भारतीय सिनेमा को चाहने वाले दुनिया के कोने-कोने में: पीएम मोदी

National Museum of Indian Cinema: 140 करोड़ की लागत से इस म्यूज़ियम को मुंबई में बनाया गया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 19 Jan 2019 07:11 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jan 2019 07:16 AM (IST)
भारतीय सिनेमा को चाहने वाले दुनिया के कोने-कोने में: पीएम मोदी
भारतीय सिनेमा को चाहने वाले दुनिया के कोने-कोने में: पीएम मोदी

राज्य ब्यूरो, मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नेशनल म्यूजियम ऑफ इंडियन सिनेमा (एनएमआइसी) का उद्घाटन करते हुए कहा कि सिनेमा समाज का प्रतिबिंब है और हमारी फिल्में दुनिया में भारतीयता का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहा कि भारत बदल रहा है, जहां लाखों समस्याएं हैं, वहीं करोड़ों समाधान भी मौजूद हैं। सिनेमा भी ऐसे समाधान दिखाने में पीछे नहीं है।

एनएमआइसी का निर्माण दक्षिण मुंबई स्थित ऐतिहासिक गुलशन महल में करीब 140 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। यह संग्रहालय मुंबई आने वाले देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का नया केंद्र बन सकता है क्योंकि यहां भारतीय सिनेमा के 100 वर्षों का इतिहास संजोया गया है। इस अवसर प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत फिल्म 'उड़ी-द सर्जिकल स्ट्राइक' के डायलॉग 'हाऊ इज द जोश' कहकर की। उनके यह कहते ही श्रोताओं में ठहाके गूंज उठे। 

उन्होंने बताया कि इस संग्रहालय में द्वितीय विश्वयुद्ध की 30 घंटे की डिजिटल फुटेज भी है। इसके जरिये उस युद्ध में जान न्योछावर करने वाले 1.5 लाख भारतीय सैनिकों की वीरता से दुनिया परिचित हो सकेगी। मोदी ने कहा कि भारतीय सिनेमा अब वैश्विक हो चुका है। इसके चाहने वाले दुनिया के हर कोने में मिल जाते हैं। वह ऐसे कई वैश्विक नेताओं से मिल चुके हैं जो पूरे भारतीय गाने सुना सकते हैं लेकिन उन्हें भारतीय भाषाओं का ज्ञान नहीं है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले भारतीय सिनेमा में देश की गरीबी और समाज की मजबूरियों का ही चित्रण होता था। लेकिन अब समस्याओं के साथ-साथ समाधान भी पेश किए जाने लगे हैं। इस क्रम में प्रधानमंत्री अक्षय कुमार की फिल्म 'टॉयलेट-एक प्रेमकथा' सहित कुछ और प्रेरक फिल्मों का जिक्र करना नहीं भूले।

दूरदराज इलाकों में काम कर रहे लोगों पर बनाएं फिल्में
प्रधानमंत्री ने देश के दूरदराज इलाकों में चुपचाप समाज हित के काम करते जा रहे लोगों को ढूंढकर पद्मश्री जैसे सम्मान देने की अपनी पहल का उल्लेख करते हुए फिल्मकारों से आग्रह किया कि उन्हें ऐसी हस्तियों पर भी फिल्में बनाने की पहल करनी चाहिए। 

नए स्थलों पर शूटिंग करें ताकि पर्यटन बढ़े
मोदी ने फिल्मकारों से कहा कि उन्हें देश में नए-नए स्थलों पर जाकर फिल्मों की शूटिंग भी करनी चाहिए ताकि उनकी फिल्मों में दिखने वाले स्थान पर्यटन के नक्शे पर आ सकें। पर्यटन ही वह क्षेत्र है जो बड़े पैमाने पर लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रोजगार उपलब्ध करा सकता है।

शूटिंग के लिए एक जगह से मिलेंगी सभी मंजूरियां
अलग-अलग स्थानों पर शूटिंग में आने वाली समस्याओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार एक ऐसी केंद्रीयकृत व्यवस्था शुरू करने की ओर कदम बढ़ा चुकी है, जिसमें एक ही स्थान से देशभर में शूटिंग करने की सभी अनुमतियां हासिल हो सकेंगी। इससे फिल्मकारों को लालफीताशाही से नहीं गुजरना पड़ेगा। बता दें कि केंद्र सरकार कुछ दिन पहले ही सिने उद्योग को जीएसटी में बड़ी राहत दे चुकी है।

सिनेमा पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने का सुझाव
प्रधानमंत्री ने समारोह में मौजूद कई वरिष्ठ फिल्मकारों एवं कलाकारों को दावोस में होने वाले अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सम्मेलन की तर्ज पर सिनेमा से जुड़े आर्थिक एवं तकनीकी पक्ष पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने का सुझाव भी दिया। यह सम्मेलन हर साल या हर दूसरे साल आयोजित किया जा सकता है। जहां ग्लैमर के अलावा सिनेजगत के दूसरे विषयों पर चर्चा होनी चाहिए।

सिनेजगत के लिए बने राष्ट्रीय विश्वविद्यालय
मोदी ने कहा कि किसी को सिनेजगत के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का विश्वविद्यालय बनाने की पहल भी करनी चाहिए, जहां सिनेमा की सभी विधाओं की विधिवत शिक्षा दी जा सके। मोदी ने कहा कि हर काम सरकार नहीं कर सकती, लेकिन यदि कोई यह पहल करे तो सरकार उसे पूरी मदद करेगी। 

सिनेमा से जुड़े बेकार कानूनों की सूची मांगी
प्रधानमंत्री ने सिने उद्योग के लोगों से उनसे जुड़े कुछ ऐसे कानूनों की सूची भी मांगी जो उनके किसी काम के नहीं हैं और जिनके कारण उनके कामों में बाधाएं पैदा होती हैं। मोदी ने ऐसे कानूनों को खत्म करने का आश्वासन दिया। इस दौरान सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर, सीबीएफसी प्रमुख प्रसून जोशी, आशा भोसले, एआर रहमान, जीतेंद्र, रणधीर कपूर, आमिर खान व अन्य सितारे मौजूद रहे।

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