चीन से बिगड़े रिश्तों से फार्मा उद्योग तनाव में

चीन के साथ बिगड़े रिश्तों का असर सीधे तौर पर फार्मा उद्योग पर पड़ रहा है। मौजूदा समय में चीन से रॉ मैटीरियल की सप्लाई चेन बहुत ही ज्यादा ढीली हो चुकी है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 Aug 2020 12:03 AM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 06:06 AM (IST)
चीन से बिगड़े रिश्तों से फार्मा उद्योग तनाव में
चीन से बिगड़े रिश्तों से फार्मा उद्योग तनाव में

हरीश शर्मा, अमृतसर

चीन के साथ बिगड़े रिश्तों का असर सीधे तौर पर फार्मा उद्योग पर पड़ रहा है। मौजूदा समय में चीन से रॉ मैटीरियल की सप्लाई चेन बहुत ही ज्यादा ढीली हो चुकी है। उस कारण फार्मा यूनिट बहुत सारे सॉल्ट ही तैयार नहीं कर पा रही। सॉल्ट तैयार न होने के कारण बाजार में इनकी शॉटेज होने लगी है। सप्लाई न होने के कारण जिन स्टॉक्सिटों के पास पहले से जमा रॉ मटीरियल पड़ा है अब उसे काफी महंगे दाम पर बेच रहे है। हैरानी की बात यह है कि भारत में फार्मा संबंधी 90 प्रतिशत रॉ मैटीरियल चीन से ही आता है। ऐसे में रोजमर्रा में प्रयोग होने वाले सॉल्ट जिनमें नीमोस्लाइड, पैरासिटामोल, टेलमिसार्टन, डोक्सीफाइलिन, ऑफलॉक्सिन, सिपरोफ्लॉक्सिन शामिल है, में कमी आनी शुरू हो गई है। महंगे दामों पर मिल रहा रॉ मैटीरियल

लघु उद्योग भारती के प्रधान व एडिसन फार्मास्यूटिकल के मालिक अमित कपूर ने बताया कि अमृतसर में फार्मा के करीब 30 यूनिट है। चीन के साथ हालात बिगड़ने से पहले जितना आयात हो चुका है, केवल उतना ही रॉ मटीरियल बाजार में मौजूद है। इसके अलावा भारतीय कंपनियों के पास इतनी ज्यादा प्रोड्क्शन नहीं है कि वह पूरे देश में जितनी जरूरत है, उतना मटीरियल सप्लाई कर सकें। इससे फार्मा इंडस्ट्री की प्रोड्क्शन पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है। दूसरी तरफ चीन से आने वाला रॉ मटीरियल भारतीय कंपनियों के मुकाबले सस्ता मिलता है। सर्जिकल सामान में भी कमी आई

लिट्टां फार्मेसी के मालिक तेजिदर सिंह ने बताया कि जहां एक तरफ दवाइयां बनाने वाली कंपनियां मुशिकल झेल रही है, सर्जिकल सर्जीकल संबंधित सामान में भी गिरावट आई है। यह सब कुछ चीन पर ही निर्भर है। अब भले ही कुछ सप्लाई शुरू हो गई है। मगर रफ्तार बहुत ही ढीली है। उसका असर सीधे तौर पर फार्मा की मार्केट पर पड़ रहा है और मेडिकल स्टोरों पर भी हर एक दवाई उपलब्ध नहीं हो पा रही।

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