आतंकवाद पर भारत नहीं दिखाएगा नरमी, पाक को फिर एफएटीएफ के सामने मुंह की खानी पड़ी

एफएटीएफ की बैठक में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सुबूत दिए जिसके बाद ग्रे सूची से उसके बाहर निकलने की कोशिशों को झटका लगा। उसे काली सूची में डालने की संभावना बढ़ गई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 16 Jun 2019 10:37 PM (IST) Updated:Sun, 16 Jun 2019 10:37 PM (IST)
आतंकवाद पर भारत नहीं दिखाएगा नरमी, पाक को फिर एफएटीएफ के सामने मुंह की खानी पड़ी
आतंकवाद पर भारत नहीं दिखाएगा नरमी, पाक को फिर एफएटीएफ के सामने मुंह की खानी पड़ी

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान के साथ किसी तरह की नरमी दिखाने के मूड में नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते बिश्केक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को कोई तवज्जो नहीं देकर इसका साफ संकेत भी दे दिया था। हाल फिलहाल भारत की ऐसी कोई मंशा भी नहीं है कि पड़ोसी देश के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू किया जाए।

एफएटीएफ पर फिर फंसा पाकिस्तान

अपने पुराने अनुभव से सीख लेते हुए भारत वास्तव में पाकिस्तान पर और दबाव बनाने की सोच रखता है। वहीं, अमेरिका के फ्लोरिडा शहर में आतंकी फंडिंग रोकने के लिए स्थापित निगरानी एजेंसी एफएटीएफ की रविवार से शुरू हुई बैठक में भी भारत ने पाकिस्तान के आतंकी कनेक्शन पर पूरा सुबूत मुहैया कराया और पाकिस्तान को एक बार फिर एफएटीएफ के सामने मुंह की खानी पड़ी।

सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान से बातचीत शुरू करने का मतलब यह होगा कि हाल के महीनों में उस पर जो अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया गया है उसमें ढिलाई बरती जाए। इस दबाव की वजह से पाकिस्तान ने पिछले कुछ महीनों में अपने देश में छिपे आतंकी संगठनों के खिलाफ कदम उठाने शुरू किए हैं।

बातचीत शुरू होते ही वह इन संगठनों को लेकर फिर ढिलाई बरतने लगेगा। पूर्व में ऐसा हुआ है। मुंबई हमले के बाद कई आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की गई, लेकिन वर्ष 2011 में जैसे ही सरकार ने दोबारा बातचीत शुरू की तो पाकिस्तान ने पुराने सारे मामलों को दबा दिया।

मुंबई हमले की साजिश रचने वालों के खिलाफ आज तक पाकिस्तान ने कोई कार्रवाई नहीं की। पठानकोट हमले के दौरान पाक सरकार ने जैश के खिलाफ कार्रवाई करने का दिखावा किया था। पुलवामा हमले के बाद भी पाकिस्तान में कई आतंकी संगठनों के खिलाफ दिखावे के लिए कार्रवाई शुरू की गई है।

यही वजह है कि पिछले हफ्ते बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने और उसके अगले दिन दुशांबे में सीआइसीए सम्मलेन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पाक सरकार की तरफ से बार-बार इच्छा जताने के बावजूद पीएम मोदी ने पूरी बैठक के दौरान पीएम इमरान खान से दूरी बनाये रखी।

एफएटीएफ की बैठक में भी भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सुबूत दिए, जिसके बाद ग्रे सूची से उसके बाहर निकलने की कोशिशों को झटका लगा। उसे काली सूची में डालने की संभावना बढ़ गई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कुछ महीने पहले कहा भी था कि एफएटीएफ की काली सूची में जाने से सालाना 10 अरब डॉलर का बोझ पड़ेगा। इससे ना सिर्फ पाकिस्तान कंपनियों के लिए निर्यात करना महंगा हो जाएगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों के लिए पाकिस्तान को कर्ज देना भी आसान नहीं रहेगा।

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