टीपू जयंती पर भाजपा का कर्नाटक में बंद, हिरासत में कई कार्यकर्ता

भाजपा के विरोध के बावजूद कर्नाटक सरकार आज टीपू जयंती मना रही है, जिसके विरोध में भाजपा राज्य में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रही है।

By Arti YadavEdited By: Publish:Sat, 10 Nov 2018 07:46 AM (IST) Updated:Sat, 10 Nov 2018 01:05 PM (IST)
टीपू जयंती पर भाजपा का कर्नाटक में बंद, हिरासत में कई कार्यकर्ता
टीपू जयंती पर भाजपा का कर्नाटक में बंद, हिरासत में कई कार्यकर्ता

बेंगलुरु, आइएएनएस। कर्नाटक में पूर्ववर्ती मैसूर साम्राज्य के शासक रहे टीपू सुल्तान की जयंती पर सियासी घमासान छिड़ा है। भाजपा के विरोध के बावजूद कर्नाटक सरकार आज टीपू जयंती मना रही है, जिसके विरोध में भाजपा राज्य में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रही है। टीपू जयंती मनाए जाने के विरोध में भाजपा कार्यकर्ताओं ने डिप्टी कमीश्नर के दफतर पर भी प्रदर्शन किया। मेडीकेरी में टीपू जयंती मनाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे समूहों को पुलिस ने हिरासत में लिया। वहीं स्वास्थ्य कारणों से मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने अपने आप को इस समारोह से अलग कर लिया है। उनकी पार्टी जनता दल-सेकुलर भी समारोह से दूरी बनाए हुए है। उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता जी. परमेश्वरा राज्य सचिवालय में समारोह का उद्घाटन किया।

भाजपा का विरोध
कुमारस्वामी की गैरमौजूदगी पर भाजपा ने सवाल उठाये हैं।  भाजपा ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया, 'मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वावी लापता हैं!, जबकि कांग्रेस-जेडीएस सरकार टीपू जयंती मना रही है। मुख्यमंत्री खुद कहीं छिप गए हैं। ऐसे में टीपू जयंती मनाने का क्या मतलब है, जिसमें खुद सीएम शामिल नहीं हैं। यह सब केवल वोट बैंक के लिए किया जा रहा है।' भाजपा जिला सचिव सज्जल कृष्ण्ण ने कहा कि टीपू जंयती के नाम पर सरकार जनता का पैसा बर्बाद कर रही है। टीपू कोई योद्धा नहीं था, उसने कई हिंदुओं को मारा और मंदिरों पर आक्रमण किया। ऐसे व्यक्ति को हम महान क्यों बता रहे हैं? यह केवल वोट बैंक की राजनीति है। कोडागु में सभी इसके विरोध में हैं। 

सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम, धारा 144 लागू
टीपू जयंती पर भाजपा के विरोध को देखते हुए पूरे राज्य में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए हैं। पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि टीपू सुल्तान की जयंती को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए बेंगलुरु, मैसूर, कोडागू और मंगलुरु में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। इसके अलावा कोडागू, हुबली और धारवाड़ में 10 नवंबर की सुबह 6 बजे से लेकर 11 नवंबर की सुबह 7 बजे तक के लिए धारा 144 लगा दी गई है।

जनता दल सेक्युलर-कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने पिछले सप्ताह कहा था कि पिछली कांग्रेस सरकार की नीति को बरकरार रखते हुए 10 नवंबर को ‘टीपू जयंती’ मनाई जाएगी। 'टीपू जयंती' पर आयोजित प्रमुख समारोह का उद्घाटन उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर ने किया। 

प्रकाश जावड़ेकर ने किया टीपू जयंती का विरोध
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने टीपू जयंती का विरोध करते हुए कहा है कि, राज्य सरकार द्वारा टीपू की जयंती का आयोजन पर इसे घृणा का प्रतीक बताया है। उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा है कि किसने चर्चों और मंदिरों को नष्ट किया किसने हजारों ईसाइयों और हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया राज्य सरकार ऐसे शासक की जयंती  कैसे मना रही है?

 

मुख्यमंत्री नहीं होंगे शामिल
इस बीच, मुख्यमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि कुमारस्वामी डॉक्टर की सलाह के मद्देनजर अगले 3 दिन तक किसी आधिकारिक समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे। वहीं, मंत्री डीके शिवकुमार ने भाजपा के विरोध पर बोलते हुए कहा कि टीपू सुल्तान का इतिहास काफी लंबा है। उन्होंने कहा, ‘अगर हम उनकी जयंती मनाते हैं, तो इसमें मुझे कोई बुराई नहीं दिखती। भाजपा का अपना राजनीतिक एजेंडा है। वे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच मतभेद पैदा करना चाहते हैं।’

टीपू जयंती का विरोध क्यों
कर्नाटक में टीपू सुल्तान की जयंती मनाए जाने को लेकर उठे राजनीतिक विवाद के बीच सवाल उठता है कि आखिर इस पर इतनी हायतौबा क्यों मची है। यह सब कांग्रेस का शुरू किया हुआ विवाद है। वोट बैंक की राजनीति के तहत कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने 2015 में टीपू जयंती मनाने की घोषणा की और तब से यह राजनीतिक बहस का मुद्दा बन गया है। 10 नवंबर, 1750 को देवनहल्ली में जन्मे टीपू को कांग्रेस महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में प्रचारित कर रही है जबकि भाजपा का कहना है कि वह एक असहिष्णु शासक था, जिसने हिंदुओं का कत्ल करवाया, हिंदू औरतों की इज्जत लूटी और उन्हें जबरिया धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया और उनके मंदिरों को नुकसान पहुंचाया। टीपू के विरोधी उसकी तलवार पर लिखी उस इबारत की ओर भी इशारा करते हैं जिसमें कहा गया है कि यह काफिरों (हिंदुओं) का कत्ल करने के लिए है। कर्नाटक के कूर्ग, मेंगलुरू और केरल के कुछ इलाकों में लोगों के बीच टीपू की छवि एक आततायी शासक की है।

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