तेलंगाना में भाजपा देख रही दक्षिण का पश्चिम बंगाल, शहरी निकाय चुनाव में टीआरएस से होगी सीधी लड़ाई

तेलंगाना में भाजपा और सत्ताधारी टीआरएस के बीच सीधी लड़ाई होने वाली है। साढ़े चार साल बाद विधानसभा और फिर अगले लोकसभा चुनाव के लिए भी अभी से विस्तार की योजना तैयार हो गई है

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Fri, 14 Jun 2019 11:07 PM (IST) Updated:Fri, 14 Jun 2019 11:07 PM (IST)
तेलंगाना में भाजपा देख रही दक्षिण का पश्चिम बंगाल, शहरी निकाय चुनाव में टीआरएस से होगी सीधी लड़ाई
तेलंगाना में भाजपा देख रही दक्षिण का पश्चिम बंगाल, शहरी निकाय चुनाव में टीआरएस से होगी सीधी लड़ाई

नई दिल्ली, जेएनएन। लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले पश्चिम बंगाल की तरह भाजपा की भावी रणनीति में अब तेलंगाना सबसे ऊपर है। केंद्रीय नेतृत्व से प्रदेश इकाई को स्पष्ट निर्देश है कि जमीनी स्तर पर ऐसे मुद्दों पर अभियान तेज किया जाए जो हर वर्ग के लिए अहम हो। पहली परीक्षा यूं तो आने वाले शहरी निकाय चुनाव में ही होगी।

कोशिश होगी कि वह चुनाव भाजपा और सत्ताधारी टीआरएस के बीच सीधी लड़ाई वाला हो। साढ़े चार साल बाद विधानसभा और फिर अगले लोकसभा चुनाव के लिए भी अभी से विस्तार की योजना तैयार हो गई है जिसमें प्रदेश इकाई के साथ-साथ केंद्रीय नेतृत्व को भी लगातार नजर रखने को कहा गया है।

गुरुवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने खासकर तीन राज्यों का नाम लिया था जहां पार्टी का प्रदर्शन उत्साहित करता है। इसमें पश्चिम बंगाल, ओडिशा के साथ तेलंगाना भी शामिल था। तेलंगाना का प्रदर्शन इसलिए उत्साहित करता है, क्योंकि वहां से चार सीटों की कल्पना बहुत कम लोगों ने की थी।

भाजपा की जीत इसलिए भी अहम थी, क्योंकि कुछ महीने पहले ही बहुमत से जीते मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की बेटी ही नहीं, खुद राव की पुरानी सीट करीमनगर भी भाजपा ने जीत ली। करीमनगर की जीत इसलिए भी अहम है, क्योंकि यह राव की जन्मभूमि भी है और तेलंगाना आंदोलन भी यहीं से शुरू हुआ था। राव अपनी योजनाओं की शुरुआत भी यहीं से करते रहे हैं। अब यह भाजपा के खाते में है।

इस जीत के कई कारण रहे हैं। एक तो पश्चिम बंगाल की तरह प्रदेश अध्यक्ष डा. के लक्ष्मण की अगुवाई में स्थानीय मुद्दों पर आंदोलन तेज रहा। खासकर महंगी शिक्षा, रोजगार आदि के मुद्दों पर आंदोलन की रूपरेखा तैयार हुई। केंद्र की योजनाओं को लेकर प्रदेश इकाई पूरे प्रदेश में पहुंची। जातिगत विस्तार पर ध्यान रहा। खुद प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से आते हैं। पिछड़े वर्ग की संख्या पचास फीसद से ऊपर है और आबादी के लिहाज से बहुत छोटे वर्ग वेलम्मा से आने वाले चंद्रशेखर राव इसी पिछड़ी जाति के बल पर सत्ता में लौटे थे।

डा. लक्ष्मण की रणनीति है कि आने वाले दिनों में पिछड़े वर्ग में और ज्यादा हिस्सेदारी हासिल की जाए। फिलहाल भाजपा लोकसभा चुनाव में 19 फीसद वोट ही हासिल कर पाई है। हालांकि पार्टी नेतृत्व की नजर कांग्रेस पर भी टिकी है और रणनीति यह है कि तेलंगाना को कांग्रेस मुक्त कर रेड्डी समुदाय में पकड़ बनाई जाए। इसी रणनीति के तहत पिछले दिनों रेड्डी समुदाय के नेताओं को भाजपा में शामिल किया गया।

बताते हैं कि आने वाले दिनों में कांग्रेस समेत दूसरे दलों के कई और नेता भाजपा में आ सकते हैं। पार्टी का और विस्तार हर जाति वर्ग में होगा।

केंद्रीय नेतृत्व की ओर से प्रदेश को निर्देश है कि निकाय चुनाव में कोई कसर न छूटे। कांग्रेस मुक्त तेलंगाना की शुरुआत यहीं से करने की कोशिश होगी। कर्नाटक के बाद दक्षिण में भारत का यह दूसरा प्रवेश द्वार होगा।

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