RSS नेता कृष्‍ण गोपाल बोले, भारत में इस्लाम के आगमन के बाद पनपी छुआछूत बुराई

RSS नेता कृष्‍ण गोपाल ने कहा है कि भारत में इस्‍लाम के आने के बाद ही छुआछूत का चलन शुरू हुआ। अंग्रेज बांटों और राज करो की नीति के तहत दलित शब्‍द को प्रचलन में लाए थे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Tue, 27 Aug 2019 09:22 AM (IST) Updated:Tue, 27 Aug 2019 09:54 AM (IST)
RSS नेता कृष्‍ण गोपाल बोले, भारत में इस्लाम के आगमन के बाद पनपी छुआछूत बुराई
RSS नेता कृष्‍ण गोपाल बोले, भारत में इस्लाम के आगमन के बाद पनपी छुआछूत बुराई

नई दिल्‍ली, एएनआइ। RSS leader Krishna Gopal राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्‍ठ नेता कृष्‍ण गोपाल ने सोमवार को एक कार्यक्रम में दावा किया कि भारत में इस्‍लाम के आने के बाद ही छुआछूत का चलन शुरू हुआ। यही नहीं देश को दलित शब्द के बारे में जानकारी नहीं थी क्योंकि यह अंग्रेजों का षड्यंत्र था जो बांटों और राज करो की नीति के तहत इसे प्रचलन में लाए थे। उन्‍होंने कहा कि आरएसएस शुरू से जाति विहीन समाज का पक्षधर रहा है।  

कृष्‍ण गोपाल ने कहा कि छुआछूत का पहला उदाहरण इस्लाम के आने के बाद देखने को मिला। यह राजा दाहिर (Raja Dahir’s) के घर में तब देखने को मिला जब उनकी रानियां जौहर (खुद को आग के हवाले करना) करने जा रही थीं। उन्‍होंने मलेच्छ शब्द का इस्‍तेमाल करते हुए कहा था कि रानियों को जल्द जौहर करना चाहिए अन्‍यथा ये मलेच्छ उन्हें छू लेंगे जिससे वे अपवित्र हो जाएंगी। बता दें कि राजा दाहिर सिंध के आखिरी हिंदू राजा थे। यह भारत में छुआछूत का पहला उदाहरण था।

संघ नेता ने बताया कि कैसे जिन जातियों की पहले इज्जत की जाती थी वह अब पिछड़ी हो गई हैं। गोपाल कृष्‍ण ने कहा कि आज मौर्य (Maurya caste) एक पिछड़ी जाति है जो पहले ऊंची जाति हुआ करती थी। पाल बंगाल के राजा हुआ करते थे लेकिन आज वह पिछड़े हो गए हैं। आज बुद्ध की जाति शाक्य अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में आ गई है। हमारे समाज में दलित शब्द मौजूद नहीं था। यह अंग्रेजों की साजिश थी जो हमें बांटकर राज करना चाहते थे। यहां तक कि संविधान सभा ने भी दलित शब्‍द को तरजीह नहीं देते हुए उसकी जगह अनुसूचित जाति शब्द का इस्तेमाल किया था।

उन्‍होंने इस्‍लामिक शासनकाल को काला युग बताते हुए कहा कि देश की आध्यात्मिकता की गहरी जड़ों के कारण हम इस अंधकार युग से बचे रहे। जाति व्यवस्था की बुराइयों पर बोलते हुए गोपाल कृष्‍ण ने कहा कि भारत में जाति व्‍यवस्‍था थी लेकिन छुआछूत नहीं थी। जब लोग गाय का मांस खाते थे तब वे अछूत घोषित हुए। यह बात खुद बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी ने भी लिखी है। धीरे-धीरे यह समाज में यह बुराई फैलती गई और समाज के एक बड़े हिस्से को अछूत करार दिया गया। लंबे समय तक उनका उत्पीड़न और अपमान किया गया। रामायण लिखने वाले महर्षि वाल्मीकि दलित नहीं थे, बल्कि शूद्र थे। उन्‍हें हमारे समाज में महर्षि जैसी उपमा से सम्‍मानित किया गया। 

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