पवार ने साधा मोदी पर निशाना-आर्थिक आरक्षण चुनावी माहौल को बदलने में नाकाम होगा

केंद्र सरकार आगामी आम चुनावों को ध्यान में रखकर कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के लिए संसद के बजट सत्र की अवधि को भी बढ़ा सकती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 13 Jan 2019 08:20 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jan 2019 08:20 PM (IST)
पवार ने साधा मोदी पर निशाना-आर्थिक आरक्षण चुनावी माहौल को बदलने में नाकाम होगा
पवार ने साधा मोदी पर निशाना-आर्थिक आरक्षण चुनावी माहौल को बदलने में नाकाम होगा

कोल्हापुर (महाराष्ट्र), प्रेट्र। विशेषज्ञों के मुताबिक आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए संविधान में संशोधन करना उसके बुनियादी सिद्धांतों के लिए 'हानिकारक' है। यह बात राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने कही। उनकी यह प्रतिक्रिया आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो को 10 प्रतिशत आरक्षण का कानून बनने के बाद सामने आई है।

आरक्षण के लिए संविधान संशोधन हानिकारक

केंद्र द्वारा आर्थिक रूप से पिछड़ों को दिए गए आरक्षण के सवाल पर पवार ने कहा, 'विशेषज्ञों की राय के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करके 50 प्रतिशत से ऊपर आरक्षण की अनुमति देना उसके मूल सिद्धांतों के लिए हानिकारक होगा।

आरक्षण की नीति पर सर्वोच्च न्यायालय दो बार से अधिक अपना रुख स्पष्ट कर चुका है। उसने अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं हो सकता।' उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अंतिम क्षणों में लिए गए फैसले चुनावी माहौल को बदलने में मददगार नहीं होंगे।

फिल्में नहीं डालेंगी चुनाव पर प्रभाव

राजनीतिक व्यक्तित्वों पर आधारित फिल्मों के बारे में पवार ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आधारित 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' और शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की बायोपिक 'ठाकरे' जैसी राजनीतिक फिल्में मतदाताओं पर कोई प्रभाव नहीं डालेंगी। पवार ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ये फिल्में आने वाले चुनावों में कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। लोग अपने अनुभवों के आधार पर ही मतदान करेंगे।

बजट सत्र की अवधि भी बढ़ा सकती है मोदी सरकार

उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार आगामी आम चुनावों को ध्यान में रखकर कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के लिए संसद के बजट सत्र की अवधि को भी बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार लोगों के मूड को भांपने के बाद जल्दबाज़ी में कुछ फैसले लेने की कोशिश कर रही है। हालांकि लोग साढ़े चार साल बाद लिए गए ऐसे फैसलों के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं। उन्होंने दावा किया कि लोग इन फैसलों को जुमलेबाजी के रूप में देखेंगे।

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