RTI Act में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
RTI Act में संशोधनों को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सूचना का अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम में संशोधनों को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने नोटिस पर केंद्र से चार हफ्ते में जवाब तलब किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि संशोधनों के जरिये सूचना आयोग के अधिकारों में कमी की गई है।
पिछले साल कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया था कि संस्था से बदला लेने के उद्देश्य से सरकार सूचना का अधिकार अधिनियम में संशोधन ला रही है क्योंकि उसने सरकार के झूठे दावों को उजागर कर दिया था। सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान जयराम रमेश ने सरकार द्वारा अधिनियम को कमजोर करने के पीछे पांच कारण बताए थे।
कांग्रेस नेता का कहना था कि 2003 से 2013 के बीच गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री (नरेंद्र मोदी) को उनके राज्य में स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति पर जवाब देने के लिए योजना आयोग में आने के लिए बाध्य किया गया था। गुजरात के मुख्यमंत्री जब 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अपना बदला लिया और योजना आयोग को खत्म कर दिया। आज प्रधानमंत्री पांच मामलों में अपना बदला ले रहे हैं क्योंकि इन मामलों में सूचना आयोग के आदेश से सरकार का झूठ उजागर हो गया।
इनमें प्रधानमंत्री की शैक्षिक योग्यता, बोगस राशन कार्ड के मामले में प्रधानमंत्री का झूठा दावा, नोटबंदी पर रिजर्व बैंक की नामंजूरी को उजागर करना, तत्कालीन रिजर्व बैंक गवर्नर द्वारा टॉप एनपीए डिफॉल्टरों की सूची देना और विदेश से लाई गई कालेधन की राशि उजागर करना। ये सभी मामले सरकार को शर्मसार करने वाले हैं। लिहाजा संशोधन विधेयक लाने का असल मकसद सूचना आयोग को दंतविहीन और प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर कार्य करने वाली संस्था बनाना है।