विदिशा के बजाय इस जगह से चुनाव लड़ना चाहती थीं सुषमा, शिवराज सिंह के कहने पर बदला इरादा

सुषमा स्वराज 20 नवंबर 2018 को इंदौर आई थीं और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने यहां पत्रकारों से चर्चा में कहा था कि वह आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगी।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Wed, 07 Aug 2019 03:59 AM (IST) Updated:Wed, 07 Aug 2019 06:37 AM (IST)
विदिशा के बजाय इस जगह से चुनाव लड़ना चाहती थीं सुषमा, शिवराज सिंह के कहने पर बदला इरादा
विदिशा के बजाय इस जगह से चुनाव लड़ना चाहती थीं सुषमा, शिवराज सिंह के कहने पर बदला इरादा

जेएनएन, भोपाल। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मध्य प्रदेश और भोपाल से खास नाता रहा है। वह मप्र से राज्यसभा सदस्य रहीं, इसके साथ विदिशा से दो बार लोकसभा के लिए चुनी गई। विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने भोपाल से चुनाव लड़ने की संभावना टटोली थी लेकिन, पार्टी के कई समीकरणों की वजह से वह विदिशा से चुनाव लड़ीं। वह नाश्ते में अक्सर गोभी के पराठे खाना पसंद करतीं थीं।

सुषमा स्वराज और उनके परिवार के करीबी रहे पूर्व विधायक जितेंद्र डागा बताते हैं कि 2009 में जब लोकसभा चुनाव आया तो हमने उनसे कहा कि भोपाल से आप करीब दो लाख वोटों से जीत सकती हैं। इसके बाद उन्होंने पार्टी में भोपाल से चुनाव लड़ने के लिए बातचीत भी की थी, लेकिन भाजपा के अंदरूनी समीकरण की वजह से उन्होंने फैसला बदला। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कहने पर वह विदिशा से चुनाव लड़ीं।

डागा के मुताबिक सुषमा स्वराज भोपाल आती थीं तो नाश्ते में अक्सर गोभी के पराठे खाना पसंद करतीं थीं। इसके बाद दोपहर और शाम को वह महज एक रोटी खाती थीं। डागा ने बताया कि 2006 में जब हम सुषमा स्वराज से मिलने गए तो उन्होंने बताया था कि तमिलनाडु से मुझे राज्यसभा में भेजा जा रहा है। कुछ दिनों बाद उनका फोन आया कि तैयारी करो, मैं मप्र से राज्यसभा जाउंगी। आडवाणीजी से बात हो गई है। स्वराज ने करीब 25 साल पहले भोपाल में घर भी खरीदा था, हालांकि बाद में उसे बेच दिया। लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा में वह भोपाल से सवार हुई थीं और पटना तक गई थीं।

इंदौर में किया था लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान
सुषमा स्वराज ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान इंदौर में किया था। वह 20 नवंबर 2018 को इंदौर आई थीं और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने यहां पत्रकारों से चर्चा में कहा था कि वह आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगी।

गीता को भारत लाकर माता-पिता से मिलाने का किया प्रयास
पाकिस्तान की एक सामाजिक संस्था में बचपन से रह रही मूक-बधिर गीता के माता-पिता के भारत में होने की जानकारी मिलने पर सुषमा स्वराज ने उसे परिजन से मिलाने का वादा किया था। 26 अक्टूबर 2016 को गीता दिल्ली पहुंची थी। स्वराज ने उसे बेटी माना व माता-पिता से मिलाने कोशिश की। 27 अक्टूबर को उसे इंदौर के स्कीम नंबर 71 में स्थित एक मूक-बधिर संगठन को सौंपा गया। इसके बाद वह उससे मिलने भी आई। उन्होंने हर समय उससे संपर्क में रहते हुए मदद की। माता-पिता को खोजने के साथ ही उन्होंने गीता की शादी करने की इच्छा भी जताई थी। इसके बाद गीता की शादी के लिए 'स्वयंवर' का आयोजन भी किया गया था। गीता भी उन्हें अपनी मां का ही दर्जा देती थी। पिछले कई दिनों से वह सुषमा स्वराज से मिलने की जिद कर रही थी।

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