फ्लैग: नरमा उत्पादक किसानों को मुआवजा दिलाने का मामला हेडिंग: किसानों के बाद कांग्रेस ने संभाली कमान

पंजाब सरकार की रणनीति से किसान संगठनों ने बदली रणनीति अकाली दल की सक्रियता देख कांग्रेस प्रधान बाज

By Edited By: Publish:Sun, 04 Oct 2015 07:31 PM (IST) Updated:Sun, 04 Oct 2015 07:31 PM (IST)
फ्लैग: नरमा उत्पादक किसानों को मुआवजा दिलाने का मामला हेडिंग: किसानों के बाद कांग्रेस ने संभाली कमान

पंजाब सरकार की रणनीति से किसान संगठनों ने बदली रणनीति

अकाली दल की सक्रियता देख कांग्रेस प्रधान बाजवा भी सक्रिय

संतोष कुमार शर्मा, ब¨ठडा

मालवा के नरमा उत्पादक किसानों को मुआवजा दिलाने की राजनीति चरम पर है। अकाली दल और आम आदमी पार्टी के बाद अब कांग्रेस भी मैदान में कूद गई है। कांग्रेस प्रधान प्रताप ¨सह बाजवा खुद मालवा के गांवों में किसानी मुद्दे को भुनाने में जुट गए हैं। हालांकि उन्हें पार्टी के ही एक गुट का विरोध झेलना पड़ रहा है। उधर, रविवार को 17 दिनों से धरने पर बैठे किसान मायूसी के साथ गांवों की ओर लौट गए और नए सिरे से संघर्ष करने की तैयारी में जुटने कह बात कह रहे हैं। बताया जाता है कि सत्ताधारी अकाली दल ने इस मुद्दे पर सक्रिय हो जाने और गांवों में नरमा किसानों को कार्यक्रम में चेक बांटे जाने की वजह से ही किसान संगठनों को अपनी रणनीति में बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा।

दरअसल, मालवा में कीटनाशक दवा की वजह से 80 प्रतिशत नरमा की फसल बर्बाद हो चुकी है। इस वजह से तीन किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इसके बाद सात किसान 17 दिन तक लघु सचिवालय के सामने धरना पर बैठे रहे। हालांकि इस दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद धर्मवीर गांधी और भगवंत मान के अलावा कांग्रेस के सांसद रवनीत बिट्टू भी पहुंचे, लेकिन किसानों ने उन्हें धरनास्थल से बाहर करते हुए इस मामले में राजनीति न करने की सलाह दी। इस दौरान सांसद रवनीत बिट्टू के अचानक यहां आकर प्रदर्शन को सियासी पंडितों ने पार्टी की खींचतान माना। अब रवनीत बिट्टू के बाद पंजाब कांग्रेस प्रधान प्रताप ¨सह बाजवा मालवा के किसानों को साधने में जुट गए है, क्योंकि पंजाब सरकार ने नरमा किसानों को मुआवजे के रूप में 600 करोड़ रुपये देने का ऐलान के बाद गांव-गांव में मुआवजा राशि वितरित की जा रही है। इसे देख किसान संगठनों को भी रणनीति में बदलाव करना पड़ा। इतना ही नहीं, केंद्रीय मंत्री हर सिमरत कौर भी लगातार किसानी मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमला बोल रहीं हैं। इसकी वजह से किसान आंदोलन कमजोर पड़ते नजर आया।

माना जा रहा है कि मालवा के गांवों में अकाली दल की सक्रियता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के लगातार किसानी मुद्दे पर बयानबाजी किए जाने की वजह से ही कांग्रेस को भी अपनी सक्रियता बढ़ानी पड़ी। इसी वजह से रविवार को जहां यूथ कांग्रेस ने मोगा में मंत्री तोता ¨सह के निवास स्थान का घेराव करने पहुंची, वहीं प्रताप ¨सह बाजवा श्री मुक्तसर साहिब के गांवों में सक्रिय रहे। सोमवार को ब¨ठडा जिले के आधा दर्जन गांवों का दौरा करने के साथ ही आत्महत्या करने वाले किसान कुलदीप ¨सह के घर चुग्घेकला भी जाएंगे। कांग्रेस के प्रधान प्रताप ¨सह बाजवा का कहना है कि बादल सरकार आवाज को दबाने की कोशिश में जुटी है, जबकि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और मुख्य संसदीय सचिव सरुप चंद ¨सगला का कहना है कि बाजवा किसानी मुद्दे पर सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर का कहना है कि बाजवा अपनी प्रधानगी बचाने के लिए गांवों में किसानी मुद्दे को लेकर जा रहे है। बहरहाल, किसान आंदोलन के समाप्त होते ही कांग्रेस किसानी मुद्दे पर अचानक सक्रिय हो गई, जिसे सियासी जानकार 2017 के विधान सभा चुनाव की तैयारी से जोड़ कर देख रहे हैं।

कैप्टन रहे हैं बादल हलके से दूर

ब¨ठडा। लोकसभा में संसदीय दल के उप नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह राज्य के अधिकतर लोकसभा क्षेत्रों में रैली करके पंजाब सरकार पर हमला बोलते नजर आए, लेकिन अभी तक ब¨ठडा लोकसभा हलके से दूरी रखी। इतना ही नहीं, ब¨ठडा जिले के भगता भाइका और रामपुरा फूल में कैप्टन अम¨रदर ¨सह रैली करने पहुंचे, लेकिन हलके के किसी भी विधान सभा के वर्करों को रैली में नहीं बुलाया गया। इसकी वजह से सियासी पंडित इसे राजनीति के अलग ही चश्मे से देख रहे हैं।

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बाजवा के दौरे पर गुटबाजी हावी

ब¨ठडा। भले ही मालवा के गांवों में किसानी मुद्दे पर पंजाब कांग्रेस प्रधान प्रताप ¨सह बाजवा किसानों को गोलबंद करने में जुट गए हैं, लेकिन इस दौरान कांग्रेस की गुटबाजी भी हावी दिखाई दे रही है। कैप्टन गुट से संबंधित नेता बाजवा से अपनी दूरी पूरी तरह से बनाए हैं। अगर ब¨ठडा जिले की बात की जाए तो बाजवा के दौरान कैप्टन गुट के एक भी वरिष्ठ नेता मौजूद नहीं रहेंगे। इसके बावजूद पार्टी के नेताओं का मानना है कि पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है। गौर हो कि कुछ दिनों पहले ही मालवा के खेतों की खाक छानकर विधानसभा में विपक्ष के नेता और कैप्टन गुट के माने जाते वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुनील जाखड़ भी जा चुके हैं।

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