सुप्रीम कोर्ट ऐसा मंच नहीं जहां कोई आए और कुछ भी कहकर चला जाए

सीवीसी जांच रिपोर्ट पर सीबीआइ के निदेशक आलोक वर्मा के जवाब और डीआइजी एमके सिन्हा के आरोप मीडिया में लीक होने पर सुप्रीम कोर्ट आग बबूला हो गया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 20 Nov 2018 10:04 PM (IST) Updated:Wed, 21 Nov 2018 12:44 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ऐसा मंच नहीं जहां कोई आए और कुछ भी कहकर चला जाए
सुप्रीम कोर्ट ऐसा मंच नहीं जहां कोई आए और कुछ भी कहकर चला जाए

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की जांच रिपोर्ट पर सीबीआइ के निदेशक आलोक वर्मा के जवाब और डीआइजी मनीष कुमार सिन्हा के सनसनीखेज आरोप मीडिया में लीक होने पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को आग बबूला हो गया। गुस्से में शीर्ष कोर्ट ने यह तक कह दिया कि दोनों पक्षों के वकील किसी सुनवाई के 'हकदार' नहीं हैं। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की, 'कोर्ट कोई ऐसा मंच नहीं है, जहां कोई कुछ भी कह कर चल दे।'

दो बार सुनवाई, पर लीक ही मुद्दा
सीजेआइ की पीठ ने मंगलवार को दो बार सुनवाई की, लेकिन कड़ी नाराजगी जताते हुए साफ कहा कि वह सीवीसी और अन्य किसी पक्ष को नहीं सुनेगी। कोर्ट ने सुनवाई को कथित लीक और मनीष सिन्हा के आरोपों के मीडिया में प्रकाशन तक ही सीमित रखा। पीठ में जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ भी शामिल थे।

याद दिलाया पिछला निर्देश
पीठ ने सबसे पहले मौजूद सभी पक्षों को अपना पिछला निर्देश याद दिलाया, जिसमें उनसे सीवीसी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट और आलोक वर्मा के जवाब को लेकर गोपनीयता बरतने तथा सीबीआइ की गरिमा कायम रखने को कहा गया था।

नरीमन से कहा, आप वरिष्ठ वकीलों में
जैसे ही कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई, पीठ ने एक न्यूज पोर्टल में प्रकाशित खबर की प्रति दिखाते हुए आलोक वर्मा की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील फली एस. नरीमन से कहा, 'यह आपके लिए है मिस्टर नरीमन, आलोक वर्मा के वकील के नाते नहीं, बल्कि आप संस्थान के सबसे आदरणीय व वरिष्ठ वकीलों में से एक हैं, इसलिए हम आपको यह बता रहे हैं, हमारी मदद कीजिए।'

इस पर नरीमन ने खबर देखी और कहा, ''यह पूरी तरह 'अनधिकृत' है। इस लीक से बहुत व्यथित और आहत हूं।'' कोर्ट ने आलोक वर्मा के एक अन्य वकील गोपाल शंकर नारायणन से भी इसी मुद्दे पर सवाल किए। नरीमन को न्यूज पोर्टल की खबर की कॉपी सौंपने के बाद यह कहकर सुनवाई 29 नवंबर तक स्थगित कर दी, 'हम नहीं समझते कि आप में से कोई भी किसी सुनवाई के हकदार हैं।'

नरीमन से पूछा, यह क्या चल रहा है?
इस बीच, जस्टिस गोगोई ने मामले से संबंधित कुछ कागजात स्टाफ से मांगे जिन्हें ढूंढने में स्टाफ को समय लग गया, जस्टिस गोगोई ने इस पर भी नाराजगी जताई। हालांकि बाद में कागजात मिलने के बाद कोर्ट ने अदालत से बाहर जा रहे नरीमन को फिर बुलाया और उन्हें कागजात देते हुए कहा कि यह सोमवार का मामला है। वह जानना चाहते हैं कि यह क्या चल रहा है?

चंद मिनट में फिर कोर्ट रूम में पहुंचे नरीमन
सुनवाई स्थगित किए जाने के चंद मिनट बाद नरीमन फिर कोर्ट रूम में दाखिल हुए और दोबारा सुनवाई का आग्रह किया, जिसकी इजाजत दे दी गई। जब दोबारा सुनवाई हुई तो नरीमन ने कहा, 'चर्चा का विषय बनी खबर न्यूज पोर्टल ने 17 नवंबर को प्रकाशित की थी। यह सीवीसी की प्रारंभिक जांच के दौरान आलोक वर्मा द्वारा दिए गए जवाबों पर आधारित है, जबकि सीवीसी की जांच रिपोर्ट पर आलोक वर्मा का जवाब 19 नवंबर को दाखिल किया गया है।'

न्यूज पोर्टल व पत्रकारों को कोर्ट में तलब किया जाए
मीडिया रिपोर्ट पर सुनवाई के पहले चरण में नरीमन ने कोर्ट से आग्रह किया, 'इसने जिम्मेदार प्रेस व प्रेस की आजादी जैसे शब्दों को नया मोड़ दे दिया है। न्यूज पोर्टल व उसके पत्रकारों को कोर्ट में तलब किया जाना चाहिए।' नरीमन ने हैरानी जताते हुए कहा था, 'यह कैसे हो सकता है? यह जिस तरह हुआ है, उससे मैं खुद हिल गया हूं।'

न्यूज पोर्टल ने ट्वीट कर दी सफाई
इस बीच, रिपोर्ट लीक होने को लेकर न्यूज पोर्टल ने ट्वीट कर सफाई दी, 'यह खबर सीवीसी द्वारा आलोक वर्मा से पूछे गए सवालों पर उनके जवाबों पर आधारित है। यह सीलबंद लिफाफे में नहीं थे और न ही सुप्रीम कोर्ट के लिए थे। सुप्रीम कोर्ट को सीवीसी की फाइनल रिपोर्ट पर आलोक वर्मा के जवाब सीलबंद कवर में सौंपे गए हैं, हमने उन्हें नहीं देखा है।'

मनीष सिन्हा के आरोप उजागर होने से भी चिढ़ा सुप्रीम कोर्ट
सीजेआइ की पीठ ने सीबीआइ के नागपुर ट्रांसफर किए गए डीआइजी मनीष कुमार सिन्हा की याचिका के अंश भी खबर के रूप में मीडिया में जारी होने को लेकर नरीमन के समक्ष नाराजगी जताई। सीजेआइ गोगोई ने कहा, 'कल (सोमवार) हमने सिन्हा की याचिका की अर्जेट सुनवाई से इन्कार कर दिया था।

हमने कहा था कि इसमें सर्वोच्च गोपनीयता बरती जाए, लेकिन एक वादी ने इसका हमारे सामने उल्लेख (मेंशनिंग) किया और बाहर जाकर याचिका सबको बांट दी। इस संस्थान का सम्मान कायम रखने के हमारे प्रयासों को इन लोगों ने साझा नहीं किया।' सीवीसी की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता कुछ कहने को खड़े हुए तो पीठ ने कहा, 'हम कुछ नहीं सुनेंगे, किसी को नहीं सुनेंगे।'

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