रसातल में जा रहे रुपये को थामने को एनआरआइ की मदद ले सकती है मोदी सरकार

आरबीआइ के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी सकारात्मक रूप से देश में आ रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 10 Sep 2018 11:03 PM (IST) Updated:Tue, 11 Sep 2018 12:12 AM (IST)
रसातल में जा रहे रुपये को थामने को एनआरआइ की मदद ले सकती है मोदी सरकार
रसातल में जा रहे रुपये को थामने को एनआरआइ की मदद ले सकती है मोदी सरकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रसातल में जा रहे रुपये को थामने के लिए केंद्र सरकार अब पुराना आजमाया हुआ नुस्खा फिर से आजमाने पर विचार कर रही है। यह नुस्खा है प्रवासी भारतीयों से डालर जमा करवाने का। इसके लिए सरकार आने वाले दिनों में एनआरआइ डिपॉजिट स्कीम लांच करने के विकल्प पर विचार कर रही है। दूसरा विकल्प सरकारी बैंकों के जरिए एनआरआइ बांड्स जारी करने का भी हो सकता है। सरकार और रिजर्व बैंक जल्द ही इस संबंध में कदम उठा सकते हैं।

डालर के मुकाबले रुपया सोमवार को 1.3 प्रतिशत गिरकर 72.67 रुपये प्रति डालर के स्तर पर पहुंच गया। वर्ष 2018 में अब तक डालर के मुकाबले रुपये के मूल्य में 13 प्रतिशत गिरावट आ चुकी है। कच्चे तेल का भाव बढ़ने और चालू खाते का घाटा लगातार बढ़ने के चलते रुपये के मूल्य में गिरावट आ रही है। रुपये को थामने के लिए आरबीआइ अपने विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन हाल के दिनों में देखा गया है कि केंद्रीय बैंक ऐसा करने को लेकर खास उत्साहित नहीं हैं। यही वजह है कि सरकार को विदेशी मुद्रा जुटाने के लिए इस तरह के विकल्पों पर विचार करना पड़ रहा है। इससे पहले भी विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के लिए सरकार यह रास्ता आजमा चुकी है।

1995-96 में जब क्रूड के महंगा होने के कारण तेल पूल घाटे के असर को थामने के लिए यही कदम उठाया गया था। 1998 में परमाणु परीक्षण और उसके बाद 2013 में भी ऐसा कदम उठाया गया था। इससे डालर का प्रवाह बढ़ा था और रुपये को मजबूत बनाने में भी मदद मिली थी।

सूत्रों ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक प्रत्येक विकल्प पर विचार कर रहे हैं। आरबीआइ ने हाल के महीनों में रुपये को गिरने से बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं और जरूरत पड़ने पर आगे भी उठाए जाएंगे। हालांकि आरबीआइ ने आक्रामक ढंग से बाजार में डालर की बिक्री नहीं शुरु की है। इसकी वजह यह है कि दूसरे विकासशील देशों की मुद्राओं में भी डालर के मुकाबले गिरावट का रुख है।

ऐसे में अगर भारत रुपये की गिरावट को थाम लेता है तो इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में हमारे निर्यात पर उल्टा असर पड़ेगा। वैसे आरबीआइ के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी सकारात्मक रूप से देश में आ रहा है।

chat bot
आपका साथी