'डबल डिजिट ग्रोथ' पर नजर, पीएम ने कहा- अंतिम स्थान पर खड़े लोगों तक पहुंचे शासन का लाभ

प्रधानमंत्री के भाषण का सार यह है कि हमें पिछड़े क्षेत्रों, पिछड़े जिलों, पिछड़े ब्लॉक और पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति पर फोकस करने की जरूरत है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 17 Jun 2018 10:00 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jun 2018 07:27 AM (IST)
'डबल डिजिट ग्रोथ' पर नजर, पीएम ने कहा- अंतिम स्थान पर खड़े लोगों तक पहुंचे शासन का लाभ
'डबल डिजिट ग्रोथ' पर नजर, पीएम ने कहा- अंतिम स्थान पर खड़े लोगों तक पहुंचे शासन का लाभ

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ (ट्रिलियन) डालर की बनाने और विकास दर दहाई के अंक (डबल डिजिट ग्रोथ) में पहुंचाने की चुनौती को मानते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तरक्की से वंचित लोगों और पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर बल दिया है। उनका कहना है कि शासन का लाभ 'पंक्ति में अंतिम स्थान पर खड़े लोगों तक पहुंचना चाहिए। पीएम ने वित्त आयोग के संसाधन वितरण के फार्मूला में कुछ राज्यों के पिछड़ेपन और प्रति व्यक्ति आय के निम्न स्तर को ध्यान में रखने की जरूरत पर भी जोर दिया।

-एस्पिरेश्नल जिलों की तर्ज पर करें एस्पिरेशनल ब्लॉक की पहचान

प्रधानमंत्री ने रविवार को नीति आयोग की गवर्निग काउंसिल की चौथी बैठक को संबोधित करते हुए सामाजिक न्याय को शासन का महत्वपूर्ण लक्ष्य करार दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि 'पंक्ति में अंतिम स्थान पर खड़े लोगों की पहचान करना अहम है ताकि सुशासन का लाभ उन तक पहुंच सके।

पिछडे़ क्षेत्रों के विकास की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि नीति आयोग ने 115 एस्पिरेशनल जिलों की पहचान की है, इसकी तर्ज पर राज्य सरकारें अपने यहां कुल ब्लॉक में से 20 प्रतिशत ब्लॉक को एस्पिरेशनल ब्लॉक के रूप में चिन्हित कर सकते हैं।

मोदी ने 15 अगस्त, 2018 तक 115 एस्पिरेशनल जिलों के 45,000 अतिरिक्त गांवों तक सात प्रमुख योजनाओं (उज्जवला, सौभाग्य, उजाला, जन धन, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और मिशन इंद्रधनुष) का लाभ प्रत्येक परिवार तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता दोहरायी। अब तक लगभग 17,000 गांवों के सभी परिवारों तक ये योजनाएं पहुंचायी जा चुकी हैं। सभी राज्यों की जिम्मेदारी बनती है कि वह जनता की अपेक्षा पूरी करें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2017-18 की चौथी तिमाही में 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। अब चुनौती इस विकास दर को डबल डिजिट में ले जाने की है जिसके लिए कई और महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने होंगे। मोदी ने कहा कि विश्व को उम्मीद है कि भारत जल्द ही पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। उन्होंने राज्यों से भी निर्यात पर फोकस करने की बात कही।

बैठक में 23 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और अंडमान निकोबार के उपराज्यपाल ने भाग लिया। हालांकि आठ राज्यों- दिल्ली, त्रिपुरा, उड़ीसा, गोवा, जम्मू कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम और सिक्किम के मुख्यमंत्री बैठक में शामिल नहीं हुए।

यह बैठक न्यू इंडिया के विकास की रणनीति 2022 को मंजूरी देने और आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रमों पर विचार के लिए बुलायी गयी थी हालांकि रणनीति पत्र को चर्चा के लिए नहीं रखा जा सका। बैठक के बाद नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण का सार यह है कि हमें पिछड़े क्षेत्रों, पिछड़े जिलों, पिछड़े ब्लॉक और पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति पर फोकस करने की जरूरत है।

बैठक में कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग और पंद्रहवें वित्त आयोग के टर्म एंड रेफरेंस में वित्तीय संसाधनों के वितरण के लिए 2011 की जनगणना को आधार बनाने पर आपत्ति प्रकट की गयी। प्रधानमंत्री ने इस संबंध में राज्यों की चिंताओं का संज्ञान लेते हुए कहा कि राज्यों को परिणाम आधारित आवंटनों एवं व्यय सुधार को प्रोत्साहित करने के लिए वित आयोग को नए विचार सुझाने चाहिए। पीएम ने स्पष्ट कहा कि वित्त आयोग के संसाधन वितरण के फार्मूला में कुछ राज्यों के पिछड़ेपन और प्रति व्यक्ति आय के निम्न स्तर को ध्यान में रखते की जरूरत है।

कृषि-मनरेगा पर मुख्यमंत्रियों की समिति

प्रधानमंत्री ने कृषि कार्यो खासकर फसल की बुवाई से पूर्व सिंचाई के साधनों के विकसित करने और फसल की कटाई के बाद भंडारण जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा के इस्तेमाल की जरूरत पर बल दिया। इस संबंध में अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा जिसमें बिहार, सिक्किम, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे। यह समिति कृषि के साथ मनरेगा के तालमेल बिठाने के संबंध में सुझाव देगी।

सोमवार को इस समिति की टर्म एंड रेफरेंस तय करके अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। पीएम ने कृषि क्षेत्र में कॉरपोरेट निवेश बढ़ाने के लिए वेयरहाउसिंग, परिवहन, मूल्य संवर्द्धन एवं खाद्य प्रसंस्करण आदि जैसे क्षेत्रों में कॉरपोरेट निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीति बनाने की जरूरत पर भी बल दिया।

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