राज्यपाल ने ममता सरकार से मांगा सीएए विरोधी विज्ञापनों पर खर्च का ब्योरा

राजभवन से राज्य सरकार के सूचना एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर सीएए विरोधी विज्ञापनों पर किए गए खर्च का हिसाब मांगा गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 29 Feb 2020 10:00 PM (IST) Updated:Sun, 01 Mar 2020 07:21 AM (IST)
राज्यपाल ने ममता सरकार से मांगा सीएए विरोधी विज्ञापनों पर खर्च का ब्योरा
राज्यपाल ने ममता सरकार से मांगा सीएए विरोधी विज्ञापनों पर खर्च का ब्योरा

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में राजभवन और ममता सरकार के बीच टकराव थमता नहीं दिख रहा है। अब राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता सरकार से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चलाए गए विज्ञापन अभियान पर खर्च किए गए सरकारी फंड का ब्योरा मांगा है। धनखड़ पहले ही इसे जनता के पैसों का दुरुपयोग करार दे चुके हैं। उन्होंने इस विज्ञापन अभियान को मंजूरी देने वाले अधिकारियों के बारे में भी जानकारी मांगी है।

राज्यपाल ने मांगा सीएए विरोधी विज्ञापनों पर किए गए खर्च का हिसाब

सूत्रों ने शनिवार को उक्त मामले में जानकारी देते हुए बताया कि राजभवन से राज्य सरकार के सूचना एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर सीएए विरोधी विज्ञापनों पर किए गए खर्च का हिसाब मांगा गया है। धनखड़ ने राज्य सरकार की ओर से पिछले साल दिसंबर माह में प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को 'नो सीएए, नो एनआरसी और नो एनपीआर' टैगलाइन वाले विज्ञापन देने पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाने पर सवाल उठाए हैं। राज्यपाल ने इसमें राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी समेत वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की भागीदारी पर भी चिंता जाहिर की है।

वैध कानून के खिलाफ विज्ञापनों पर खर्च राज्य के फंड से नहीं किया जा सकता

गौरतलब है कि राज्यपाल इससे पहले भी राज्य सरकार को कई बार आगाह कर चुके हैं कि एक वैध कानून के खिलाफ विज्ञापनों पर खर्च राज्य सरकार के फंड से नहीं किया जा सकता है। उन्होंने सीएए से संबंधित विज्ञापनों को असंवैधानिक करार दिया था। धनखड़ ने कहा था कि यह सरकारी फंड का आपराधिक उपयोग है। बाद में कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी सीएए के खिलाफ ऐसे सभी सरकारी विज्ञापनों को हटाने का राज्य सरकार को निर्देश दिया था।

हाई कोर्ट ने सीएए के खिलाफ विज्ञापनों पर  रोक लगा दी थी

दरअसल, सरकार ने सीएए के विरोध में कई माध्यमों से विज्ञापन दिए थे। कई जगहों पर होर्डिग्स भी लगाए गए थे। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं। अदालत ने ममता सरकार को बड़ा झटका देते हुए इन विज्ञापनों पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने सीएए के खिलाफ विज्ञापनों पर भारी मात्रा में सरकारी फंड के इस्तेमाल पर जमकर फटकार लगाने के साथ इस पर खर्च हुई राशि का ब्योरा मांगा था।

जानिए, क्या था विज्ञापनों में

कुछ बांग्ला समाचार चैनलों व मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिखाए गए बंगाल सरकार के विज्ञापनों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के शीर्ष प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करते दिखाया गया था। बैठक में ममता कह रही थीं कि वे एनआरसी और सीएए को बंगाल में लागू नहीं होने देंगी। विज्ञापन में वे लोगों को आश्वस्त करते हुए कह रही थीं कि केंद्र सरकार सीएए लेकर आई है। वे बंगाल में इसे लागू नहीं होने देंगी। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील भी की थी।

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