सुप्रीम कोर्ट में अपील पर सुनवाई से पहले सज्जन कुमार को जाना होगा जेल

सिख विरोधी दंगों में उम्रकैद की सजा पाए कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार के लिए आने वाला वक्त बुरा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 18 Dec 2018 08:39 PM (IST) Updated:Wed, 19 Dec 2018 07:46 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में अपील पर सुनवाई से पहले सज्जन कुमार को जाना होगा जेल
सुप्रीम कोर्ट में अपील पर सुनवाई से पहले सज्जन कुमार को जाना होगा जेल

नई दिल्ली [माला दीक्षित]। सिख विरोधी दंगों में उम्रकैद की सजा पाए कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार के लिए आने वाला वक्त बुरा है। सुप्रीम कोर्ट मे अपील पर सुनवाई से पहले उन्हें जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट का नियम कहता है कि सजा के खिलाफ अपील के मामले में दोषी को अपील के साथ ही जेल जाने के सबूत के तौर पर सरेन्डर सार्टिफिकेट लगाना होता है। इसके बगैर अपील पर सुनवाई नहीं होती है। हालांकि दोषी अर्जी देकर सरेन्डर से छूट मांग सकता है, लेकिन सज्जन कुमार के मामले में उम्रकैद की सजा और एक जनवरी तक सुप्रीम कोर्ट में अवकाश का पेंच फंसेगा। क्योंकि इस बीच सरेन्डर के लिए हाईकोर्ट द्वारा तय 31 दिसंबर की तिथि बीत जाएगी।

1984 सिख विरोधी दंगा

दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए सज्जन कुमार को दंगा भड़काने और लूटपाट हत्या की साजिश के जुर्म में उम्रकैद की सजा दी है। कोर्ट ने कहा है कि सज्जन कुमार जीवित रहने तक कैद में रहेंगे। निचली अदालत ने उन्हें बरी किया था। कुमार को पहली बार हाईकोर्ट से सजा हुई है इसलिए उनके पास सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का कानूनन हक है।

आपराधिक मामलों में सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के सुप्रीम कोर्ट रूल पर निगाह डालें तो सज्जन कुमार को हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (एन्लार्जमेंट आफ क्रिमिनल अपीलाट ज्यूरीडिक्शन) एक्ट 1970 के तहत अपील करने का विधायी अधिकार है।

अपील दाखिल करने के साथ ही लगाना पड़ता है जेल जाने का सरेन्डर सार्टिफिकेट

सुप्रीम कोर्ट रूल क्रिमिनल अपील आर्डर 20 कहता है कि जेल की सजा पाए व्यक्ति को अपील दाखिल करते समय बताना होगा कि उसने सरेन्डर किया है कि नहीं। अगर सरेन्डर कर दिया है तो उसे अपील के साथ सरेन्डर के सबूत के तौर पर जेल का सरेन्डर प्रमाणपत्र लगाना होगा। जब तक सरेन्डर प्रमाणपत्र नहीं लगाएगा, सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री उसकी अपील स्वीकार नहीं करेगी। हालांकि अभियुक्त अर्जी देकर सरेन्डर से छूट का अनुरोध कर सकता है।

अगर अभियुक्त सरेन्डर से छूट की अर्जी देता है तो अपील से पहले वह अर्जी पर चैम्बर जज के सामने सुनवाई के लिए लगती है। चैम्बर जज एकलपीठ होती है जिसमें एक अकेला जज बैठता है और वह मामलों में तकनीकी दिक्कतों से संबंधित अर्जियों की सुनवाई करता है। चैम्बर जज मुख्य मामले की मेरिट पर कभी फैसला नहीं सुनाता। मेरिट पर सुनवाई कम से कम दो सदस्यीय पीठ करती है।

सुप्रीम कोर्ट के वकील डीके गर्ग बताते हैं कि अभी तक के उनके अनुभव के मुताबिक उम्रकैद की सजा पाए अभियुक्त को चैम्बर जज सरेन्डर से पूरी तरह छूट नहीं देता, हां सरेंडर के लिए कुछ समय जरूर दे देता है। उनकी इस बात से वकील अरधेन्दु मौलिकुमार भी सहमत हैं। अरधेन्दु कहते हैं कि जब किसी को चेक बाउंस या थप्पड़ मारने जैसे अपराध में तीन महीने या छह महीने की थोड़ी सजा मिली होती है तब सुप्रीम कोर्ट उसे अपील पर सुनवाई होने तक सरेन्डर से छूट दे देता है।

सज्जन कुमार सरेंडर से छूट की अर्जी दे सकते हैं, लेकिन एक जनवरी तक छुट्टी आएगी आड़े

उम्रकैद की सजा के मामले में सामान्य तौर पर सरेन्डर से पूरी छूट नहीं देता। सज्जन कुमार के लिए एक मुश्किल यह भी होगी कि हाईकोर्ट ने उन्हें सरेन्डर के लिए 31 दिसंबर तक का वक्त दिया है और सुप्रीम कोर्ट एक जनवरी तक बंद है। ऐसे में उनके पास सुप्रीम कोर्ट से छूट मांगने का वक्त नहीं होगा। उन्हें जेल जाना पड़ेगा क्योंकि हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक अगर वे 31 दिसंबर तक सरेन्डर नहीं करते तो उन्हें तत्काल हिरासत में लेने का आदेश है।

अरधेन्दु कहते हैं कि सज्जन कुमार के वकीलों से चूक हो गई है उन्हें फैसला सुनाए जाते वक्त ही सुप्रीम कोर्ट में अपील की दुहाई दे हाईकोर्ट से सरेन्डर करने के लिए और वक्त मांग लेना चाहिए था।

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