कुरान से कुछ आयतें हटाने की मांग पर रिजवी ने दाखिल की पुनर्विचार याचिका, जानें क्‍या दी दलील

उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से अपनी उस याचिका को वापस ले लिया जिसमें उन पर लगाए गए 50 हजार रुपये के जुर्माने को माफ करने की मांग की गई थी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 05 Jul 2021 07:44 PM (IST) Updated:Tue, 06 Jul 2021 12:09 AM (IST)
कुरान से कुछ आयतें हटाने की मांग पर रिजवी ने दाखिल की पुनर्विचार याचिका, जानें क्‍या दी दलील
वसीम रिजवी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से जुर्माने की माफी संबंधी याचिका को वापस ले लिया।

नई दिल्ली, पीटीआइ। उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कुरान की 26 आयतें हटाने की मांग संबंधी उनकी याचिका खारिज करने और उन पर 50 हजार रुपये जुर्माना लगाने वाले शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ उन्होंने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।

याचिका को वापस ली

जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीआर गवई की पीठ को अधिवक्ता देब कुमार ने बताया कि रिजवी ने 12 अप्रैल के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की है और उनकी जुर्माना माफ करने संबंधी याचिका निष्फल हो गई है। उन्होंने इस याचिका को वापस लेने की अनुमति मांगी जो अदालत ने प्रदान कर दी।

कुरान की 26 आयतों को हटाने की बात

12 अप्रैल को अदालत ने रिजवी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने कुरान की 26 आयतों को देश के कानून की विरोधी बताते हुए हटाने की मांग की थी। उनका कहना था कि ये आयतें कथित रूप से चरमपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं।

लगाया था 50 हजार रुपये का जुर्माना

इस तरह की अर्थहीन याचिका दाखिल करने और सुप्रीम कोर्ट का कीमती समय बर्बाद करने के लिए जस्टिस नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने ही उन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। रिजवी ने अपनी याचिका में कहा था कि इस्लाम समानता, क्षमा और सहिष्णुता की अवधारणा पर आधारित है, लेकिन कुरान की उक्त आयतों की चरमपंथी व्याख्या की वजह से धर्म अपने बुनियादी सिद्धांतों से दूर जा रहा है।

याचिका का जमकर विरोध

रिजवी की इस याचिका का काफी विरोध हुआ था और कई मुस्लिम संगठनों व इस्लामी धर्मगुरुओं ने उनका विरोध किया था। मार्च में बरेली में उनके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज कराई गई थी जिसमें उन पर अपनी याचिका के जरिये मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया गया था।

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