CBI अदालत ने अवैध संपत्ति मामले में जगन मोहन रेड्डी को पेशी से छूट देने की याचिका खारिज की

विशेष सीबीआइ अदालत ने अवैध संपत्ति मामले में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी को झटका देते हुए व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेशी से छूट देने की याचिका खारिज कर दी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 01 Nov 2019 01:50 PM (IST) Updated:Fri, 01 Nov 2019 03:17 PM (IST)
CBI अदालत ने अवैध संपत्ति मामले में जगन मोहन रेड्डी को पेशी से छूट देने की याचिका खारिज की
CBI अदालत ने अवैध संपत्ति मामले में जगन मोहन रेड्डी को पेशी से छूट देने की याचिका खारिज की

हैदराबाद, आएएनएस। विशेष सीबीआइ अदालत ने शुक्रवार को कथित अवैध संपत्ति मामले में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेशी से छूट देने की याचिका खारिज कर दी। जगन मोहन रेड्डी ने अदालत से निजी तौर पर पेशी से छूट मांगी थी। अदालत ने इस याचिका पर 18 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

Hyderabad: CBI court dismisses the petition of Andhra Pradesh CM Jagan Mohan Reddy seeking exemption from personal attendance before court in alleged disproportionate assets case.CBI argued that Jagan Mohan Reddy had tried to influence witnesses when he was an MP. (file pic) pic.twitter.com/cfzjpJjt5q — ANI (@ANI) November 1, 2019

याचिका में जगन मोहन रेड्डी की ओर से दलील दी गई थी कि वे संवैधानिक पद पर हैं और उन्हें कई महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल होना पड़ता है इसलिए उन्‍हें अदालत में पेशी से छूट दी जाए। वहीं सीबीआई ने मुख्यमंत्री की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि बदलाव याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत भूमिका में आया है ना कि मामले की स्थिति में... आरोप काफी गंभीर हैं इसलिए आरोपी को पेशी से छूट नहीं दी जाए। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया था कि जगन मोहन रेड्डी जब सांसद थे तब उन्होंने इस मामले से जुड़े गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की थी। 

अदालत के इस आदेश से साफ है कि अब मुख्यमंत्री रेड्डी को कोर्ट में पेश होना होगा। यह मामला रेड्डी की फर्मों में हुए निवेश से जुड़ा है। संबंधित मामलों में मई 2012 में गिरफ्तार होने के बाद जगन 15 महीने तक जेल भी रहे थे। सितंबर 2013 में उनको चंचलगुडा जेल से जमानत पर रिहा किया गया था। यही नहीं रिहा करते समय सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें जमानत देते हुए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गवाहों को प्रभावित नहीं करने का आदेश दिया था।

chat bot
आपका साथी