सियासी नेताओं की चाल में न फंसे
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानून को रद करवाने व एमएसपी की गारंटी देने का नया कानून बनाने की मांग को लेकर 32 संगठनों पर आधारित संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा रेलवे स्टेशन की पार्किंग में लगाया पक्का मोर्चा वीरवार को 302वें दिन में शामिल हो गया।
संवाद सहयोगी, बरनाला
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानून को रद करवाने व एमएसपी की गारंटी देने का नया कानून बनाने की मांग को लेकर 32 संगठनों पर आधारित संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा रेलवे स्टेशन की पार्किंग में लगाया पक्का मोर्चा वीरवार को 302वें दिन में शामिल हो गया। वक्ताओं ने इस बात का गंभीर नोटिस लिया कि सियासी नेताओं की गांवों में चुनावी रैलियों के कारण ग्रामीण भाईचारे में अनेकता का माहौल है। नेताओं ने कहा कि सियासी नेता हमेशा जाति, धर्म के आधार पर लोगों में दूरियां बनाकर वोट बटोरते हैं। लंबे समय बाद किसान आंदोलन ने यह दूरियां खत्म करने के रीत चलाई है। चुनाव नजदीक आने के कारण सियासी नेता विभिन्न वर्गों के लिए तरह-तरह के वादे लेकर सामने आ रहे हैं। किसी भी सियासी पार्टी के पास लोगों की मुश्किलों के स्थायी हल के लिए कोई सार्थक प्रोग्राम नहीं है। यह नेता गांवों में बैठे अपने वर्करों के माध्यम से किसानों के संगठन की एकता को कमजोर करके रोटियां सेक रहे हैं। लोगों को इनकी चालों से सावधान रहकर अपनी कीमती एकता बचाकर रखनी चाहिए।
वक्ताओं ने बताया कि शहीद ऊधम सिंह का शहीदी दिवस 31 जुलाई को सामराज विरोधी दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। बलवंत सिंह उप्पली, करनैल सिंह गांधी, गुरदेव सिंह मांगेवाल, नारायण दत्त, नछतर सिंह साहौर, जगसीर सिंह सीरा, नेकदर्शन सिंह, बलजीत सिंह चौहानके, गुरमेल शर्मा, मनजीत कौर खुड्डी कलां, बाबू सिंह, उजागर सिंह, रणधीर सिंह ने कहा कि किसान संसद का असर साफ दिखाई देने लगा है। किसान संसद के दबाव अधीन विरोधी सियासी पार्टियों के सांसद न केवल किसानी मांगों की तख्तियां लेकर रोष प्रदर्शन करते नजर आते हैं बल्कि किसान संसद में भी हाजरी लगवाते हैं। खेती कानून रद करवाने के लिए दबाव लगातार बनाकर रखना पड़ेगा। धरने में एक 100 वर्षीय माता करतार कौर कर्मगढ़ की हाजरी का विशेष जिक्र किया गया। धरनाकारियों ने नारे लगाकर बुजुर्ग माता की हाजरी के लिए धन्यवाद किया। करनैल कौर खुड्डी कलां, लखविदर सिंह, नरिदरपाल सिगला ने गीत व कविताएं पेश की।