आपराधिक जानकारी छिपाई: सिंधिया के राज्यसभा निर्वाचन को चुनौती, हाई कोर्ट से नोटिस जारी

कोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद सिंधिया के अलावा मुख्य निर्वाचन आयुक्त मुख्य राज्य निर्वाचन आयुक्त को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 31 Aug 2020 07:03 PM (IST) Updated:Mon, 31 Aug 2020 07:03 PM (IST)
आपराधिक जानकारी छिपाई: सिंधिया के राज्यसभा निर्वाचन को चुनौती, हाई कोर्ट से नोटिस जारी
आपराधिक जानकारी छिपाई: सिंधिया के राज्यसभा निर्वाचन को चुनौती, हाई कोर्ट से नोटिस जारी

ग्वालियर, राज्य ब्यूरो। प्रदेश के पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के राज्यसभा निर्वाचन को मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर कर चुनौती दी है। उनका आरोप है कि सिंधिया ने राज्यसभा चुनाव के नामांकन में आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाई है, इसलिए उनका निर्वाचन निरस्त किया जाए। हाई कोर्ट ने राज्यसभा सदस्य सिंधिया, देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त और राज्य निर्वाचन आयुक्त को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

व्यापमं घोटाले में 27 सितंबर 2018 को सिंधिया के खिलाफ केस दर्ज हुआ था

डॉ. गोविंद सिंह के अधिवक्ता कुबेर बौद्ध के अनुसार भोपाल के श्यामला हिल्स क्षेत्र के थाने में 27 सितंबर 2018 को ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। सिंधिया के साथ कमल नाथ व दिग्विजय सिंह के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ था। इन पर आरोप थे कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले के दस्तावेजों में छेड़छाड़ की गई है।

नामांकन भरते वक्त आपरधिक केस का उल्लेख नहीं होता तो चुनाव निरस्त हो सकता है

चुनाव कानूनों के अनुसार यदि किसी उम्मीदवार पर कोई आपरधिक केस दर्ज है तो नामांकन भरते वक्त उसे अपने शपथ पत्र में इसका उल्लेख करना होता है। यदि वह उल्लेख नहीं करता है तो चुनाव को निरस्त किया जा सकता है।

वकील की दलील, सिंधिया ने केस दर्ज की जानकारी को छिपाया, निर्वाचन निरस्त किया जाए

बौद्ध ने दलील दी कि सिंधिया को अपने ऊपर केस दर्ज होने की जानकारी थी। इसके बावजूद उन्होंने राज्यसभा के नामांकन पत्र में इस केस की जानकारी को छिपाया गया, इसलिए उनके निर्वाचन को निरस्त किया जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद सिंधिया के अलावा मुख्य निर्वाचन आयुक्त, मुख्य राज्य निर्वाचन आयुक्त को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

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