अलग-थलग पड़े प्रवीण तोगड़िया का पीएम को पत्र, लिखे निजी शिकवे-शिकायत

मोदी को लिखे पत्र में विहिप के मुद्दे नहीं के बराबर है और निजी शिकवा-शिकायत की भरमार है।

By Arti YadavEdited By: Publish:Thu, 15 Mar 2018 11:12 AM (IST) Updated:Thu, 15 Mar 2018 11:12 AM (IST)
अलग-थलग पड़े प्रवीण तोगड़िया का पीएम को पत्र, लिखे निजी शिकवे-शिकायत
अलग-थलग पड़े प्रवीण तोगड़िया का पीएम को पत्र, लिखे निजी शिकवे-शिकायत

नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। विश्व हिंदू परिषद से बाहर किए जाने का खतरा झेल रहे प्रवीण तोगड़िया अब राम मंदिर के साथ-साथ किसानों, मजदूरों और बेरोजगारों की बात की है। इस सिलसिले में बात करने के लिए उन्होंने बाकायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र तक लिखा है। कभी विहिप के फायर ब्रांड नेता रहे प्रवीण तोगड़िया बुधवार को पहली बार अपने मीडिया कार्यालय में अकेले दिखे। मोदी को लिखे पत्र में विहिप के मुद्दे नहीं के बराबर है और निजी शिकवा-शिकायत की भरमार है।

विहिप के अंदरूनी सूत्र प्रवीण तोगड़िया के नए पैंतरे को संगठन के आगामी चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। मंगलवार को ही विहिप के सभी न्यासियों को पत्र लिखकर संगठन चुनाव शुरू होने की सूचना दी गई है। चुनाव में प्रवीण तोगड़िया को अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के पद से हटाया जाना तय माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार विहिप की ओर से तोगड़िया को अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का पद छोड़ने के एवज में आजीवन संरक्षक का पद देने की पेशकश की गई थी। लेकिन तोगड़िया ने इसे स्वीकार नहीं किया।

बुधवार को प्रवीण तोगड़िया ने रामजन्म भूमि का मुद्दा जरूर उठाया। लेकिन इस मुद्दे पर भी उनके पास सरकार पर हमला करने का कोई ठोस आधार नहीं दिखा। उनका कहना था कि रामजन्मभूमि का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में नहीं सुलझाया जाना चाहिए, क्योंकि 80 के दशक में इसे संसद से कानून बनाकर हल करने की मांग रखी गई थी। तोगड़िया से जब दैनिक जागरण ने पूछा कि उन्होंने निजी तौर पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है या फिर विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष की हैसियत से। इसके जवाब में तोगड़िया ने दावा किया कि विहिप और वह एक ही हैं। दोनों को कभी अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने 10 साल की उम्र में स्वयंसेवक बनने और इसके लिए घर-बार, काम-धाम सब कुछ त्याग देने की दुहाई दी।

chat bot
आपका साथी