ठंड में कैश का इंतजार करते रहे लोग
अमनदीप सिंह, अमृतसर : नोटबंदी का 30वां दिन लोगों के लिए काफी निराशा भरा रहा। सुबह से ठंड व धु
अमनदीप सिंह, अमृतसर : नोटबंदी का 30वां दिन लोगों के लिए काफी निराशा भरा रहा। सुबह से ठंड व धुंध में खड़े लोग बैंक खुलने का इंतजार करते देखे गए। जैसे ही बैंक खुले तो अंदर जाने के लिए लोग धक्कामुक्की करने लगे। शहर के अधिकतर बैंकों में वीरवार को भी कैश नहीं पहुंचा। बटाला रोड की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाहर लोगों ने बैंक अधिकारियों व मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लोगों ने कई घंटे तक रोड जाम कर दिया। कैश न आने के बाद लोग सरकार को कोसते हुए घरों को लौट गए। वीरवार को शहर के एटीएम भी नहीं चले। लोग कैश के इंतजार में घंटों लाइन में खड़े होकर लौट गए।
मोहन नगर की एसबीआई शाखा में 70 वर्षीय बुजुर्ग गुरवंत सिंह निवासी आजाद नगर इस आस से शाखा में बैठे रहे कि शायद कोई बैंकों में पैसे जमा करवा जाए तो उन्हें कुछ पैसे मिल सके। जब उनसे बात की गई, तो उन्होंने कहा कि दो दिन से उनकी शूगर की दवाई खत्म हो चुकी है। मेडीकल स्टोर पर पुराने नोट अब नहीं लिए जाते हैं।
उधर, पीएनबी शाखाओं के बाहर लोग पैसे जमा करवाने वालों का इंतजार करते रहे। मगर कोई भी बैंकों में पैसे जमा करवाने नहीं पहुंचा है। अमर सिंह निवासी मकबूलपूरा ने कहा कि बैंक कर्मी अपने जान-पहचान वालों को पैसे दे देते हैं और आम जनता को सिर्फ धक्के खाने पड़ते हैं। बटाला रोड स्थित पंजाब नेशनल बैंक के बाहर जब लोगों को सुबह सात बजे से खड़े रहने के बाद भी बैंक से कैश नहीं मिला तो लोगों ने दोनों तरफ से सड़कों पर जाम लगा दिया और बैंक प्रबंधन व सरकार विरोधी नारेबाजी करनी शुरू कर दी। पुलिस बल ने कड़ी मशक्कत के बाद लोगों को शांत करवाकर रास्ता खुलवाया।
एचडीएफसी बैंक लारेस रोड मेन शाखा के बाहर खड़े हरकीरत सिंह ने बताया कि वह सुबह सात बजे से बैंक के बाहर गहरी धुंध में खड़े हैं परंतु दोपहर चार बजे तक उन्हें बैंक प्रबंधन की तरफ से कुछ नहीं दिया गया। चमरंग रोड स्थित एसबीआई बैंक की शाखा पर खड़े नजायब सिंह ने बताया कि वह पिछले 14 दिनों से लगातार बैंक के चक्कर काट रहा है, लेकिन उन्हें पैसे नहीं मिल रहे हैं।
आज कैश नहीं आया
वीरवार को कैश आने की उम्मीद थी, लेकिन आज भी कैश नहीं आया है। हम तो सुबह से कैश का इंतजार कर रहे हैं। मगर कैश नहीं आया है। कोई कैश जमा करवाने भी नहीं आ रहा है।
-प्रदीप कुमार, मुख्य मैनेजर, पीएनबी।