बिना बीमे के दौड़ रहीं बरनाला डिपो की सरकारी बसें

भूषण ¨सगला, जेएनएन तपा, बरनाला मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक हर व्हीकल का बीमा होना जरूर

By JagranEdited By: Publish:Sat, 20 May 2017 06:01 PM (IST) Updated:Sat, 20 May 2017 06:01 PM (IST)
बिना बीमे के दौड़ रहीं बरनाला डिपो की सरकारी बसें
बिना बीमे के दौड़ रहीं बरनाला डिपो की सरकारी बसें

भूषण ¨सगला, जेएनएन तपा, बरनाला

मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक हर व्हीकल का बीमा होना जरूरी होता है, चाहे वह थर्ड पार्टी ही क्यों न हो। बीमा न होने की सूरत में यदि गाड़ी का कोई हादसा होता है तो अदालत की तरफ से संबंधित गाड़ी मालिक से दावे की रिकवरी की जाती है। इसके अलावा पुलिस की तरफ से भी चालान किए जाते हैं। आरटीआइ तहत जुटाई गई जानकारी में पता चला है कि बरनाला डिपो की सरकारी बसें बीमे से बगैर सड़कों पर दौड़ रही हैं। आरटीआइ कार्यकर्ता सतपाल गोयल ने पीआरटीसी बरनाला डिपो से बसों के बीमे होने संबंधी जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में डिपो मैनेजर ने जो जानकारी दी, वह जानकार बहुत हैरानी हुई कि बरनाला डिपो की कुल 78 बसों में से सिर्फ 3 बसों का ही बीमा करवाया हुआ है, जिसका खर्च 2,41,761 रुपये है। इन बसों का प्रदूषण हेड आफिस की तरफ से खास मशीन भेज कर चेक किया जाता है। इन बसों से पीआरटीसी को वर्ष एक अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक कुल खर्च 2 0,31,10,771 रुपये व आमदन 19,38,35,268 हुई है। बीते वर्ष पीआरटीसी बरनाला को 93 लाख के कमी हुई। बीते वर्ष ही पीआरटीसी की कुल 21 बसें हादसाग्रस्त हो गई।

ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि प्राइवेट ट्रांसपोर्ट करोड़ों रुपये की कमाई करते हैं, परंतु सरकारी बसें हर वर्ष लाखों के घाटे पड़ती हैं जो कि ¨चता का विषय है। इसलिए सरकार को कोई ठोस प्रयत्न करने की जरूरत है। दूसरा सवाल यह पैदा होता है कि सरकार आम लोगों को व्हीकल के बीमे करवाने के लिए मजबूर करती है परंतु सरकारी बसें के बीमे न होना, दीये तले अंधेरे वाली बात साबित होती है।

कोट्स

किलोमीटर स्कीम की बसों को जो भी कंपनी चलाती है उसका बीमा करवाना भी उस कंपनी की जिम्मेवारी होती है। उनके पास पीआरटीसी की तीन बसें हैं जिनका बीमा किया हुआ है।

हरबंस सिंह भट्टी, जीएम पीआरटीसी बरनाला डिपो।

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