प्रणब दा बोले- IIT डिग्रीधारी डिटर्जेंट बेचने के लिए नहीं, प्रतिभाशाली इंजीनियरों की देश को है जरूरत

Indian Management Conclave के 10वें संस्करण में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि किसी कंपनी के उत्पाद की बिक्री बढ़ाने का काम तो कोई भी कर सकता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sun, 04 Aug 2019 10:58 PM (IST) Updated:Sun, 04 Aug 2019 11:06 PM (IST)
प्रणब दा बोले- IIT डिग्रीधारी डिटर्जेंट बेचने के लिए नहीं, प्रतिभाशाली इंजीनियरों की देश को है जरूरत
प्रणब दा बोले- IIT डिग्रीधारी डिटर्जेंट बेचने के लिए नहीं, प्रतिभाशाली इंजीनियरों की देश को है जरूरत

नई दिल्ली, आइएएनएस। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि IIT जैसे अग्रणी इंजीनियरिंग संस्थानों से निकलने वाले युवा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के डिटर्जेंट बेचने के लिए नहीं हैं, बल्कि देश को उनकी जरूरत कुछ दूसरे अहम कार्यो के लिए है।

पूर्व राष्ट्रपति शनिवार को Indian Management Conclave के 10वें संस्करण को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी कंपनी के उत्पाद की बिक्री बढ़ाने का काम तो कोई भी कर सकता है। उसके लिए IIT डिग्रीधारी जैसे टैलेंट, ज्ञान और मेरिट का क्या जरूरत है।

इसे भी पढ़ें: KIIT यूनिवर्सिटी को मिला 'IoE'का टैग, विश्व स्तरीय संस्थान बनने का मौका

बुनियादी अनुसंधान को बढ़ावा देने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे युवा इस तरह ध्यान नहीं देते। मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के पहले साल जब वह एक IIT के दीक्षांत समारोह में गए थे तब वहां के निदेशक से पूछा था कि क्या किसी छात्र ने बुनियादी अनुसंधान या शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का फैसला किया है, तब निदेशक के पास कोई जवाब नहीं था।

उच्च शिक्षा के लिए भारतीय छात्र जा रहे विदेश
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि ईसा पूर्व छठी सदी से 12वीं सदी एडी तक 1800 वर्षो तक भारत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी रहा है। यहां तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय हुआ करते थे, जहां विदेशी छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे। लेकिन आज हालात उलट हैं, अब देश के युवा उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए विदेश जा रहे हैं।

दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों में भारत का एक भी नहीं
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश में एक हजार से ज्यादा विश्वविद्यालय, 36 हजार से ज्यादा कॉलेज, आठ से बढ़कर 16 IIT, 30 NIT, कई IIC और मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट खुल गए हैं, लेकिन दुर्भाग्य से दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में भारत का एक भी विश्वविद्यालय शामिल नहीं है। बुनियादी अनुसंधान पर हमारे यहां काम नहीं होता। ऐसा नहीं है कि हमारे देश में प्रतिभा की कमी है, बल्कि माहौल उस तरह का नहीं है, जहां शोध को बढ़ावा मिल सके।

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप

chat bot
आपका साथी