पंजाब में नहीं मिला मान, भारत की झोली में सोना डाल हरियाणा का बढ़ाया सम्मान

अमृतसर की तहसील अजनाला के कस्बा हर्षा छीना में खुशी का माहौल है। यहां जन्मे अरपिंदर सिंह ने एशियन गेम्स में देश की झोली में स्वर्ण पदक डाल दिया।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 30 Aug 2018 01:02 PM (IST) Updated:Fri, 31 Aug 2018 08:27 PM (IST)
पंजाब में नहीं मिला मान, भारत की झोली में सोना डाल हरियाणा का बढ़ाया सम्मान
पंजाब में नहीं मिला मान, भारत की झोली में सोना डाल हरियाणा का बढ़ाया सम्मान

अजनाला [अमन देवगन]। अमृतसर की तहसील अजनाला के कस्बा हर्षा छीना में खुशी का माहौल है। यहां जन्मे अरपिंदर सिंह ने एशियन गेम्स में देश की झोली में स्वर्ण पदक डाल दिया। यह अरपिंदर का सपना भी था और जुनून भी। उसे जानने वाले और परिवार वाले कहते हैैं कि मुकाम को हासिल करने के लिए अरपिंदर ने जीतोड़ मेहनत की। साल 2014 में जून में लखनऊ में 17.17 मीटर के साथ उसने ट्रिपल जंप में राष्ट्रीय रिकार्ड अपने नाम करने के बाद इसी साल अगस्त में कॉमनवेल्थ गेम्स में देश की झोली में कांस्य पदक डाला।

एशियन गेम्स में जाने से पहले लगी कमर में चोट, लेकिन तैयारी जारी रखी

आर्मी से रिटायर्ड उसके पिता जगबीर सिंह का सीना आज और चौड़ा हो गया है क्योंकि वे हमेशा यही चाहते थे कि उनका बेटा देश के लिए कुछ करे। उन्होंने कहा कि अरपिंदर को बचपन से ही खेलों से लगाव था। पढ़ाई के साथ-साथ वह खेलों में भी हिस्सा लेता। एशियन गेम्स में जाने से पहले उसकी कमर में चोट लग गई। इसके बावजूद उसने तैयारी जारी रखी। उसे गोल्ड मेडल मिलने से परिवार के साथ साथ पूरा गांव खुश है।

रेस में हाथ आजमाया, फेल हुआ तो चुनी ट्रिपल जंप की राह

अरपिंदर सिंह आठ साल की उम्र में ही खेलों से जुड़ गए थे। उन्होंने 100, 200 और 400 मीटर रेस में हिस्सा लिया, लेकिन नाकाम रहने के बाद कोच की सलाह पर ट्रिपल जंप की तरफ रुख किया। कुछ माह की प्रैक्टिस के बाद अरपिंदर को महसूस हुआ कि वह ट्रिपल जंप में बेहतरीन परफार्म कर सकते हैैं। इसके बाद अरपिंदर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

परिवार को मलाल, पंजाब में खिलाड़ियों की कद्र नहीं

अरपिंदर के भाई शमशेर सिंह ने अरपिंदर की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए पंजाब सरकार के खिलाफ रोष भी जताया। शमशेर सिंह ने कहा कि उसका भाई हरियाणा के कोटे से खेला। कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ियों पर हरियाणा सरकार ने पैसों की बरसात की।

अरपिंदर को पंजाब सरकार ने सिर्फ छह लाख रुपये देने की घोषणा की थी, जिसका उसे मलाल था। इसके बाद वह हरियाणा में सेटल हो गया और हरियाणा की तरफ से ही खेल रहा है। 2014 में अरपिंदर ने पंजाब की तरफ से भारत का प्रतिनिधित्व कॉमनवेल्थ गेम्स में किया था।

वहीं, पिता जगबीर सिंह ने कहा कि कि उन्हें अपने बेटे पर नाज है, पर पंजाब सरकार से उन्हें नाराजगी है। पंजाब सरकार अपनी खेल नीति में सुधार करने की जरुरत है, नहीं तो ऐसे ही पंजाब के खिलाड़ी दूसरे राज्यों की ओर से खेलेंगे। अगर सरकार ने सुविधाएं दी होतीं तो इस गोल्ड मैडल के साथ पंजाब सरकार का नाम भी जुड़ जाता।

भाई ने दिया रक्षाबंधन का तोहफा

अरपिंदर की छोटी बहन विमलप्रीत कौर ने कहा कि उसके भाई ने उसे रक्षाबंधन का तोहफा दिया है। उसे फख्र है कि वह अरपिंदर की बहन है। उसने कहा कि 'हमारी मेरी खुशी में पूरा गांव शामिल है। पूरे गांव में लोग जश्न मना रहे है। ढोल की थाप पर भंगड़ा डाल रहे हैं। यह मेरे लिए बेहद भावुक क्षण हैं।'

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