UNGA 2019: कश्मीर पर पाक के सुर में सुर मिला रहा तुर्की को भारत का करारा कूटनीतिक जवाब

UNGA 2019 साइप्रस और तुर्की के रिश्ते भी ऐतिहासिक तौर पर काफी तल्खी भरे हैं। साइप्रस का एक हिस्सा (उत्तरी साइप्रस) तुर्की के कब्जे में है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 27 Sep 2019 10:38 PM (IST) Updated:Fri, 27 Sep 2019 10:49 PM (IST)
UNGA 2019: कश्मीर पर पाक के सुर में सुर मिला रहा तुर्की को भारत का करारा कूटनीतिक जवाब
UNGA 2019: कश्मीर पर पाक के सुर में सुर मिला रहा तुर्की को भारत का करारा कूटनीतिक जवाब

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कश्मीर मुद्दे पर अपने मित्र देश पाकिस्तान के सुर में सुर मिला रहे तुर्की को भारत ने कूटनीतिक भाषा में बेहद करारा जवाब दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दो बेहद छोटे, लेकिन तुर्की के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले देशों आर्मेनिया और साइप्रस के राष्ट्रपतियों से अलग-अलग मुलाकात की है।

आर्मेनिया और साइप्रस तुर्की के पड़ोसी देश हैं और इनके बीच ऐतिहासिक दुश्मनी है। अब मोदी ने इन दोनो देशों को आश्वस्त किया है कि उनके साथ द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम दिया जाएगा।

तुर्की वैसे तो भारत को भी अपना मित्र राष्ट्र कहता है लेकिन अहम वैश्विक मंचों पर वह लगातार पाकिस्तान की भाषा बोलता है। कश्मीर पर तो खास तौर पर वह हर मंच पर पाकिस्तान के समर्थन में होता है। यही नहीं परमाणु ईंधन आपूर्तिकर्ता देशों के प्रतिष्ठित संगठन (एनएसजी) में भारत को प्रवेश देने का भी वह इस तर्ज पर विरोध करता रहा है कि पाकिस्तान को भी इसका सदस्य बनाया जाना चाहिए।

तुर्की के राष्ट्रपति तयीप एर्दोगन ने तीन दिन पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक में कश्मीर मुद्दे को वैसे ही उठाया जैसे पाकिस्तान चाहता है। अभी तक भारत तुर्की के साथ रिश्तों को आपसी समझ बूझ के साथ संचालित करने की कोशिश कर रहा था लेकिन अब यह साफ हो गया है कि भारत दूसरे कूटनीतिक हथियार भी इस्तेमाल करेगा।

पीएम मोदी की पहले न्यूयार्क में आर्मेनिया के राष्ट्रपति पाशिनयान से मुलाकात हुई। आर्मेनिया व तुर्की के बीच काफी पुरानी रंजिश है। वर्ष 1915 से वर्ष 1918 के बीच तुर्की के आटोमन साम्राज्य ने 15 लाख आर्मेनियाई लोगों की हत्या की थी। इसकी वजह से लाखों अर्मेनियाई नागरिकों को देश छोड़ कर दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ी। इसी का असर है कि आज तक दोनों देशों के बीच सामान्य कूटनीतिक संबंध नहीं हैं।

आर्मेनिया लगातार दूसरे देशों से आग्रह करता रहा है कि वे निर्दोष आर्मेनियाई नागरिकों के सामूहिक व संगठित हत्याकांड को वैश्विक जनसंहार का दर्जा देने का आग्रह करता रहा है। दुनिया के 31 अहम देशों व उनकी संसद ने तुर्की की तरफ से किये गये हत्या को नरसंहार का दर्जा दिया है।

आर्मेनिया भारत सरकार से भी कई बार आग्रह कर चुका है कि वह आर्मेनिया नरसंहार को लेकर एक प्रस्ताव संसद में पारित करवाये। तुर्की को दबाव में लाने के लिए यह विकल्प अभी भारत के पास है।

पीएम मोदी की साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस एंस्टासिएड्स के साथ हुई मुलाकात भी इसी लिहाज से अहम है। साइप्रस और तुर्की के रिश्ते भी ऐतिहासिक तौर पर काफी तल्खी भरे हैं। साइप्रस का एक हिस्सा (उत्तरी साइप्रस) तुर्की के कब्जे में है।

साइप्रस लगातार तुर्की पर आरोप लगाता है कि वह उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है और आतंकवाद को बढ़ावा देता है। मोदी और एंस्टासिएड्स के बीच अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर भी बातचीत हुई है। तुर्र्की के लिए यह संदेश काफी है कि भारत साइप्रस और आर्मेनिया के साथ अपने रिश्तों को प्रगाढ़ करने को तैयार है। 

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