कृषि मंत्री ने विपक्ष से पूछा बताएं- कृषि कानूनों में काला क्या है, इसका जवाब न किसानों से मिला और ना आपके पास है

कृषि कानूनों पर सवाल खड़ा कर रहे विपक्षी दलों से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में पूछा कि कोई बताएगा कि आखिर कृषि कानून में काला क्या है? सिर्फ इसे काला बता देने भर से बात नहीं बन सकती और न ही सुधार हो सकता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 05 Feb 2021 10:22 PM (IST) Updated:Sat, 06 Feb 2021 12:29 AM (IST)
कृषि मंत्री ने विपक्ष से पूछा बताएं- कृषि कानूनों में काला क्या है, इसका जवाब न किसानों से मिला और ना आपके पास है
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में पूछा कि कोई बताएगा कि आखिर कृषि कानून में काला क्या है?

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कृषि कानूनों पर सवाल खड़ा कर रहे विपक्षी दलों को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को राज्यसभा में करारा जवाब दिया। उन्‍होंने पूछा कि कोई बताएगा कि आखिर कृषि कानून में काला क्या है? सिर्फ इसे काला बता देने भर से बात नहीं बन सकती और न ही सुधार हो सकता है। पिछले दो महीने से मैं किसानों से भी यही पूछ रहा था। न वहां जवाब मिला और न ही आपके पास है।' कृषि मंत्री ने कांग्रेस पर भी करारा हमला बोला। उन्‍होंने कहा कि सिर्फ कांग्रेस ही खून से खेती कर सकती है।

अगली बार कानून पढ़कर आएं

तोमर ने कहा कि पंजाब और हरियाणा समेत करीब दो दर्जन राज्यों में कांट्रैक्ट फार्मिंग होती है और वहां कांट्रैक्ट तोड़े जाने पर किसानों को सजा का भी प्रविधान रखा गया है। केंद्र के कानून में तो किसानों के लिए किसी सजा की बात ही नहीं है, फिर भी आरोप लगाया जा रहा है। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा से तल्ख अंदाज में तोमर ने कहा, 'अगली बार कानून पढ़कर आइए।' वहीं खड़गे से कहा कि सिर्फ कांग्रेस ही खून से खेती कर सकती है।

कोई तो बताए किसानों के खिलाफ इसमें क्‍या है...

कृषि मंत्री तोमर ने कृषि कानूनों के कानूनी प्रविधानों का विस्तार से उल्लेख करते हुए विपक्षी सदस्यों को आड़े हाथों लिया। विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए तोमर ने कहा कि सदस्यों ने कानून को काला तो बताया, लेकिन उन प्रविधानों को बताने की किसी ने कोशिश नहीं की जो किसानों के हितों के विपरीत हैं।

यह नहीं समझें कि कानूनों में कोई खामी है

तीनों कानूनों का बचाव करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि ये किसानों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले और उनकी आमदनी बढ़ाने वाले हैं। उन्होंने एक बात और स्पष्ट कर दी, 'सरकार ने किसानों से चर्चा करने के लिए कुछ बिंदुओं को चिन्हित किया है, लेकिन इसका यह कतई मतलब न निकाला जाए कि कानूनों में कोई खामी है।'

अनुबंध से बाहर निकलने की है छूट

तोमर ने कहा, पंजाब और हरियाणा समेत देश के 20-22 राज्यों में कांट्रैक्ट फार्मिंग होती है। पंजाब के कानून में तो किसान के कांट्रैक्ट तोड़ने पर जेल जाने और पांच लाख रुपये जुर्माने का भी प्रविधान है। इसके विपरीत केंद्र के कांट्रैक्ट फार्मिंग कानून में किसान को कभी भी अनुबंध से बाहर निकलने की छूट है, जबकि व्यापारी को यह अधिकार नहीं है।

कांग्रेस ही कर सकती है खून से खेती

भाषण के दौरान कांग्रेस सदस्य दीपेंद्र हुड्डा की टोकाटाकी और झूठ बोलने का आरोप लगाने पर नाराजगी जताते हुए तल्खी भरे अंदाज में तोमर ने कहा, 'कान खोलकर सुन लो, दोबारा जब कृषि पर बहस हो तो एक्ट पढ़कर आना।' इसी हो-हल्ले के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे की एक टिप्पणी पर तोमर उखड़ गए और कहा, 'खेती तो पानी से होती है, सिर्फ कांग्रेस ही खून से खेती कर सकती है। भाजपा खून से खेती नहीं कर सकती।'

...फिर उलटी गंगा क्‍यों बहाई जा रही

तोमर ने बताया कि सरकार ने ट्रेड एक्ट बनाया है, इसके तहत मंडी के बाहर के क्षेत्र में कारोबार हो सकता है। यह किसान का घर या खेत भी हो सकता है, जहां टैक्स नहीं लगेगा। जबकि मंडी के भीतर राज्य सरकारें टैक्स लेती हैं। यहां उलटी गंगा बहाई जा रही है। पंजाब के किसानों से पूछना चाहता हूं कि आंदोलन किसके खिलाफ होना चाहिए। उस केंद्र सरकार के खिलाफ जिसने कृषि उपज को टैक्स मुक्त कर दिया या उस राज्य सरकार के खलाफ जो टैक्स लगा रही है। तोमर ने कहा कि किसानों को गुमराह कर बताया जा रहा है कि उनकी जमीनें छिन जाने का खतरा है।

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