लीक से हटकर होगा अंतरिम बजट, 27 लाख करोड़ रुपये हो सकता है आकार

माना जा रहा है कि एनडीए सरकार भारी भरकम 27 लाख करोड़ रुपये का अंतरिम बजट पेश कर सकती है।

By Manish NegiEdited By: Publish:Thu, 24 Jan 2019 09:15 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jan 2019 09:15 PM (IST)
लीक से हटकर होगा अंतरिम बजट, 27 लाख करोड़ रुपये हो सकता है आकार
लीक से हटकर होगा अंतरिम बजट, 27 लाख करोड़ रुपये हो सकता है आकार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लोकसभा चुनाव से मोदी सरकार का अंतरिम बजट की लीक से हटकर होगा। माना जा रहा है कि एनडीए सरकार भारी भरकम 27 लाख करोड़ रुपये का अंतरिम बजट पेश कर सकती है। केंद्र इसमें कुछ ऐसे प्रावधान भी कर सकता है जो विगत में अंतरिम बजट में देखने को नहीं मिले हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्र के विकास से जुड़े कार्यक्रमों के आवंटन में खासी वृद्धि की जा सकती है।

वित्त मंत्री एक फरवरी को वित्त वर्ष 2019-20 का अंतरिम बजट पेश करेंगे। वैसे तो यह बजट सिर्फ अंतरिम होगा और चुनाव के बाद जो सरकार आएगी वह जुलाई में नियमित बजट पेश करेगी, लेकिन मोदी सरकार इसे लीक से हटकर पेश करने की तैयारी कर रही है। इसमें केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों के सालाना आवंटन में 10 से 11 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने आम बजट का आकार 24.42 लाख करोड़ रुपये रखा है। ऐसे में अगले वित्त वर्ष के बजट का आकार लगभग 27 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। माना जा रहा है कि सरकार अंतरिम बजट के लिए स्थापित परंपराओं को तोड़कर कुछ नया भी कर सकती है।

वैसे तो विगत वर्षो का ट्रेंड दिखाता है कि सरकार लगातार अपने खर्च को नियंत्रित करने की कोशिश करती रही है लेकिन चुनावी वर्ष इसका अपवाद साबित हो सकता है। हाल के वर्षों में जीडीपी के अनुपात में आम बजट का लगातार घटता आकार है। आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए कुछ मंत्रालयों के आवंटन में खासी वृद्धि हो सकती है। मसलन, ग्रामीण विकास और कृषि मंत्रालय के बजट में अच्छी वृद्धि हो सकती है। हालांकि ओवरऑल बजट के आकार में 10-11 प्रतिशत वृद्धि के आसार हैं।

बहरहाल, सूत्रों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में सरकार के आम बजट का जो आकार है वह देश के जीडीपी का करीब 13 प्रतिशत है और वित्त वर्ष 2019-20 में इसे घटाकर 12.7 प्रतिशत पर लाने की कोशिश होगी लेकिन आम चुनाव के मद्देनजर सरकार इस संबंध में लचीला रुख अपना सकती है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2009-10 में सरकार के बजट का आकार जीडीपी का 15.8 प्रतिशत था। इस तरह जीडीपी के अनुपात में बजट का आकार लगातार घटाने की कोशिश रही है।

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