भाजपा का बड़ा अटैक, मनमोहन नहीं राहुल के निर्देश पर चलती थी UPA सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा गिराने के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा ने तीखा पलटवार किया है।

By Manish NegiEdited By: Publish:Wed, 13 Dec 2017 09:20 PM (IST) Updated:Thu, 14 Dec 2017 02:09 AM (IST)
भाजपा का बड़ा अटैक, मनमोहन नहीं राहुल के निर्देश पर चलती थी UPA सरकार
भाजपा का बड़ा अटैक, मनमोहन नहीं राहुल के निर्देश पर चलती थी UPA सरकार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। गुजरात का चुनाव प्रचार भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन मतदान के एक दिन पहले भी कांग्रेस और भाजपा के बीच घमासान जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा गिराने के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा ने तीखा पलटवार किया है।

पूर्व पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन और राहुल गांधी व उनके निजी सचिव के साथ हुए ई-मेल जारी कर भाजपा ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री पद की गरिमा का हनन संप्रग सरकार के दौरान खुलेआम हो रहा था। भाजपा के वरिष्ठ नेता पीयूष गोयल ने सवाल उठाया कि खुद मनमोहन सिंह भी जानना चाहते होंगे, वे उस समय सचमुच के प्रधानमंत्री थे या नहीं। भाजपा ने राहुल टैक्स पर भी व्यंग किया और रामसेतु की हकीकत को लेकर भी कांग्रेस पर हल्ला बोला।

पीयूष गोयल ने कहा कि 2012 में जीएम फसल को अनुमति देने के मुद्दे पर तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन न सिर्फ प्रधानमंत्री के आदेश की अवहेलना करने पर उतारू थी, बल्कि उनके खिलाफ राहुल गांधी और सोनिया गांधी से शिकायत भी कर रही थी। गोयल के अनुसार सोनिया गांधी के निर्देश पर जयंती नटराजन जीएम फसल का विरोध कर रही थी और इसके लिए तकनीकी समिति व संसदीय समिति की रिपोर्ट का हवाला दे रही थी। लेकिन पहले पीएमओ और बाद खुद मनमोहन सिंह ने जयंती नटराजन को फोन कर इस मुद्दे पर तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार के रूख पर आगे बढ़ने का निर्देश दिया था। कृषि मंत्रालय और पीएमओ जीएम फसल का देश में कम-से-कम फील्ड ट्रायल शुरू करने के पक्ष में थे। राहुल गांधी को लिखे ईमेल में जयंती नटराजन ने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रूख रखने के लिए उन्होंने तत्कालीन अटार्नी जनरल को फोन किया था, लेकिन उनके पास भी प्रधानमंत्री का स्पष्ट निर्देश आ गया था। नटराजन ने राहुल गांधी को बताया कि इस बारे में वह सोनिया गांधी को बता चुकी है।

पीयूष गोयल ने कहा कि पूरा देश जानना चाहता था और खुद मनमोहन सिंह के लिए यह अनजान बात नहीं है कि उस समय असली फैसले कहां लिये जाते थे। महाराष्ट्र के लवासा रियल एस्टेट प्रोजेक्ट को हरी झंडी देने के मामले में भी प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बावजूद नटराजन राहुल गांधी से निर्देश लेती रही। ऐसा ही वाकया गुजरात में निरमा की सीमेंट फैक्ट्री का पर्यावरण क्लीयरेंस रोकने के मामले में आया था। जिसमें राहुल गांधी और उनके निजी सचिव ने पर्यावरण क्लीयरेंस नहीं देने का साफ निर्देश दिया था। गोयल ने चुटकी लेते हुए कहा कि इससे साफ होता है कि संप्रग सरकार में जयंती टैक्स नहीं, बल्कि राहुल टैक्स चलता था।

एक दूसरे ईमेल का हवाला देते हुए पीयूष गोयल ने गुजरात चुनाव में राहुल गांधी के विकास के नारे की गंभीरता पर सवाल उठाया। इसके अनुसार राहुल गांधी ने जयंती नटराजन से सालों से लटके लखनऊ-रायबरेली-अमेठी हाईवे के पर्यावरण मंजूरी को हरी झंडी देने को कहा। लेकिन हकीकत यह थी कि इस हाईवे के लिए पर्यावरण क्लीयरेंस मांगा ही नहीं गया था।

रामसेतु को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों के दावे के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस को आड़े हाथ लिया और कहा कि संप्रग काल में तो सरकार ने रामसेतु और राम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया था। गौरतलब है कि गुजरात चुनाव प्रचार के वक्त धर्म को लेकर काफी विवाद खड़ा हुआ था।

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