था अध्यक्ष ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा पेटा की याचिका दायर की गई थी, जिसमें देश के सभी राज्यों तथा यूटी को पार्टी बनाया गया था। केस की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार द्वारा अपना पक्ष रखा गया था कि पंजाब में सभी डिप्टी कमिशनरों को चाइना डोर बेचने, खरीदने, स्टोर करने तथा इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगवाने के निर्देश दिए जा चुके हैं तथा अगर एनजीटी द्वारा कोई अन्य आदेश लागू किए जाते हैं तो उनका पालन कर तुरंत करवाई की जाएगी। याचिका पर सुनवाई करते हुए 11 जुलाई, 2017 को ¨सथेटिक धागे यानि प्लास्टिक से बनी डोर जो चाइना डोर के नाम से मशहूर है को मानव, पशुओं, पक्षियों, धरती तथा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के प्रभावों को देखते हुए चाइना डोर बेचने, खरीदने, स्टोर करने, इस्तेमाल करने, सप्लाई करने तथा इस डोर को बनाने पर पूरे देश में पाबंदी लगा दी थी। ऐसा करने वालों के खिलाफ पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 5, प्रोवेशन ऑफ क्रयूलिटी टू एनिमल्स एक्ट, वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए थे। अगर केवल पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 5 के तहत चाइना डोर वालों पर मामला दर्ज किया जाए तो अपराधी को पांच साल की कैद या 1 लाख रुपये जुर्माना अथवा दोनों दंड दिए जाने का प्रावधान है, ¨कतु जिला प्रशासन द्वारा चाइन डोर बेचने, खरीदने, इस्तेमाल करने तथा स्टोर करने पर धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगाया गया है, जिसके अंतर्गत पुलिस द्वारा धारा 188 के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है। इस धारा में चाइना डोर सहित पकड़े गए आरोपी को थाने में ही जमानत मिल जाती है जिसके कारण मौत की इस डोर पर नकेल कसना मुश्किल होता जा रहा है। संस्था द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), पीपल फॉर एनिमल्स, एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया, पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स को शिकायत भेज कर बताया है कि प्रशासन द्वारा कि चाइना डोर (प्लास्टिक से बनी डोर) बेचने, खरीदने, स्टोर करने, इस्तेमाल करने, स्पलाई करने तथा बनाने वालों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों अनुसार पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 5 के तहत मामला दर्ज न करके एनजीटी के आदेशों की धज्जियंा उड़ाई जा रही है। संस्था ने एनजीटी व अन्य संस्थानों से मांग की है कि इस बार पुलिस ने जिन लोगों से चाइना डोर बरामद कर उन पर जमानती धारा 188 के तहत कार्रवाई की है उन पर भी पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा 5 के तहत मामला दर्ज किया जाए और उनके खिलाफ सख्त कानून तहत कार्रवाई की जाए। संस्था अध्यक्ष सोनू माहेश्वरी ने बताया कि चाइना डोर के साथ मानव, पक्षी, पशुओं के साथ हो रही घटनाओं की जानकारी एकत्र की जा रही है तथा इस जानकारी को आधार बना कर पंजाब सरकार सहित जिला प्रशासन के खिलाफ एनजीटी के आदेशों की अवमानना करने संबंधी अगली कार्रवाई की जाएगी।

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