अस्पतालों में ओपीडी रही बंद, इमरजेंसी में ही हुआ मरीजों का इलाज

कोलकाता में डॉक्टरों पर हुए हमले के विरोध में अमृतसर के सभी निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं ठप रहीं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 Jun 2019 11:51 PM (IST) Updated:Mon, 17 Jun 2019 11:51 PM (IST)
अस्पतालों में ओपीडी रही बंद, इमरजेंसी में ही हुआ मरीजों का इलाज
अस्पतालों में ओपीडी रही बंद, इमरजेंसी में ही हुआ मरीजों का इलाज

जागरण संवाददाता, अमृतसर : कोलकाता में डॉक्टरों पर हुए हमले के विरोध में अमृतसर के सभी निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं ठप रहीं। निजी डॉक्टरों ने मरीजों की जांच नहीं की। वहीं सोमवार को कबीर जयंती थी, जिसके चलते सरकारी अवकाश होने की वजह से सरकारी अस्पतालों में भी ओपीडी बंद रही। हालांकि निजी एवं सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं पूर्ववत ही जारी रहीं, लेकिन जो लोग ओपीडी में अपनी जांच करवाना चाहते थे, उन्हें निराशा ही हाथ लगी। गुरुनानक देव अस्पताल व सिविल अस्पताल सहित निजी अस्पतालों में हजारों मरीज डॉक्टर को तलाश करते दिखाई दिए।

दरअसल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आह्वान पर सोमवार को जिले के सभी निजी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बाधित कर दी गईं। आइएमए से संबंधित सभी डॉक्टर्स सुबह दस बजे रेसकोर्स रोड स्थित आइएमए हॉल पहुंचे। यहां डॉक्टर्स की बैठक हुई। आइएमए के अध्यक्ष डॉ. इंद्रबीर सिंह निज्जर ने कहा कि कोलकाता के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक मरीज की मौत के बाद लोगों ने डॉक्टरों को पीटा। एक डॉक्टर के सिर ही हड्डी टूट गई। उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। दुख का विषय है कि आरोपितों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। डाक्टर हमेशा ही असुरक्षा के माहौल में काम करते रहे हैं। इस अवसर पर डॉ. बीएल गोयल, डॉ. रविदत्त शर्मा, डॉ. राहुल अरोड़ा, डॉ. हरविदर सिंह हीर, डॉ. अमनदीप कौर सहित शहर के प्रमुख डॉक्टर्स उपस्थित थे।

डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए बने कानून : डॉ. निज्जर

डॉ. निज्जर ने कहा कि डॉक्टरों पर हमला करने वालों के खिलाफ कानून में अभी कोई प्रावधान नहीं। पंजाब में कानून है, जिसके अनुसार तीन साल की कैद व पचास हजार जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन इस कानून में आइपीसी की धारा नहीं जोड़ी गई। जब कोई डॉक्टर शिकायत लेकर थाने जाता है तो पुलिस साफ कहती है कि कानून कहां है, धारा कहां है। हम कैसे कार्रवाई करें? केंद्र सरकार ऐसा कानून बनाया जो सभी राज्यों में लागू हो। इसके अनुसार डॉक्टर पर हमला करने वालों को सात साल की सजा व आर्थिक दंड लगाया जाए। इसके अलावा अस्पताल की संपत्ति के नुकसान की भरपाई भी करवाई जाए।

सुबह छह बजे तक जारी रहेगी हड़ताल

डॉ. निज्जर ने कहा कि हड़ताल के बावजूद हम मरीजों की परेशानी समझ रहे हैं। सभी डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं जारी रखी हैं। ट्रीटमेंट से लेकर टेस्ट सब कुछ हो रहा है। सिर्फ ओपीडी में मरीजों की जांच नहीं कर रहे। अपनी मांगें मनवाने का हमारे पास यही तरीका है। आइएमए की हड़ताल मंगलवार सुबह छह बजे तक जारी रहेगी।

कार्रवाई न हुई तो सेवाओं का करेंगे बहिष्कार : डॉ. सेठी

डॉ. राबिदर सिंह सेठी ने कहा कि यदि सरकार अब भी नहीं जागी तो सभी डॉक्टर सेहत सेवाओं का पूर्णत: बहिष्कार कर देंगे। आज छोटे-बड़े सभी अस्पताल बंद हैं। इससे साफ है कि डॉक्टरों के मन में सरकार के प्रति खासा गुस्सा है। कानून है, पर इसे लागू नहीं किया जा रहा। इसका नतीजा है कि डॉक्टरों पर लगातार हमले हो रहे हैं और आरोपितों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।

सरकारी अस्पतालों में भी मरीजों को मिली निराशा

निजी अस्पतालों की ओपीडी बंद होने के बाद ज्यादातर मरीज सरकारी अस्पतालों में पहुंचे। गुरुनानक देव अस्पताल एवं सिविल अस्पताल में मरीजों का भारी जमावड़ा लगा रहा, लेकिन सरकारी अवकाश होने की वजह से इन अस्पतालों की ओपीडी भी बंद थी। गुरुनानक देव अस्पताल में पहुंचे कश्मीर सिंह ने बताया कि वह शुगर के पेशेंट हैं। निजी अस्पताल से उपचार करवा रहा था, पर आज वहां डॉक्टर नहीं मिले तो यहां चला आया। यहां भी डॉक्टर नहीं हैं। इसी तरह सर्बजीत सिंह, कश्मीर कौर, राजन शर्मा सहित दर्जनों मरीज सरकारी अस्पताल पहुंचे, लेकिन ओपीडी के बाहर ताले लटके देख मायूस हो गए।

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