पहले टूट गई होती रेलवे की नींद तो नहीं होता अमृतसर हादसा, 62 की मौत के बाद जागा

रेलवे पहले नींद से जाग गया होता तो अमृतसर में हादसे में 62 लोगों की जान नहीं गई होती। इस मार्ग पर रेल लाइन के दाेनों ओर चारदीवारी बनाई जानी थी, लेकिन इसमें लेटलतीफी हो गई।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 27 Oct 2018 07:34 AM (IST) Updated:Sat, 27 Oct 2018 12:37 PM (IST)
पहले टूट गई होती रेलवे की नींद तो नहीं होता अमृतसर हादसा, 62 की मौत के बाद जागा
पहले टूट गई होती रेलवे की नींद तो नहीं होता अमृतसर हादसा, 62 की मौत के बाद जागा

अंबाला, [दीपक बहल]। रेलवे पहले नींद से जाग गया होता तो अमृतसर में हादसे में 62 लोगों की जान नहीं गई होती और 143 लोग घायल नहीं हुए होते। अमृतसर रेल हादसे में भले ही किसी भी जांच से पल्ला झाड़ लिया है लेकिन अब ट्रैक किनारे चाहरदीवारी बनाने को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। रेलवे मंत्रालय ने अप्रैल 2018 में 500 करोड़ रुपये बजट पास करते हुए सभी जोन को रेलवे ट्रैक किनारे चारदीवारी बनाने को लेकर दिशा निर्देश जारी कर दिए थे। इसमें अमृतसर में जिस रेल रूट पर हादसा हुआ वह भी शामिल था, लेकिन इस पर काम नहीं हुआ। इन आदेशों में स्पष्ट हिदायत दी गई थी कि जिस ट्रैक से राजधानी दौड़ती है वहां पर प्राथमिकता के आधार पर चाहरदीवारी बनाई जानी थी। बजट होने के बावजूद इसे खर्च करने में रेलवे की लेटलतीफी रही।

अमृतसर रेल हादसे के बाद रेलवे ट्रैक के साथ चाहरदीवारी पर मथापच्ची

अब हादसे के बाद अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है कि रेलवे का कितना बड़ा सेक्शन है और कहां कहां चारदीवारी हो चुकी है। ताज्जुब की बात यह समाने आई है कि महज पांच से दस फीसद सेक्शन पर दीवार बनी हुई है। अब हरकत में आया रेल प्रशासन अब जल्द ही ट्रैक किनारे चारदीवारी का टेंडर डालेगा जिसमें अंबाला मंडल की बात करें तो इसमें अंबाला, चंडीगढ़ व सहारनपुर रेलवे स्टेशन शामिल हैं। करीब सात करोड़ रुपये की लागत से इन तीनों स्टेशन के ट्रैक किनारे चाहरदीवारी बनाने का प्रस्ताव है।

जिन मुख्य लाइनों से राजधानी दौड़ती है वहां प्राथमिकता पर बनाई जानी है चाहरदीवारी

जागरण को मिले दस्तावेजों के मुताबिक 18 अप्रैल 2018 को रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर सिविल इंजीनियर प्लाङ्क्षनग पंकज त्यागी की ओर से देश भर के सभी ङ्क्षप्रसिपल चीफ इंजीनियर्स के साथ पत्राचार किया गया था। इस पत्र के माध्यम से बताया गया था कि बोर्ड ने 500 करोड़ रुपये ग्रुप ए के स्टेशनों तथा ट्रेनों के ज्यादा आवागमन वाले रूट्स वाले ट्रैक की चाहरदीवारी पर खर्च करने थे।

बताया गया था कि जिन रेल मार्गोां पर अतिक्रमण अथवा राजधानी गाडिय़ों की आवाजाही है और चपेट में आने की ज्यादा संभावना रहती है वहां चारदीवारी बनाई जाए। चूंकि, राजधानी स्पीड़ 130 से अधिकतम 160 तक है तो यहां जरूरी बताया गया था। इन आदेशों में दिल्ली से मुंबई, दिल्ली से हावड़ा के बीच चलने वाली ट्रेनों का विशेष जिक्र है।

अमृतसर में जिस ट्रैक पर हादसा हुआ है वहां भी राजधानी एक्सप्रेस का दौड़ती है। इन आदेशों पर रेलवे की लेटलतीफी रही है क्योंकि कई मंडलों में अभी टेंडर ही नहीं डल पाया है। हालांकि, अमृतसर हादसे के बाद रेलवे ने चाहरदीवारी को लेकर कोई लिखित आदेश तो जारी नहीं हुए लेकिन अधिकारियों से मौखिक जवाब तलबी कर सेक्शन की स्थिति जानी जा रही है।

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महाप्रबंधक को ढ़ाई करोड़ तक के टेंडर की शक्ति
 

सूत्रों के मुताबिक मंडलों के अधिकारी अब ट्रैक चाहरदीवारी बनाने के प्रस्ताव पर तेजी दिखा रहे हैं। महाप्रबंधक को करीब अढ़ाई करोड़ की ही शक्ति प्रदान है और देखा जा रहा है कि टेंडर की कीमत से ज्यादा न हो। इससे ऊपर के टेंडर लंबी प्रक्रिया के तहत रेलवे बोर्ड से पास होते हैं।

करीब 50 करोड़ का होगा उत्तर रेलवे का बजट

प्रिंसिपल चीफ इंजीनियर नवीन चोपड़ा ने कहा कि रेलवे बोर्ड की ओर से 500 करोड़ का पत्र पहले जारी हुआ था। उत्तर रेलवे की बात करें तो करीब 50 करोड़ रुपये अंबाला, दिल्ली, मुरादाबाद, फिरोजपुर व लखनऊ मंडल में खर्च किए जाने हैं।

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