गुरु नानक देव अस्पताल को पहनाया सुरक्षा कवच, अब वार्डों में मरीजों के अटेंडेंट ही जा सकेंगे

नितिन धीमान अमृतसर ठहरो! आप कौन हैं? किससे मिलना है? अपना आइडी दिखाओ! अक्सर ऐसी जा

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Mar 2019 01:14 AM (IST) Updated:Sun, 24 Mar 2019 01:14 AM (IST)
गुरु नानक देव अस्पताल को पहनाया सुरक्षा कवच, अब वार्डों में मरीजों के अटेंडेंट ही जा सकेंगे
गुरु नानक देव अस्पताल को पहनाया सुरक्षा कवच, अब वार्डों में मरीजों के अटेंडेंट ही जा सकेंगे

नितिन धीमान, अमृतसर :

ठहरो! आप कौन हैं? किससे मिलना है? अपना आइडी दिखाओ! अक्सर ऐसी जांच-पड़ताल बड़े-बड़े निजी अस्पतालों के प्रवेश द्वार पर मुस्तैद सुरक्षा कर्मियों द्वारा की जाती है। मरीज के अटेंडेंट की पहचान जान लेने के बाद ही उसे अंदर जाने दिया जाता है। अब पंजाब के प्रमुख चिकित्सा संस्थान गुरुनानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में भी ऐसी ही व्यवस्था लागू कर दी गई है।

दरअसल, जीएनडीएच में अब किसी एैरे-गैरे को प्रवेश नहीं मिल रहा। केवल वही लोग अंदर जा रहे हैं जो या तो मरीज हैं या फिर मरीज के अटेंडेंट। इनसे भी कड़ी पूछताछ के बाद ही अंदर भेजा जा रहा है। मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग द्वारा संचालित गुरुनानक देव अस्पताल की सुरक्षा के लिए होमगार्ड जवानों के साथ-साथ एक निजी सुरक्षा एजेंसी के सुरक्षा कर्मचारियों को मुस्तैद किया गया है। अस्पताल का सबसे महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील एरिया है इमरजेंसी वार्ड। किसी भी मरीज को सर्वप्रथम इसी वार्ड में लाया जाता है। इमरजेंसी वार्ड में तैनात होमगार्ड व निजी सुरक्षा एजेंसी के कर्मचारी इमरजेंसी वार्ड का प्रवेश द्वार बंद करके यहां मुस्तैद हैं। मरीज को जब स्ट्रेचर पर लिटाकर इमरजेंसी वार्ड तक लाया जाता है तो फौरन इमरजेंसी द्वार खोल दिया जाता है। मरीज के साथ आए लोगों को बाहर ही रोका जा रहा है। केवल एक अटेंडेंट को अंदर जो दिया जाता है। इसके अलावा यदि कोई शख्स वार्ड में जाने की बात कहता है तो उससे पूछा जाता है कि वह किससे मिलने आया है। मरीज का नाम बताए अपना आईडी दिखाए, इसके बाद ही अंदर जाए।

अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. शिवचरण ने हाल ही में सुरक्षा अधिकारियों संग बैठक कर निर्देश दिया था कि वे सुरक्षा कर्मचारियों को अस्पताल की सुरक्षा में इस तरह तैनात करें जिससे पूरा अस्पताल परिसर कवर हो जाए। वर्तमान में इमरजेंसी वार्ड, ओपीडी, पार्किंग साइड, मेडिसिन व सर्जरी वॉर्डों में सुरक्षा कर्मचारी लगाए गए हैं।

डॉ. सुरिदर पाल की छिन गई थी कुर्सी

3 फरवरी को अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ छेड़छाड़ हुई। छेड़छाड़ करने वाला अस्पताल का ही सुरक्षा कर्मचारी था। महिला डॉक्टर ने मामले की जानकाीर तत्कालीन मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. सुरिदर पाल को दी तो उन्होंने कहा कि सवारी अपने सामान की खुद जिम्मेवार होती है। उनके इस कथन ने इतना तूल पकड़ा गया जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर उनके खिलाफ हड़ताल पर चले गए। बाद में स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिदरा ने मामले की जांच का आश्वासन देकर डॉक्टरों का गुस्सा शांत किया और डॉ. सुरिदर पाल को कुर्सी से हटा दिया गया।

निजी लेबोरेट्री व मेडिकल स्टोर्स के कारिदों पर कसेगी लगाम

अस्पताल में दाखिल मरीजों को सस्ते दाम पर दवाएं देने और लेबोरेट्री टेस्ट करवाने का झांसा देकर ठगने वाले निजी मेडिकल स्टोर्स एवं निजी लेबोरेट्री के कारिदों पर लगाम कसने में यह व्यवस्था कारगर साबित हो सकेगी। असल में ये कारिदे अस्पताल में मंडराते हैं और मरीजों को यह कहकर गुमराह करते हैं कि अस्पताल में टेस्ट नहीं होते, दवाएं नहीं मिलतीं। ये कारिदे मरीजों से मोटी रकम लेकर दवाएं व टेस्ट की सुविधा अस्पताल में ही उपलब्ध करवा देते हैं। सुरक्षा घेरा मजबूत होने से इस पर भी अंकुश लगेगा। होली के रंग में पड़ा था भंग

अस्पताल का सुरक्षा घेरा मजबूत करने की मांग पिछले लंबे समय से उठ रही थी। होली के दिन अस्पताल के साथ सटे मेडिकल कॉलेज में चार बाहरी युवकों ने हुड़दंग मचा। इन युवकों ने होली खेल रहीं छात्राओं को देख अश्लील इशारे किए। इसके बाद मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने इन्हें दबोचकर पुलिस के हवाले किया। बॉक्स.

अवैध पार्किंग खत्म

इमरजेंसी वार्ड के बाहर खाली स्थान को अवैध पार्किंग के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। अब इस अवैध पार्किंग में सुरक्षा कर्मचारी वाहन खड़े नहीं होने दे रहे। यह जगह अब एंबुलेंस के आवागमन के लिए रखी गई है। 'हम सुरक्षा व्यवस्था को हाइटेक बना रहे हैं। एक निजी सुरक्षा एजेंसी के कर्मचारियों को यहां लगाया गया है। इन कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे चारों तरफ नजर रखें। किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को अंदर प्रवेश न करने दें। 26 मार्च के बाद निजी एजेंसी द्वारा और कर्मचारी भेजे जाएंगे। अस्पताल में चारदीवारी बनाई जा रही है। इमरजेंसी वार्ड के पीछे स्थित एक गेट बंद कर दिया गया है। इसी रास्ते से अवांछित तत्व अस्पताल में प्रवेश करते थे और आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे जाते थे। निसंदेह, सारी व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी'

— डॉ. शिवचरण, मेडिकल सुपरिटेंडेंट, जीएनडीएच।

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