UAPA Bill : हाफिज सईद और दाऊद भी अब घोषित हो सकेंगे आतंकी, NIA हुई मजबूत

UAPA Bill राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अब देश के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल ऐसे किसी भी व्यक्ति को आतंकी घोषित कर सकेगी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 02 Aug 2019 10:08 PM (IST) Updated:Fri, 02 Aug 2019 10:08 PM (IST)
UAPA Bill : हाफिज सईद और दाऊद भी अब घोषित हो सकेंगे आतंकी, NIA हुई मजबूत
UAPA Bill : हाफिज सईद और दाऊद भी अब घोषित हो सकेंगे आतंकी, NIA हुई मजबूत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। UAPA Bill : आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा एजेंसियों के हाथ और मजबूत हो गए हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अब देश के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल ऐसे किसी भी व्यक्ति को आतंकी घोषित कर सकेगी। इनमें वह भी शामिल होंगे, जो विदेशों में बैठकर देश में आतंकी गतिविधियों को संचालित करते हैं। इनमें हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम जैसे लोग भी शामिल होंगे। इसके साथ ही ऐसे लोगों की संपत्तियां भी अब जब्त की जा सकेगी।

राज्यसभा ने शुक्रवार को गैर-कानूनी गतिविधियों के रोकथाम (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी है। लोकसभा से यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब यह कानून का रूप ले लेगा। विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष की ओर से उठाए गए सभी सवालों का जवाब दिया।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है, वह इंसानियत के खिलाफ होता है। ऐसे में सभी दलों को एक स्वर में इस संशोधन विधेयक का समर्थन करना चाहिए। ताकि पूरी दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ देश के एकजुट होने का संदेश जाए। इस बीच विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग पर विपक्ष अड़ा रहा। हालांकि मतदान में प्रस्ताव गिर गया। विरोध के बाद भी कांग्रेस, बसपा ने भी विधेयक का समर्थन किया।

गृह मंत्री ने इस दौरान विपक्ष की ओर से समझौता एक्सप्रेस के आरोपियों के बरी होने के सवाल पर उन्होंने सवाल उठाने वालों को कोर्ट के फैसले को पढ़ने की नसीहत दी। एनआइए की ओर से कोई साक्ष्य न दे पाने से वे सभी बरी हुए। साथ ही यह भी साफ किया कि इस मामले की चार्टशीट मौजूदा सरकार के कार्यकाल में नहीं दाखिल की गई थी, बल्कि यह 09 अगस्त 2012 को पेश की गई थी। हमने तो सिर्फ बहस की थी। इसी तरह मक्का मस्जिद में भी हुआ।

चार्जशीट यूपीए सरकार के समय में ही पेश की गई थी। गृह मंत्री ने इस दौरान यह भी साफ किया कि पिछली सरकार में किसी तरह से आतंकवाद को एक धर्म विशेष से जोड़ा गया था, जबकि उसके असली आरोपी कोई और थे। गृह मंत्री ने इस दौरान कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के उन आरोपों का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होंने एनआइए को दी जा रही इन शक्तियों की जरूरत पर सवाल खड़ा किया था।

उन्होंने कहा कि इसका प्रदर्शन पहले भी ठीक नहीं है। शाह ने कहा कि 31 जुलाई 2019 की स्थिति में एनआईए के मामलों में सजा की दर 91 फीसद है, जो दुनिया भर की सभी एजेंसियों में सबसे बेहतर है। एनआईए ने कुल 278 मामले दर्ज किए। इनमें से 204 में आरोप पत्र दाखिल किया गया है।

अब तक 54 मामलों का फैसला आया है, इनमें 48 में सजा हुई है। दूसरे मामलों में भी एनआईए का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है। इससे पहले विधेयक पर बोलते हुए चिदंबरम ने कहा कि वह आतंकवाद की लड़ाई के खिलाफ नहीं है, बल्कि वह इस संशोधन के खिलाफ है। इसकी कोई जरूरत नहीं है।

चिदंबरम को किया लाजवाब
चिदंबरम का सवाल: वह व्यक्ति को क्यों आतंकवादी घोषित करना चाहते है? कानून में ऐसी संस्थानों को आतंकवादी घोषित करने का पहले से प्रावधान है।

गृहमंत्री का जवाब- घटना कोई संस्था नहीं करती है। व्यक्ति ही करता है। जबकि मौजूदा कानून के तहत हम सिर्फ संस्था पर ही प्रतिबंध लगाते है, लेकिन जब तक उन पर शिकंजा कसा जाता है, वह दूसरी संस्था खोल देते थे। ऐसे में नई संस्था से जुड़े सबूतों को जुटाने में कई साल लग जाते थे।

ऐसे जब तक व्यक्ति को आतंकवादी घोषित नहीं किया जाएगा, तब तक इनके कामों पर रोक लगाना असंभव है। वैसे भी अमेरिका, पाकिस्तान, चीन, इजराइल आदि देशों में व्यक्ति को भी आतंकवादी घोषित करते है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी व्यक्ति को ही आतंकवादी घोषित करती है। यदि यह कानून पहले होता, तो यासीन भटकल जैसे पर काफी पहले कड़े कदम उठाए जा सकते थे।

दिग्विजय सिंह को दुरूपयोग के सवाल पर दिखाया आईना

दिग्विजय के सवाल : हमें आपकी नियत पर भरोसा नहीं है। इसका दुरूपयोग हमारे खिलाफ भी हो सकता है।

अमित शाह ने दिया जवाब - कानून के दुरूपयोग पर कांग्रेस के मित्र सवाल न करें, तो ही अच्छा है, क्योंकि इसका जिक्र करुंगा तो सात अगस्त तक चालू ही रहेगा। इनको मैं इमरजेंसी की याद दिलाना चाहता हूं, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद लोगों को जबरिया जेलों में डाल दिया गया था।

देश के सभी अखबारों पर ताला लगा दिया गया था। 19 महीने तक सारे नेता जेलों के अंदर थे। रही बात दिग्विजय सिंह की तो मैं उनका गुस्सा समझ सकता हूं। वे अभी-अभी चुनाव हारकर आए है। तो यह स्वाभाविक है।

फिर भी मै बताना चाहता हूं कि वह इस बात से निश्चिंत रहें, जब तक वह ऐसा कुछ नहीं करेंगे, तब तक उनके साथ कुछ नहीं होगा। किसी को आतंकवादी घोषित करने की एक प्रक्रिया है। हमारी सरकार इसके दुरूपयोग को रोकने को लेकर पूरी तरह से तत्पर है।

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