अब खुलकर बोलने लगा महाराष्ट्र भाजपा का असंतुष्ट गुट, पार्टी के एक और बड़े नेता ने उठाए सवाल

एकनाथ खड़से ने कहा कि हार के लिए पार्टी दोषी नहीं है बल्कि नेतृत्व करनेवालों से चूक हुई है। उनका मानना है कि भाजपा के पिछड़ा वर्ग के नेताओं को हराने की कोशिश की गई है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Wed, 04 Dec 2019 11:57 PM (IST) Updated:Thu, 05 Dec 2019 07:40 AM (IST)
अब खुलकर बोलने लगा महाराष्ट्र भाजपा का असंतुष्ट गुट, पार्टी के एक और बड़े नेता ने उठाए सवाल
अब खुलकर बोलने लगा महाराष्ट्र भाजपा का असंतुष्ट गुट, पार्टी के एक और बड़े नेता ने उठाए सवाल

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार बनाने में असमर्थ रही भाजपा का असंतुष्ट गुट अब खुलकर बोलने लगा है। पहले पंकजा मुंडे ने इशारों-इशारों में प्रदेश नेतृत्व के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की और अब वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि उनकी बेटी रोहिणी एवं पंकजा मुंडे को हराने में पार्टी के ही लोगों का हाथ रहा है।

वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे खड़से का टिकट इस बार काट दिया गया था। उम्मीदवारों की अंतिम सूची में उनकी पुत्री रोहिणी को टिकट मिला भी तो वह हार गईं। अब खड़से आरोप लगा रहे हैं कि रोहिणी एवं पंकजा मुंडे को पार्टी के ही लोगों ने हरवाया है। खड़से का कहना है कि उन्होंने इस बात के सुबूत प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल को भेज दिए हैं। अब कार्रवाई का इंतजार है।

विनोद तावड़े ने पंकजा मुंडे से की मुलाकात

बता दें कि खड़से के साथ-साथ मुंबई के नेता विनोद तावड़े, प्रकाश मेहता एवं नागपुर के नेता चंद्रशेखर बावनकुले के भी टिकट काट दिए गए थे। विनोद तावड़े ने मंगलवार को पंकजा मुंडे से मुलाकात की थी और बुधवार को वह खड़से से मिलने पहुंचे। खड़से ने हालांकि यह स्पष्ट कर दिया कि यह मुलाकात बगावत का संकेत बिल्कुल नहीं है। तावड़े एक पारिवारिक कार्यक्रम का निमंत्रण भर देने आए थे। लेकिन, पार्टी नेतृत्व के विरुद्ध नाराजगी जाहिर करने से वह कतई नहीं चूके।

अधिक सीट जीत सकती थी भाजपा: खड़से

खड़से का मानना है कि यदि उनके साथ-साथ तावड़े, मेहता और बावनकुले जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी टिकट दिया गया होता तो आज भाजपा जितनी सीटें जीत कर आई है, उससे कहीं ज्यादा जीत सकती थी। खड़से यह भी मानते हैं कि शिवसेना को कुछ वर्षो के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी देकर भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार दोबारा लाई जा सकती थी।

पार्टी के बड़े नेताओं से हुई चूक

उन्होंने कहा कि हार के लिए पार्टी दोषी नहीं है, बल्कि नेतृत्व करनेवालों से चूक हुई है। उनका मानना है कि भाजपा के पिछड़ा वर्ग के नेताओं को हराने की कोशिश की गई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। खड़से के अलावा एक और पूर्व विधायक प्रकाश शेंडगे ने भी भाजपा के पिछड़ा वर्ग के नेताओं को हरवाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि एक बार गोपीनाथ मुंडे को भी पार्टी से निकालने की तैयारी कर ली गई थी। आज वही साजिश उनकी बेटी पंकजा के साथ की जा रही है।

बता दें कि पंकजा ने चार दिनों पहले ही 12 दिसंबर को अपनी आगे की रणनीति घोषित करने की बात कही थी। इसे पार्टी छोड़ने की उनकी चेतावनी मान लिया गया था। शिवसेना तो उन्हें आमंत्रण भी देने लग गई थी। मीडिया में आ रही इस प्रकार की खबरों से तंग आकर अंतत: मंगलवार को पंकजा को स्पष्टीकरण देना पड़ा कि वह पार्टी नहीं छोड़ने जा रहीं। लेकिन, अपने ही चचेरे भाई धनंजय मुंडे के हाथों मिली हार से वह दुखी हैं। वह महाराष्ट्र में पिछड़ा वर्ग की बड़ी नेता मानी जाती हैं। वह भाजपा में मुख्यमंत्री पद की दावेदार भी मानी जाती रही हैं। उनके पिता गोपीनाथ मुंडे के समर्थक रहे एकनाथ खड़से भी पिछड़ा वर्ग से ही आते हैं। इन दोनों नेताओं की एक साथ उठ रही आवाज राज्य के पिछड़े वर्ग में भाजपा की स्थिति कमजोर कर सकती है।

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