डॉ. जसविदर सिंह ने खोजीं केंचुए की 15 प्रजातियां

। खालसा कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. जसविदर सिंह का जूलोजी का खोज प्रपत्र ग्लोबल डिस्ट्रीब्यूशन आफ अर्थवार्म डीवर्सिटी अमेरिकन एसोसिएशन फार एडवांसमेंट आफ साइंस की ओर से विश्व विख्यात जरनल साइंस में प्रकाशित किया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Nov 2019 12:45 AM (IST) Updated:Thu, 21 Nov 2019 06:11 AM (IST)
डॉ. जसविदर सिंह ने खोजीं केंचुए की 15 प्रजातियां
डॉ. जसविदर सिंह ने खोजीं केंचुए की 15 प्रजातियां

जागरण संवाददाता, अमृतसर

खालसा कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. जसविदर सिंह का जूलोजी का खोज प्रपत्र ग्लोबल डिस्ट्रीब्यूशन आफ अर्थवार्म डीवर्सिटी अमेरिकन एसोसिएशन फार एडवांसमेंट आफ साइंस की ओर से विश्व विख्यात जरनल साइंस में प्रकाशित किया गया है।

यह खोज प्रपत्र विश्व भर के 140 केंचुए से जुड़े खोज वैज्ञानिकों की ओर से संयुक्त तौर पर लिखा गया। जिसमें 57 देशों के 6928 स्थानों के आंकड़े शामिल हैं। यह खोज प्रपत्र केंचुए व पर्यावरण में तबदीली के कारण आए प्रसार व विभिन्नता को दर्शाता है।

खालसा कॉलेज गवर्निग कौंसिल के आनरेरी सचिव राजिदर मोहन सिंह छीना ने प्रो. जसविदर सिंह को बधाई दी। कॉलेज के प्रिसिपल डॉ. महल सिंह ने डॉ. जसविदर सिंह को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने अपनी खोज अलेक्सजेंडर हमबोल्ट फैलोशिप के अधीन जर्मनी व साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग भारत सरकार की ओर से अर्थवार्म बायोडाइवर्सिटी आफ पंजाब विषय पर उक्त प्रोजेक्ट संपूर्ण किया। उन्होंने केंचुए की 15 प्रजातियों की खोज की। यह खोज खेती योग्य जमीन को अधिक उपजाऊ बनाने के प्रयास में सहायक होगी।

डॉ. जसविदर सिंह के अनुसार पंजाब के बहुत इलाकों में केंचुए की जनसंख्या व विभिन्नता लुप्त होती जा रही है। यह जीव कुछ जंगलों व बागों तक सीमित होकर रह गए हैं। केंचुए किसानों के मित्र कीड़े हैं। आज इसकी एक ही प्रजाति पंजाब में मिल रही है। उन्होंने कहा कि आजकल केंचुए का हम वर्मीकंपोस्ट बनाने में प्रयोग कर रहे हैं। इस अवसर पर मुखी जूलोजी विभाग के डॉ. जसजीत कौर रंधावा ने प्रिसिपल व मैनेजमेंट के सहयोग के लिए धन्यवाद किया।

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