निजी स्कूलों के खिलाफ पेरेंट्स का Þसाइलेंट प्रोटेस्टÞ

निजी स्कूलों की मनमानियों से परेशान पेरेंट्स ने साइलेंट प्रोटेस्ट के जरिये अपनी आवाज बुलंद की।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 May 2019 12:27 AM (IST) Updated:Wed, 22 May 2019 06:28 AM (IST)
निजी स्कूलों के खिलाफ पेरेंट्स का Þसाइलेंट प्रोटेस्टÞ
निजी स्कूलों के खिलाफ पेरेंट्स का Þसाइलेंट प्रोटेस्टÞ

अखिलेश सिंह यादव, अमृतसर

निजी स्कूलों की मनमानियों से परेशान पेरेंट्स ने 'साइलेंट प्रोटेस्ट' के जरिये अपनी आवाज बुलंद की। हाथों में निजी स्कूलों की लूट की लिखित तख्तियां व पोस्टर पकड़े हुए अभिभावकों ने मुंह पर काली पट्टियां बांधी हुई थीं। आरोप लगाया कि प्रशासन व जिला शिक्षा विभाग की निजी स्कूलों पर कोई भी बंदिश नहीं है। निजी स्कूल मनमाने ढंग से लूटने में लगे हुए हैं। अमृतसर पेरेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले अभिभावकों ने कंपनी बाग चौक पर साइलेंट प्रदर्शन किया।

एसोसिएशन के सदस्य संदीप कुरल ने बताया कि निजी स्कूल पेरेंट्स को लूटने में लगे हैं। एक निजी स्कूल में सीबीएसई की टीम जांच करने के लिए पहुंची है, परंतु उन्हें टीम के सदस्यों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। अभिभावकों का आरोप था कि हर साल स्कूल करोड़ों रुपये मुनाफे में रहने के बावजूद विद्यार्थियों की फीस बढ़ाकर पेरेंट्स पर बोझ डाल रह हैं। एनसीईआरटी बुक्स के अलावा खास प्रकाशकों की बुक्स को तरजीह दी जा रही है। स्कूल की ओर से निर्धारित दुकानों पर विद्यार्थियों की यूनिफॉर्म मिल रही है और दुकानदार मनचाहा दाम वसूल रहे हैं। इस मौके पर अनूप मैनी, रोहित, अमन महाजन, रोहित खन्ना, विशाल, अजय मेहता, पंकज, हेमंत जोशी, राकेश कुमार, शम्मी आदि मौजूद थे।

पेरेंट्स की मांगें

- निजी स्कूलों द्वारा हर साल बढ़ाई जा रही बेतहाशा फीस वृद्धि पर नकेल कसी जाए।

-एनसीईआरटी बुक्स स्कूलों में पढ़ाई जाए। दूसरे प्रकाशक की बुक खरीदने का दबाव न डाला जाए।

-स्कूल में दसवीं तक पढ़ने वाले विद्यार्थी को बिना डोनेशन 11वीं में दाखिला दिया जाए।

-स्कूल की कमाई सोसायटी में ट्रांसफर की जा रही है। स्कूल का पैसा स्कूल के विकास व बच्चों पर खर्च होना चाहिए।

-स्कूल सेफ वाहन पॉलिसी को लागू करें।

-बच्चों के स्कूल बैग भारी हैं। नियम नहीं अपना रहे स्कूल।

-विद्यार्थी को अभी भी अध्यापक फिजीकल पनिशमेंट दे रहे हैं, जिस पर रोक लगनी चाहिए।

-यूनिफॉर्म व बुक लेने के लिए दुकानें निर्धारित नहीं होनी चाहिएं।

स्कूल प्रबंधक कमेटियों के प्रधानों का रवैया भी ठीक नहीं

कई पेरेंट्स ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधक कमेटियों के प्रधान का पेरेंट्स के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं है। कुछ निजी स्कूल प्रधानों की जागीर बन गए हैं। ऐसे प्रधानों का बच्चों की पढ़ाई से कोई सरोकार नहीं है। उन्हें पेरेंट्स या दूसरे व्यक्ति से बातचीत करने का सलीका भी नहीं है। वह 3-4 हजार की स्ट्रेंथ के स्कूल के प्रधान मनोनीत हैं और प्रिसिपल सहित सारा स्टाफ उनकी जी-हजूरी करता है। ऐसे प्रधान सारा दिन बाजार में दुकानदारी करते हैं और कुछ समय के लिए स्कूल में आकर भी स्कूल की फीसों के हिसाब-किताब में जुट जाते हैं।

chat bot
आपका साथी