वेतन वृद्धि मांग पर बोले वरुण गांधी, अमीर सांसद छोड़ें सैलरी

सुल्तानपुर से भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर से लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है।

By Manish NegiEdited By: Publish:Sun, 28 Jan 2018 06:15 PM (IST) Updated:Mon, 29 Jan 2018 12:08 PM (IST)
वेतन वृद्धि मांग पर बोले वरुण गांधी, अमीर सांसद छोड़ें सैलरी
वेतन वृद्धि मांग पर बोले वरुण गांधी, अमीर सांसद छोड़ें सैलरी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वेतन भत्ते में बढ़ोत्तरी की मांग को लेकर मुखर हो रहे सांसदों के बीच से ही इसके खिलाफ भी आवाज उठी है। सुल्तानपुर से भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर से लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है। साथी सांसदों को यह बात चुभ सकती है लेकिन उन्होंने कहा कि लोकसभा के सांसदों की औसत संपत्ति लगभग 15 करोड़ और राज्यसभा के सदस्यों की 20 करोड़ रुपये है। इन पर सालाना सरकार के तीन- चार सौ करोड़ रुपये खर्च होते हैं। फिर बढ़ोत्तरी किस बात की? जरूरत तो यह है कि अपने सामाजिक कर्तव्यों के लिए मासिक वेतन भी छोड़ दें। कम से कम वृद्धि को किसी हालत मे नहीं होनी चाहिए।

गौरतलब है कि सदन में शायद ही कोई ऐसा सत्र जाता हो जब सांसदों की ओर से वेतन वृद्धि की बात न उठती हो। ऐसे सदस्य भी जोरदार समर्थन करते दिखते हैं जिनकी घोषित संपत्ति भी करोड़ों में होती है। खुद प्रधानमंत्री का मानना है कि समाज के प्रति जिम्मेदार दिखते हुए सांसदों के वेतन वृद्धि के लिए अलग से एक स्वतंत्र संस्था होनी चाहिए। लेकिन उसके बावजूद भाजपा के सदस्य भी वेतन वृद्धि को लेकर दबाव बनाते रहे हैं। ऐसे में वरुण ने एक नई रेखा खींची है। पिछले सप्ताह लोकसभा अध्यक्ष को पत्र को लिखकर उन्होंने कुछ आंकड़े रखे हैं जिसके अनुसार 16वीं लोकसभा में प्रतिव्यक्ति संपत्ति 14.60 करोड़ रुपये हैं। राज्यसभा में यह 96 फीसद सदस्य करोड़पति हैं और उनकी औसत संपत्ति 20.12 करोड़ रुपये हैं। वर्तमान स्थिति में प्रति सांसद मासिक रूप से सरकार 2.7 लाख रुपये खर्च करती है।

वरुण ने सांसदों को उनके प्रदर्शन की भी याद दिला दी। पत्र में उन्होंने कहा- 'क्या हम वाकई भारी बढ़ोत्तरी के लायक हैं? ' सदन की बैठक 1952 में 123 से घटकर 2016 में 75 पर आ गई है। बीते पंद्रह वर्षो में बिना चर्चा के ही चालीस फीसद विधेयक पारित हुए हैं। भारत में असमानता का अंतर बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सांसदों को समाज के प्रति संवेदनशील होना ही चाहिए।

उन्होंने कहा कि ऐसे कुछ सांसद जरूर हैं जिनकी आजीविका वेतन पर निर्भर करती है। उन्हें छोड़ दिया जाए तो बाकी के 90 फीसद सदस्यों को कम से कम 16वीं लोकसभा तक के लिए स्वैच्छिक रूप से वेतन छोड़ देना चाहिए। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से अपील की कि इसके लिए आंदोलन शुरू करें।

दैनिक जागरण ने जब उनके वेतन के बाबत पूछा तो उन्होंने कहा कि वह अपने संसदीय क्षेत्र में गरीबों को आवास के लिए प्रयासरत हैं। अपने साथ साथ समाज के दूसरे लोगों व संस्था से भी पैसा इकट्ठा कर उन्हें पक्का आवास मुहैया कराया जा रहा है।

chat bot
आपका साथी