‘गुरु’ को टिकट मिलने पर नाराज हुए थे ‘गुरु’, बनने लगी थी भाजपा से दूरियां
नवजोत सिंह सिद्धू के भाजपा से दूर होने की पटकथा तभी लिखी जा चुकी थी, जब उनके बजाय अमृतसर से अरुण जेटली को लोकसभा चुनाव में टिकट दिया गया था।
जेएनएन, अमृतसर। गुरु, सिक्सर सिद्धू, शैरी, शैरी पाजी के नामों से जाने जाते नवजोत सिंह सिद्धू ने 2004 में गुरु नगरी में भगवा ब्रिगेड का झंडा उठा अपनी सियासत की पारी शुरू की थी। अमृतसर लोकसभा सीट पर लगातार तीन बार जीत कर हैटिक बनाई। 2014 में भाजपा ने सिद्धू की टिकट काट वरिष्ठ नेता व सिद्धू के राजनीतिक गुरु अरुण जेटली को मैदान में उतारा। तभी से ही सिद्धू और भाजपा में दूरियां बननी शुरु हो गई थीं।
भाजपा की शीर्ष लीडरशिप के आग्रह के बावजूद सिद्धू जेटली के चुनाव प्रचार में नहीं आए। इससे कटुता और बढ़ी। उनकी पत्नी व पंजाब सरकार में मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) रहीं डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने भी जेटली के चुनाव में औपचारिकता मात्र काम किया।
लोकसभा चुनाव के बाद डॉ. सिद्धू ने खुलकर शिअद और भाजपा पर हमले शुरू कर दिए, तभी से कयास लगने शुरू हो गए थे कि दोनों पार्टी छोड़ जाएंगे। पहले दंपती का रुझान आम आदमी पार्टी की तरफ रहा। डॉ. सिद्धू ने तो सीपीएस रहते हुए आप का गुणगान करना शुरू कर दिया था, पर अंतिम समय में वे कांग्रेस में चली गईं और आज सिद्धू ने भी कांग्रेस ज्वाइन कर ली।
सिद्धू ने गुरु नगरी में बनाई हैटिक
अमृतसर लोकसभा सीट के 1952 से चले इतिहास में 17 चुनाव हुए, जिसमें 10 बार सीट कांग्रेस का कब्जा रहा। सिद्धू के आने के बाद भाजपा ने लगातार चुनाव जीता और हैटिक बनाई। 2004 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस के आरएल भाटिया को 1,09,532 मतों से पराजित किया। 2007 में हुए उपचुनाव में सिद्धू ने कांग्रेस के सुरेंद्र सिंगला को पराजित किया। 2004 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर अमृतसर लोकसभा चुनाव जीता। सिद्धू 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ओम प्रकाश सोनी को हरा कर तीसरी बार जीते।
आज पहुंचेंगे गुरुनगरी, 70 रैलियां करेंगे
नवजोत सिंह सिद्धू के दो सीटों से चुनाव लड़ने की बातों को नकारते हुए उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने कहा,‘ सिद्धू जी मेरी अमृतसर ईस्ट की सीट से ही चुनाव लड़ेंगे। वे सोमवार को गुरुनगरी आ जाएंगे और बाकी की रणनीति वे खुद आकर बताएंगे।’ अकाली दल की ओर से पिछले दस सालों से पंजाब में बनाए गए गुंडागर्दी, पंजाब को तबाह करने, माफिया राज के हालात को लोग भूल नहीं हैं। कैप्टन पहले ही पंजाब में सरकार बना रहे थे, ऐसे में सिद्धू के आने के बाद इस पर ओर मुहर लग गई है। सिद्धू पंजाब के 117 विधानसभा सीटों पर 70 रैलियां करेंगे। बाकी जो हाईकमान का आदेश होगा, उसके मुताबिक काम किया जाएगा।
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