लाकडाउन का डर, दूसरे राज्यों के लोग लौटने लगे अपने घर

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By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 07:09 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 07:09 PM (IST)
लाकडाउन का डर, दूसरे राज्यों के लोग लौटने लगे अपने घर
लाकडाउन का डर, दूसरे राज्यों के लोग लौटने लगे अपने घर

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लाकडाउन का सता रहा डर, दूसरे राज्यों से आए लोग जाने लगे अपने घर

कईयों के परिवार वाले फोन कर बुला रहे अपने गांव जासं, अमृतसर: पंजाब में कोरोना के बढ़ रहे मामलों के कारण सरकार लगातार बंदिशें बढ़ा रही है। सरकार ने अभी नाइट क‌र्फ्यू लागू किया है। वहीं कई प्रदेशों में वीकेंड लाकडाउन लग चुका है। इसी कारण पंजाब में रह रहे दूसरे राज्यों के लोगों को भी यहां लाकडाउन लगने का डर सताने लगा है। इसी वजह से वह अपने घरों की तरफ रुख करने लगे हैं। इनमें यूपी-बिहार से आए हुए वह लोग हैं जो यहां मेहनत मजदूरी करते हैं।

पिछले वर्ष उन्हें लाकडाउन के कारण दो वक्त की रोटी नसीब होना मुश्किल हो गया था, लेकिन वह इस बार ऐसी परिस्थितियों से नहीं गुजरना चाहते। दैनिक जागरण की टीम ने रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर ऐसे कई लोगों से बातचीत की, तो उन्होंने अपने घर जाने का कारण यही बताया कि पंजाब में लाकडाउन लगने की संभावना के कारण वह घर जा रहे हैं। उन्हें घर से यही फोन आ रहे हैं कि वह अपने घर आ जाएं। फिलहाल यूपी-बिहार की तरफ जाने वाली ट्रेनें फुल हो चुकी हैं। इनमें टिकट भी नहीं मिल रही है। घर से फोन आया, गांव आ जाओ

गोरखपुर जा रहे मुरलीधर का कहना है कि वह नमक मंडी में ठेला चलाने का काम करता है। उसके घर से फोन आया कि कहीं फिर से पंजाब में लाकडाउन न लग जाए, इसलिए पहले ही घर आ जाओ। वहीं पर खेती करके 3-4 महीने तक रहेंगे, जब उन्हें लगेगा कि अब समय ठीक है तो वह वापस पंजाब आ जाएंगे। इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहते

गौंडा जा रहे आसाराम का कहना था कि पिछले वर्ष उन्हें रोजगार से हाथ धोना पड़ गया था। इसका सीधा असर उस पर पड़ा था। वह दो वक्त का खाना भी नहीं खा पाए थे। वह समय बहुत मुश्किल भरा था। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार ने नाईट क‌र्फ्यू लगाया है, उससे लग रहा है कि कहीं लाकडाउन न लग जाए, इसलिए वह घर जा रहे है। पिछले साल को याद कर रहे लोग

गौंडा जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर पहुंचे अब्दुल राय का कहना था कि लाकडाउन के कारण पिछले साल यह हो गए थे कि दूसरे राज्यों से आए लोगों को घर जाने का इंतजाम नहीं हो सका तो वह पैदल ही अपने घरों की तरफ चल पड़े थे। ऐसे हालत अब याद करते है तो रौंगटे खड़े हो जाते है। परिवार वाले उन्हें बुला रहे है कि वह आ घर आ जाए तो जा रहा हूं।

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